टोक्यो ओलम्पिक में भारतीय पहलवान ने जगाई पदक की उम्मीद

By योगेश कुमार गोयल | Jul 29, 2021

23 जुलाई को टोक्यो ओलम्पिक 2020 का आगाज हो चुका है, जिसमें भारत का नाम रोशन करने का जज्बा लिए भारत के भी 126 एथलीट पहुंचे हैं, जो 18 कुल विभिन्न खेलों में 85 पदकों के लिए दावेदारी पेश करेंगे। मीराबाई चानू वेटलिफ्टिंग में पहला रजत पदक देश के नाम कर चुकी हैं और अभी कुछ और खिलाडि़यों के अलावा भारतीय पहलवानों से भी देश को काफी उम्मीदें हैं। दरअसल ओलम्पिक में भारतीय एथलीटों ने हॉकी के बाद कुश्ती में ही सबसे ज्यादा पदक जीते हैं। इसीलिए भारत में खासकर कुश्ती के मुकाबलों का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। भारतीय कुश्ती इस समय अपने स्वर्णिम दौर में है और कुश्ती में पिछले तीन ओलम्पिक से भारत लगातार पदक जीत रहा है।

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कुश्ती भारत का एकमात्र ऐसा खेल है, जिसमें भारतीय पहलवान पिछले काफी समय से विश्व चैम्पियनशिप के साथ-साथ ओलम्पिक खेलों में भी लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और पदक जीत रहे हैं। 2013 की विश्व चैम्पियनशिप में भारत ने सर्वाधिक तीन कांस्य पदक हासिल किए थे लेकिन 2019 में कजाकिस्तान में हुई विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में तो भारतीय पहलवानों का जलवा हर किसी ने देखा ही था। वह पहला ऐसा मौका था, जब भारतीय पहलवानों ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए चैम्पियनशिप में पांच पदक अपने नाम कर विश्वभर में भारतीय कुश्ती का डंका बजाया था और टोक्यो ओलम्पिक खेलों के लिए नई उम्मीद बंधाई थी। रियो ओलम्पिक में भारत ने कुल दो पदक जीते थे, जिनमें से एक कुश्ती में ही मिला था और कई भारतीय पहलवान इस बार जिस फॉर्म में दिख रहे हैं, उसे देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि टोक्यो में हमारे ये पहलवान रियो के मुकाबले शानदार प्रदर्शन करते हुए ज्यादा पदक जीतने में सफल होंगे। कुल सात भारतीय पहलवानों ने इस बार ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई किया है, जिनमें से छह पहलवान पहली बार ओलम्पिक में हिस्सा ले रहे हैं।


भारत के जो पहलवान ओलम्पिक में हिस्सा ले रहे हैं, उनमें एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता 26 वर्षीया विनेश फोगाट से सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं, जो टोक्यो ओलम्पिक के लिए कोटा हासिल करने वाली पहली भारतीय पहलवान बनी थी। हालांकि उन्होंने 2016 में रियो ओलम्पिक में डेब्यू किया था लेकिन पदक हासिल करने से चूक गई थी। विनेश ने 18 सितम्बर 2019 को विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में 53 किलोग्राम भार वर्ग में दो बार की विश्व कांस्य पदक विजेता मिस्र की मारिया प्रेवोलार्की को 4-1 से चित्त करते हुए कांस्य पदक पर कब्जा करते हुए अपना ओलम्पिक का टिकट पक्का किया था। उससे पहले वह पोलैंड ओपन कुश्ती टूर्नामेंट में महिलाओं के 53 किलोग्राम भार वर्ग में रियो ओलम्पिक की कांस्य पदक विजेता स्वीडन की सोफिया मैटसन को हराकर स्वर्ण पदक भी जीत चुकी हैं। इसके अलावा वह राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में भी खिताबी जीत हासिल कर चुकी हैं। उत्तर कोरिया की यांग मी पाक को विनेश की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी माना जा रहा था लेकिन उत्तर कोरिया के ओलम्पिक में हिस्सा नहीं लेने के कारण विनेश की राह आसान हो गई है।


27 वर्षीय बजरंग पूनिया को भारतीय पहलवानों में ओलम्पिक में सफलता के लिए उम्मीदों का सबसे प्रमुख केन्द्र माना जाता है। भारतीय पुरूष पहलवानों में वे पदक के सबसे बड़े दावेदार माने जा रहे हैं। बजरंग को ओलम्पिक में दूसरी वरीयता दी गई है और उनका मुकाबला विश्व चैम्पियन रूस के राशिदोव के साथ होगा, जिन्हें पहली वरीयता प्रदान की गई है। एशियाई स्वर्ण पदक विजेता और विश्व चैम्पियन रहे बजरंग पूनिया एकमात्र ऐसे भारतीय पहलवान हैं, जिन्होंने अभी तक विश्व चैम्पियनशिप में तीन बार पदक जीते हैं, पहली बार 2013 में कांस्य, 2018 में रजत और 2019 में कांस्य। उनसे पूरी उम्मीदें हैं कि पिछली विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक नहीं जीत पाने की कसक वे ओलम्पिक में अवश्य पूरी करेंगे।


86 किलोग्राम वर्ग में 22 वर्षीय पहलवान दीपक पूनिया को ओलम्पिक में पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। उनके बेहतरीन प्रदर्शन से 2019 की विश्व चैम्पियनशिप में हर किसी को स्वर्ण पदक की उम्मीदें थी लेकिन टखने में लगी चोट के कारण वे फाइनल नहीं खेल सके, फिर भी रजत पदक जीतकर उन्होंने टोक्यो ओलम्पिक में पदक जीतने को लेकर उम्मीदें बढ़ा दी थी। विश्व चैम्पियनशिप में दीपक को पहले राउंड में ही टखने में चोट लग गई थी लेकिन फिर भी जिस जोश और जज्बे के साथ उन्होंने चोटिल होने पर भी कुश्तियां लड़ी और लगातार जीत हासिल करते हुए फाइनल तक पहुंचे, वह बेमिसाल था। अगस्त 2019 में ही दीपक विश्व जूनियर चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर सीनियर में पहुंचे थे और उसके बाद विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता था। उन्होंने नूर सुल्तान टूर्नामेंट में अपना ओलम्पिक का टिकट हासिल कर लिया था। दीपक की वजह से ही भारत को 18 साल लंबे अंतराल बाद विश्व जूनियर चैम्पियनशिप का खिताब जीतने का अवसर मिला था।

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23 वर्षीय मुक्केबाज रवि कुमार दहिया ने जिस अंदाज में कुछ दिग्गज पहलवानों को हराते हुए टोक्यो ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई किया था और कजाकिस्तान के नूर सुल्तान में अपनी पहली ही 2019 विश्व रेसलिंग चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतने में सफल हुए थे, उसे देखते हुए उनसे भी ओलम्पिक में श्रेष्ठ प्रदर्शन की उम्मीदें बढ़ गई हैं। विश्व चैम्पियनशिप में रवि दहिया ने 57 किलोग्राम वर्ग में कई शीर्ष पहलवानों को हराकर साबित कर दिया था कि उनमें कितना दम है। वह उसी छत्रसाल स्टेडियम की देन हैं, जहां से दो ओलम्पिक पदक विजेता सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त निकले हैं। दो बार के एशियन चैम्पियन रह चुके रवि ओलम्पिक में 57 किलोग्राग फ्रीस्टाइल वर्ग में भारत की ओर से खेलेंगे।


रियो ओलम्पिक में कांस्य पदक विजेता रही साक्षी मलिक को अप्रैल माह में अल्माटी में हुए एशियाई ओलम्पिक क्वालीफायर में 4-0 से पराजित कर सोनम मलिक रजत पदक जीतकर पहलवानों में बड़ा नाम बनकर उभरी थी। उस मुकाबले के बाद उन्होंने ग्रीष्मकालीन खेलों में 62 किलोग्राम वर्ग में अपनी जगह बनाई थी। विश्व जूनियर और कैडेट चैम्पियन रही 18 वर्षीया सोनम ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई करने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय पहलवान हैं, जो जूनियर से सीनियर तक के अब तक के अपने सफर में अपने प्रदर्शन से काफी चर्चित रही हैं। वह भी पदक की प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं। 29 वर्षीया सीमा बिस्ला ने एशियाई चैम्पियनशिप में अपनी बेहतरीन प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक जीता था। एशियन मीट में मिली जीत के बाद उन्हें बुल्गारिया में मई माह में विश्व ओलम्पिक क्वालीफायर के लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया था, जहां सीमा ने स्वर्ण पदक जीतकर 50 किलोग्राम वर्ग में टोक्यो ओलम्पिक में जगह बनाई थी।


19 वर्षीया अंशु मलिक ने अप्रैल माह में अल्माटी में हुए एशियाई ओलम्पिक क्वालीफायर में रजत पदक जीतकर ओलम्पिक में 57 किलोग्राम वर्ग में अपनी जगह पक्की की थी। उससे पहले एशियाई चैम्पियनशिप में भी उन्होंने स्वर्ण पदक जीता था। गत वर्ष रोम में माटेओ पेलिकोन रैंकिंग सीरीज में अंशु ने सीनियर वर्ग में अपना डेब्यू किया था, जहां उन्होंने रजत पदक जीता था। उसके बाद अंशु ने एशियन चैम्पियनशिप में नई दिल्ली में कांस्य और बेलग्रेड में व्यक्तिगत विश्वकप में रजत पदक हासिल किया था। बहरहाल, उम्मीद की जानी चाहिए कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय पहलवान पूरी दुनिया में अपना जो दम दिखा दिखा रहे हैं, उनका वही दम ओलम्पिक में भी सारी दुनिया देखेगी और भारत के खाते में कुश्ती में भी कुछ पदक दर्ज होंगे।


- योगेश कुमार गोयल

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार तथा कुछ पुस्तकों के रचयिता हैं और 31 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं)

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