विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत तीन विभाग- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) वैज्ञानिक अनुसंधान के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन तीनों विभागों ने अपने द्वारा समर्थित वैज्ञानिक अनुसंधान कार्यों, शोध प्रकाशनों, प्रौद्योगिकी विकास; और देश के समग्र विकास में योगदान देने वाले नवाचारों के माध्यम से महत्वपूर्ण वैज्ञानिक ज्ञान अर्जित किया है। इसका अंदाजा भारतीय पेटेंट कार्यालय (आईपीओ) द्वारा भारतीय वैज्ञानिकों को मिलने वाले पेटेंट से लगाया जा सकता है।
गत तीन वर्षों में भारतीय पेटेंट कार्यालय (आईपीओ) द्वारा भारतीय वैज्ञानिकों को पहले से दोगुने पेटेंट प्रदान किए गए हैं। वर्ष 2018-19 में भारतीय वैज्ञानिकों को 2511 पेटेंट प्रदान किए गए थे, जिनकी संख्या वर्ष 2019-20 में बढ़कर 4003, और वर्ष 2020-21 में 5629 हो गई। केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी; राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; राज्य मंत्री प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष, डॉ जितेंद्र सिंह द्वारा राज्यसभा में यह जानकारी प्रदान की गई है। उल्लेखनीय है कि बढ़ती पेटेंट संख्या को वैज्ञानिक शोध एवं नवाचार का एक संकेतक माना जा सकता है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी देशों के साथ तकनीकी अंतर को पाटने के लिए भारत के लिए पेटेंट महत्वपूर्ण है।
केंद्रीय मंत्री ने संसद को बताया कि भारत की ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (जीआईआई) रैंकिंग में भी पिछले कुछ वर्षों के दौरान सुधार हुआ है। जीआईआई इंडेक्स-2021 के अनुसार, भारत की जीआईआई रैंकिंग, जो वर्ष 2014 में 81वें पायदान पर थी, वह अब सुधरकर 46वें स्थान पर पहुँच गई है। उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत के अनुसंधान प्रदर्शन में भी हाल के वर्षों में काफी सुधार हुआ है। एनएसएफ - विज्ञान और इंजीनियरिंग संकेतक-2022 रिपोर्ट का हवाला देते हुए डॉ सिंह ने बताया कि वैज्ञानिक प्रकाशनों में विश्व स्तर पर भारत की स्थिति 2010 के 7वें स्थान से सुधरकर 2020 में तीसरे स्थान पर आ गई। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 में भारत का स्कॉलर आउटपुट बढ़कर 1,49,213 शोधपत्रों तक पहुँच गया, जो 2010 में सिर्फ 60,555 शोधपत्रों के प्रकाशन तक सिमटा हुआ था।
भविष्य में शिक्षा एवं वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रोत्साहन दिये जाने से संबंधित केंद्र सरकार के प्रयासों के बारे में संसद में पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए डॉ सिंह ने बताया कि सरकार देश में शिक्षा और वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इस दिशा में किए गए प्रमुख प्रयासों में वैज्ञानिक विभागों के लिए योजना आवंटन में क्रमिक वृद्धि, और अकादमिक तथा राष्ट्रीय संस्थानों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के उभरते व अग्रणी क्षेत्रों में उत्कृष्टता केंद्रों और अन्य सुविधाओं का निर्माण शामिल है। डॉ सिंह ने बताया कि विज्ञान एवं प्रौद्यिगिकी के क्षेत्र में मानव और संस्थागत क्षमता निर्माण, मूलभूत एवं अनुप्रयुक्त अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं/कार्यक्रम लागू किए गए हैं।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के कार्यक्रमों एवं योजनाओं में फंड फॉर इम्प्रूवमेंट ऑफ साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी इंफ्रास्ट्रक्चर (FIST), परिष्कृत विश्लेषणात्मक उपकरण सुविधाएं (SAIF), इंस्पायर (INSPIRE) फेलोशिप, विज्ञान में महिलाओं को प्रोत्साहन देने के लिए कार्यक्रम, इंस्पायर अवार्ड मानक (मिलियन माइंड्स ऑगमेंटिंग नेशनल एस्पिरेशन एंड नॉलेज), विजिटिंग एडवांस्ड जॉइंट रिसर्च (VAJRA), शोध छात्रों को विदेश में सेमिनारों /संगोष्ठियों में भाग लेने के लिए वित्तीय सहायता, नेशनल पोस्ट-डॉक्टरल फेलोशिप योजना, डीएसटी की प्रधानमंत्री की रिसर्च फेलोशिप, और छात्रों एवं वैज्ञानिक को जोड़ने के लिए सीएसआईआर-जिज्ञासा कार्यक्रम मुख्य रूप से शामिल है। सरकार जैव प्रौद्योगिकी विभाग-विश्व विज्ञान अकादमी (डीबीटी-टीडब्ल्यूएएस) अंतरराष्ट्रीय फेलोशिप और एक्स्ट्रा-म्यूरल रिसर्च फंडिंग के माध्यम से वैज्ञानिकों को अनुदान, सार्वजनिक-निजी शोध एवं विकास भागीदारी को प्रोत्साहन, अनुसंधान एवं विकास इकाइयों को मान्यता एवं वित्तीय प्रोत्साहन, और अनुसंधान तथा विकास गतिविधियों में उद्योगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए समर्थन के माध्यम से शिक्षा एवं वैज्ञानिक अनुसंधान से संबंधित प्रयासों को बढ़ावा दे रही है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि वर्ष 2021-22 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत तीनों विभागों को लगभग 13,499 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जिसमें से करीब 11,502 करोड़ रुपये की निधि इन विभागों द्वारा प्रयुक्त की जा चुकी है। वर्ष 2021-22 में डीएसटी को 5,240 करोड़ रुपये, सीएसआईआर सहित डिएसआईआर को करीब 5,298 करोड़ रुपये; और डीबीटी को 2,961 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
(इंडिया साइंस वायर)