By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 20, 2018
नयी दिल्ली। भारतीय उद्योग जगत के लिये साल 2018 अधिग्रहण एवं विलय के हिसाब से बेहद शानदार रहा। पूरे साल के दौरान घरेलू उद्योग जगत में रिकॉर्ड 100 अरब डॉलर से अधिक के सौदों की घोषणा की गयी। इस बात की उम्मीद है कि नया साल भी इस लिहाज से शानदार रहने वाला है।
हालांकि विशेषज्ञों ने इस बात को लेकर सतर्क भी किया है कि 2019 में आम चुनाव से पहले कच्चे तेल की अधिक कीमत तथा सरकार द्वारा की जाने वाली लोकलुभावन घोषनाओं के कारण राजकोषीय स्थिति खराब होने से इस गति पर लगाम पर भी लग सकता है।
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परामर्श देने वाली कंपनी पीडब्ल्यूसी के अनुसार, साल 2018 में निजी इक्विटी और रणनीतिक विलय एवं अधिग्रहण में सारे पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त हो गये। इस दौरान तीन दिसंबर तक 1,640 सौदों में 100 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर लिया गया।
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विशेषज्ञों का मानना है कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी), रीयल एस्टेट नियमन अधिनियम (रेरा) और दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) जैसे सुधारों के कारण अगले साल भी विलय एवं अधिग्रहण सौदों में तेजी बनी रह सकती है। साल के दौरान विलय एवं अधिग्रहण सौदों में ई-कॉमर्स 50 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ अग्रणी रहा।
सौदा करने वालों तथा सलाहकारों का मानना है कि निवेशक ब्रेक्जिट तथा विभिन्न देशों के संरक्षणवादी कदमों के कारण एशिया प्रशांत विशेषकर भारत पर केंद्रित हो रहे हैं।