मशहूर भारतीय गोलकीपर सुब्रत पॉल को डोप परीक्षण में नाकाम रहने के बाद आज अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया लेकिन इस फुटबालर ने खुद को निर्दोष साबित करने के लिये ‘बी’ नमूने का परीक्षण करवाने का फैसला किया है। अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ के महासचिव कुशाल दास ने कहा कि अर्जुन पुरस्कार विजेता पॉल पिछले महीने प्रतियोगिता से इतर परीक्षण में नाकाम रहे थे। पॉल पर इसके लिये चार साल का प्रतिबंध लग सकता है।
दास ने कहा, ‘‘हां, सुब्रत पॉल का ‘ए’ नमूना प्रतिबंधित पदार्थ के लिये पाजीटिव पाया गया है। यह प्रतिबंधित पदार्थ टबरुटेलाइन है। नाडा ने एआईएफएफ को जो पत्र भेजा उसके अनुसार सुब्रत को अस्थायी तौर पर निलंबित कर दिया गया है।’’ टबरुटेलाइन सांस लेने की तकलीफ में आराम दिलाता है और इसे तब लिया जाता है जबकि सांस लेने में दिक्कत आ रही हो या फिर अस्थमा जैसी कोई बीमारी हो। इसके अलावा खांसी और जुकाम के लिये आम तौर पर दी जाने वाली दवाईयों में भी यह पदार्थ पाया जाता है लेकिन अगर कोई खिलाड़ी अस्थमा से संबंधित दवाई लेना चाहता है तो इसके लिये उन्हें टीयूई (उपचारात्मक उपयोग के लिये छूट) प्रमाणपत्र के लिये आवेदन करना होता है। वाडा के अनुसार टबरुटेलाइन को ‘बीटा-2 एगोनिस्ट्स’ वर्ग में रखा गया है। इस वर्ग के अंतर्गत रखी गयी दवाईयों का किसी भी समय (प्रतियोगिता के दौरान और प्रतियोगिता से इतर) उपयोग नहीं किया जा सकता है। दास से पूछा गया कि क्या पॉल अब भी अपने क्लब डीएसके शिवाजीयन्स की तरफ से 30 अप्रैल को मिनर्वा पंजाब के खिलाफ आईलीग मैच खेल सकते हैं, उन्होंने कहा, ‘‘वह बी नमूने की जांच और साथ ही अपना अस्थायी निलंबन हटाने के लिये अपील कर सकता है।’’
दास ने कहा कि नाडा ने पॉल के मूत्र का नमूना 18 मार्च को लिया था जब भारतीय टीम मुंबई में राष्ट्रीय शिविर में थी। शिविर के दौरान सभी खिलाड़ियों के नमूने लिये गये थे। उन्होंने कहा, ‘‘असल में मैं इससे काफी हैरान हूं। बहुत कम फुटबाल खिलाड़ी डोप परीक्षण में नाकाम रहते हैं। मैंने कभी नहीं सोचा था कि उनके जैसा खिलाड़ी डोप परीक्षण में नाकाम रहेगा।’’ वाडा के नियमों के अनुसार राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) को डोप परीक्षण के बारे में खिलाड़ी और महासंघ दोनों को सूचित करना होता है। खिलाड़ी के पास ‘बी’ नमूने के परीक्षण का आग्रह करने का अधिकार होता है। ‘बी’ नमूने का परीक्षण लंबित होने तक वह अस्थायी तौर पर निलंबित रहेंगे। वाडा के नये नियमों के अनुसार पहली बार डोपिंग में पकड़े जाने वाले खिलाड़ी को अधिकतम चार साल का प्रतिबंध लगाया जाएगा। तीस वर्षीय पॉल ने कहा कि वह ‘बी’ नमूने का परीक्षण करवाएंगे और दावा किया कि वह निर्दोष हैं। पॉल ने कहा, ‘‘इस खबर से मैं आहत हूं कि मैं डोप परीक्षण में नाकाम रहा। मुझे नाडा या एआईएफएफ से कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है। मुझे मीडिया से इसकी जानकारी मिली। मैं साबित करूंगा कि मैं निर्दोष हूं क्योंकि मैंने दस साल से भी अधिक के अपने कॅरियर में पूरी ईमानदारी और प्रतिबद्धता से खेल खेला है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं ‘बी’ नमूने के परीक्षण का आग्रह करूंगा क्योंकि मुझे लगता है कि मैंने ऐसा कुछ नहीं किया जिससे कि मैं डोप परीक्षण में नाकाम रहूं। मुंबई राष्ट्रीय शिविर में सभी खिलाड़ियों का परीक्षण हुआ था और मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मेरा नमूना पाजीटिव पाया जाएगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘एआईएफएफ अधिकारी, प्रशंसक, साथी खिलाड़ी और मीडिया जानता है कि मैं ईमानदार खिलाड़ी रहा हूं। मैंने एक साख बनायी है और मैंने अपने करियर में अपने क्लब और देश के लिये काफी कुछ हासिल किया है। अपने कॅरियर के इस मोड़ पर मुझे अपने प्रदर्शन में बढ़ोतरी के लिये किसी तरह के प्रतिबंधित पदार्थ को लेने की जरूरत नहीं है।’’ पॉल ने कहा, ‘‘इसलिए मैं आहत हूं। मेरी छवि खतरे में है और मैं अपना नाम पाक साफ करना चाहता हूं। इसलिए मैं ‘बी’ नमूने का परीक्षण करवाउंगा।’’
पश्चिम बंगाल के पॉल भारत के बेहतरीन गोलकीपरों में से एक रहे हैं। जब इंग्लैंड के बाब हाटन कोच और बाईचुंग भूटिया कप्तान थे तब वह देश के नंबर एक गोलकीपर थे। उन्होंने 2007 और 2009 में भारत की नेहरू कप में खिताबी जीत में अहम भूमिका निभायी थी। गोलकीपर के रूप में पॉल के बेहतरीन प्रदर्शन से भारत ने 2008 में हैदराबाद में एएफसी चैलेंज कप जीता था। इससे भारत ने दोहा में 2011 में एएफसी एशिया कप के लिये भी क्वालीफाई किया था। उस टूर्नामेंट में मीडिया ने उन्हें ‘भारतीय स्पाइडरमैन’ करार दिया था क्योंकि उन्होंने तीन ग्रुप मैचों विशेषकर दक्षिण कोरिया के खिलाफ बेहतरीन बचाव किये थे।