By अभिनय आकाश | Jun 11, 2020
कोरोना वायरस ने तमाम देशों की अर्थव्यवस्था को मंदी के दलदल में धकेल दिया है। भारत की अर्थव्यवस्था पर भी लगातार संकट के बादल मंडरा रहे हैं। जीडीपी के नीचे गिरने के अनुमान को रिजर्व बैंक ने बताया था। इसमें कोई दो राय नहीं कि देश के हालात मुश्किल दौर से गुज रहे हैं। लेकिन हरेक अंधेरा अपने साथ सवेरा लेकर आता है। लेकिन अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर देश, सरकार और आम आदमी के लिए राहत की खबर है। दरअसल, दुनिया की दो सबसे बड़ी एजेसियों ने भारत के लिए ये सुनहरी भविष्यवाणी की है। दोनों एजेंसियों ने कहा है कि इस साल यानी 2020 में कोरोना का प्रभाव कम होने के साथ ही विकास दर में तेजी आने लगेगी।
फिच का अनुमान 9.5 फीसदी ग्रोथ रेट
इंटरनेशनल रेटिंग एजेंसी फ्रिच और एस एंड पी का कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था जल्द ही पटरी पर लौटेगी। फिच का मानना है कि कोरोना वायरस और देश में जारी लाकडाउन की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था पर दवाब रहेगा और ग्रोथ रेट निगेटिव रहेगी। लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था में 2021-22 में सुधार हो सकता है। अर्थव्यवस्था में सुधार इतना जोरदार हो सकता है कि भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 9.5 फीसदी पर पहुंच सकती है।
2022 में 8.5% रहेगी जीडीपी ग्रोथ
स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (एसएंडपी) ने कहा है कि वित्त वर्ष 2021 में बड़ी गिरावट के बावजूद भारत में मजबूत रिकवरी के संकेत दिख रहे हैं। इससे वित्त वर्ष 2022 में भारत की जीडीपी ग्रोथ 8.5% के करीब और 2022-23 में 6.5 फीसदी रह सकती है। हालांकि, एजेंसी ने कहा है कि कमजोर वित्तीय सेक्टर और लेबर मार्केट में सुधार करने की जरूरत है। यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो रिकवरी पर असर पड़ सकता है। एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष में जीडीपी में 5% कमी का अनुमान जताया है।
भारत की साख को ‘बीबीबी’ पर बरकरार
एस एंड पी ने स्थिर परिदृश्य के साथ भारत की साख को ‘बीबीबी’ के स्तर पर बरकरार रखते हुए कहा, ‘‘स्थिर परिदृश्य हमारी इस उम्मीद को प्रतिबिंबित करता है कि भारत की अर्थव्यवस्था कोविड-19 महामारी के बाद उभरेगी और देश शुद्ध रूप से मजबूत बाह्य स्थिति को बनाये रखेगा।उसने कहा कि स्थिर परिदृश्य के तहत यह भी माना जाता है कि सरकार का राजकोषीय घाटा 2020-21 में कई साल के उच्च स्तर के बाद स्पष्ट तौर पर कम होगा।