By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 01, 2020
वाशिंगटन। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में संकट और जीएसटी तथा नोटबंदी के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था में 2019 में अचानक थोड़ी नरमी देखने को मिली, लेकिन इसे मंदी नहीं कहा जा सकता।
इसे भी पढ़ें: बजट में लोगों की दिक्कतें दूर करने के लिए कुछ नहीं किया गया: येचुरी
जॉर्जीवा ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा, “वास्तव में, भारतीय अर्थव्यवस्था ने 2019 में अचानक कुछ सुस्ती देखी। जिसके चलते हमें अपने वृद्धि अनुमानों को संशोधित करना पड़ा। 2020 में हम आर्थिक वृद्धि दर के 5.8 प्रतिशत और 2021 में इसके बढ़कर 6.5 प्रतिशत पर पहुंचने की उम्मीद कर रहे हैं।
आईएमएफ की शीर्ष अधिकारी ने शुक्रवार शाम को कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों में संकट आर्थिक नरमी का मुख्य कारण है। उन्होंने कहा कि भारत ने कुछ महत्वपूर्ण सुधार किए थे जो कि दीर्घ अवधि में भारत के लिए लाभदायक होंगे लेकिन इनका कुछ अल्पकालिक प्रभाव है।
इसे भी पढ़ें: वित्त मंत्री ने बजट 2020 किया पेश, जानें आम बजट पर कैसी रही राजनेताओं की प्रतिक्रियाएं
जॉर्जीवा ने एक सवाल के जवाब में कहा, उदाहरण के लिए एकीकृत कर व्यवस्था (जीएसटी) और नोटबंदी। ये दोनों कदम समय के साथ फायदेमंद होंगे लेकिन अल्प अवधि में इनसे कुछ व्यवधान हो सकता है। आईएमएफ की प्रबंध निदेशक ने कहा कि भारत में राजकोषीय मोर्चे पर ज्यादा कुछ नहीं है। उन्होंने कहा, लेकिन हम समझते हैं कि सरकारी नीति राजकोषीय मोर्चे पर विवेकपूर्ण रही हैं।