सेमी कंडक्टर बनाने में चीन के एकाधिकार को ध्वस्त करेगा भारत

By कमलेश पांडेय | Dec 28, 2021

पीएम नरेंद्र मोदी के सुशासन काल में भारत और चीन के बीच की कारोबारी प्रतिस्पर्धा और अधिक तेज हुई है। सरकार की उद्यमी प्रोत्साहक नीतियों के चलते भारत विश्व में एक नए मेनुफेक्चरिंग हब के रूप में उभर रहा है। यूं तो  दुनिया की सप्लाई चैन के रूप में चीन अभी भी सभी के सामने है। यह बात भी हमलोग जानते हैं कि उद्योग-धंधे में किसी किसी क्षेत्र में चीन को टक्कर दे पाना आसान नहीं है। फिर भी भारत सरकार और प्राइवेट कम्पनियां मिलकर चीन और इसके जैसे कई देशों के लिए एक बड़ी चुनौती पेश कर ही रही हैं, जो अपने आप में बहुत बड़ी बात है।

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भारत का मशहूर व्यापारिक घराना वेदान्ता ग्रुप ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण ऐलान किया है कि उनकी कम्पनी सेमी कंडक्टर बनाने के व्यापार में एंट्री करेगी और इसके लिए कुल 60 हजार करोड़ रूपये निवेश किया जाएगा, जो कि अपने आप में एक बहुत बड़ी धनराशि है। समझा जाता है कि इतनी वैल्यू कई चीनी कम्पनियों को मिलाकर भी नहीं होगी, जितने का निवेश वेदान्ता ग्रुप सेमी कंडक्टर बिजनेस में करने वाला है। बता दें कि कुछ माह पहले टाटा उद्योग समूह ने भी इसी आशय का हौसला दिखाया था, जिससे भारत सरकार के दृढ़ निश्चय को बल मिला है।


उल्लेखनीय है कि आज दुनिया में गिने चुने ही देश हैं, जिनमें चीन, ताईवान और अमेरिका प्रमुख है, जो सेमी कंडक्टर बनाने में महारत हासिल कर चुके हैं। खास बात यह कि आज की तारीख में एक छोटे मोबाइल फोन से लेकर बड़े-बड़े जहाज तक हर चीज को बनाने में इसकी भूमिका अहम है। ऐसे में यदि चीन कल को सेमी कंडक्टर की सप्लाई रोक दे तो दुनिया इलेक्ट्रॉनिक्स के मामले में ठप्प पड़ जायेगी।

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यही वजह है कि भारत समेत दुनिया के कई देश इस बात को लेकर काफी चिंतित हैं। इसके समाधान भी खोजे जा रहे हैं। सबसे बढ़िया समाधान वो है कि भारत की निजी कम्पनियों को विभिन्न स्कीम्स के तहत सहायता देकर खुद ही सेमी कंडक्टर के व्यापार को बढ़ाया जाये और मेक इन इंडिया पॉलिसी के तहत भारत में ही इसका निर्माण हो। फिर जरूरतमंद देशों को निर्यात किया जाए। मोदी सरकार इस रणनीति को आने वाले दिनों में और अधिक गति देगी।


उल्लेखनीय है कि टाटा समूह पहले ही सेमी कंडक्टर के क्षेत्र में सत्तर हजार करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा कर चुका है। और अब वेदांता समूह के इस नए ऐलान से सरकार के जज्बे को और अधिक बल मिला है। यदि ऐसे ही सटीक निर्णय आने वाले दिनों में भी लिए जाते रहे तो यह तय है कि निकट भविष्य में भारत दुनिया के नए मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित हो जाएगा। इससे दुनिया को चीन की कारोबारी दादागिरी से भी निबटने में सहूलियत होगी।


- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

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