नयी दिल्ली। भारत अपनी दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से रणनीतिक यूरेनियम भंडार तैयार करने की अपनी योजना के तहत परमाधु ईंधन हासिल करने के लिए उज्बेकिस्तान समेत कई देशों से बातचीत कर रहा है। भारत अपने रणनीतिक यूरेनियम भंडार के लिए इतना परमाणु ईंधन जुटाना चाहता है जिससे अगले पांच साल देश के रिएक्टर चल सकें और यूरेनियम की कमी के चलते उन्हें बंद न होना पड़े।
अतीत में 1974 में पोखरण परमाणु परीक्षणों के बाद लगे प्रतिबंधों के चलते भारतीय परमाणु रिएक्टर यूरेनियम की कमी के चलते अपनी पूरी क्षमता के हिसाब से काम नहीं कर रहे थे। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि उज्बेकिस्तान के साथ बातचीत चल रही है। पिछले महीने इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा करने के लिए उज्बेकिस्तान का एक प्रतनिधिमंडल भारत आया था। विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि जून में अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उज्बेक राष्ट्रपति शौकत मिर्जियोव की द्विपक्षीय मुलाकात के बाद इस प्रतिनिधिमंडल की भारत यात्रा हुई।
उन्होंने बताया कि हमने पहले भी उज्बेकिस्तान से यूरेनियम आयात करने कोशिश की। तब उसने यूरेनियम देने से इनकार कर दिया था। अब वह निर्यात करने पर सहमत हो गया है और बातचीत चल रही है। ‘वर्ल्ड न्यूक्लीयर एसोसिएशन’ के अनुसार उज्बेकिस्तान दुनिया में यूरेनियम का सातवां सबसे बड़ा निर्यातक देश है। एसोसिएशन वैश्विक परमाणु उद्योग के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है। आस्ट्रेलिया से भी यूरेनियम हासिल करने की कोशिश चल रही है। दोनों देशों के बीच परमाणु सहयोग संधि 2014 में हुई और 2015 में प्रभाव में आई।
बहरहाल, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इंगित किया कि आस्ट्रेलियाई यूरेनियम प्रकृति में ‘अशुद्ध’ है। अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें आस्ट्रेलिया से करीब एक किलोग्राम यूरेनियम मिला है। यूरेनयिम का दाम तय करने के लिए हैदराबाद के ‘न्यूक्लीयर फ्यूएल कॉम्प्लेक्स’ में इस सैंपल का परीक्षण किया जा रहा है। हमें आशा है कि अगले साल यूरेनियम का आयात शुरु होगा।