Shaurya Path: Israel-Hamas, PM Modi Brunei-Singapore Visit, Russia-Ukraine और Venezuela से जुड़े मुद्दों पर Brigadier Tripathi से वार्ता

By नीरज कुमार दुबे | Sep 06, 2024

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने इजराइल-हमास संघर्ष में आये नये मोड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रुनेई और सिंगापुर यात्रा, रूस-यूक्रेन युद्ध, रूसी राष्ट्रपति की मंगोलिया यात्रा और वेनेजुएला के राष्ट्रपति के खिलाफ की गयी अमेरिकी कार्रवाई से जुड़े मुद्दों पर बिग्रेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी सेवानिवृत्त के साथ चर्चा की। पेश है विस्तृत साक्षात्कार-


प्रश्न-1. इजराइल के बंधकों की रिहाई की मांग को लेकर यरूशलम में जनता ने अपने ही प्रधानमंत्री नेतन्याहू के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने संघर्षविराम समझौता नहीं हो पाने के लिए नेतन्याहू को जिम्मेदार ठहराया है जिसके पलटवार में इजराइली प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति पर हमला बोल दिया है। वहीं ब्रिटेन ने भी इजराइल को दिये गये अपने कुछ हथियारों के लाइसेंसों को निलंबित कर दिया है। इस सब स्थिति को कैसे देखते हैं आप?


उत्तर- गाजा में हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों को रिहा कराने के लिए समझौता करने में इजराइल सरकार की विफलता पर इजराइली लोग एक बार फिर अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में देश भर में लाखों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे हैं, जिनमें से कुछ अमेरिकी दूतावास और इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के आवासों के बाहर भी एकत्र हुए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले साल अक्तूबर में हमास द्वारा किए गए हमले के बाद इस पहली देशव्यापी हड़ताल ने देश को भी ठप कर दिया। उन्होंने कहा कि इन विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत छह बंधकों के शव मिलने के बाद हुई जिनकी हमास ने हत्या की थी और उसके कुछ समय बाद इजराइली रक्षा बलों (आईडीएफ) ने उन्हें बरामद किया। नेतन्याहू ने मृतकों के परिजन से माफी मांगी जो एक दुर्लभ बात है। उन्होंने कहा कि ये प्रदर्शन इजराइल के आम लोगों की एक बड़ी संख्या और उनकी निर्वाचित सरकार के बीच खराब होते संबंधों को दर्शाते हैं और इनमें सुधार अब असंभव प्रतीत होता है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि वैसे जनवरी 2023 में इजराइल के इतिहास की सबसे अधिक दक्षिणपंथी सरकार के गठन के बाद से देश में बड़े पैमाने पर नियमित रूप से विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2023 में प्रदर्शनकारियों ने न्यायिक प्रणाली में सुधार के सरकार के प्रस्तावों के खिलाफ आक्रोश व्यक्त करते हुए सड़कों पर कई बार मार्च निकाला। इन प्रस्तावों का उद्देश्य इजराइल के उच्चतम न्यायालय की शक्ति को सीमित करना था। उन्होंने कहा कि दक्षिणी इजराइल पर पिछले साल सात अक्तूबर को हमास के आतंकवादी हमले के बाद से बंधकों के परिवारों ने नियमित रूप से रैलियां निकाली हैं और सरकार से बंधकों को घर वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास करने की मांग की।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हमास ने करीब 250 पुरुषों, महिलाओं और बच्चों का अपहरण किया था। पिछले साल नवंबर में हमास के साथ बंधकों और कैदियों की अदला-बदली के दौरान 100 से अधिक लोगों को रिहा किया गया था। माना जाता है कि करीब 100 लोग अब भी बंधक हैं, जिनमें से करीब 35 के मारे जाने की आशंका है। उन्होंने कहा कि अमेरिका, मिस्र और कतर की मध्यस्थता में युद्ध विराम वार्ता के अंतहीन दौर का युद्ध की शुरुआत से लेकर अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है। उन्होंने कहा कि हमास इस समझौते के लिए गाजा से इजराइल की पूर्ण वापसी पर जोर दे रहा है, जबकि इजराइल इस क्षेत्र के दो गलियारों में आईडीएफ की निरंतर उपस्थिति की मांग कर रहा है। उन्होंने कहा कि मध्यस्थों को समझौता होने की उम्मीद थी लेकिन नेतन्याहू ने हाल में अपना रुख कड़ा कर लिया।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि प्रधानमंत्री नेतन्याहू राजनीतिक रूप से मुश्किल स्थिति में फंस गए हैं। उनके गठबंधन सहयोगी, दक्षिणपंथी मंत्री इटमार बेन-ग्वीर और बेजेल स्मोट्रिच ने धमकी दी है कि अगर नेतन्याहू हमास के साथ एक ऐसे समझौते को स्वीकार करते हैं, जो युद्ध में ‘‘पूर्ण जीत’’ की गारंटी नहीं देता है, तो वे सरकार गिरा देंगे। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर, रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने नेतन्याहू पर अपने राजनीतिक अस्तित्व को सुरक्षित रखने के लिए युद्धविराम समझौते की हर संभावना को जानबूझकर नष्ट करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि बंधकों के जीवन को प्राथमिकता देने में सरकार की विफलता शीर्ष अधिकारियों की असंवेदनशीलता से और भी बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि जुलाई में नेतन्याहू ने भी कहा था, ‘‘बंधक पीड़ा झेल रहे हैं, लेकिन मर नहीं रहे।’’ लेकिन हालिया सप्ताह में यह बात पूरी तरह से स्पष्ट हो गई है कि नेतन्याहू गलत थे। गाजा के अंदर बंधकों के शवों की बढ़ती संख्या ने इजराइलियों को झकझोर कर रख दिया है। उन्होंने कहा कि ताजा झटका 31 अगस्त को उस समय लगा जब आईडीएफ सैनिकों ने हमास द्वारा मारे गए छह बंधकों के शव बरामद किए। उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन इस बात का सबूत हैं कि इजराइल में कई लोगों को लग रहा है कि उन्हें अपनी ही सरकार ने त्याग दिया है। उन परिवारों की उम्मीदें तेजी से धूमिल होती जा रही है, जिनके परिजन बंधक हैं।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक ब्रिटेन की बात है तो उसने इजराइल को अपने 350 हथियार निर्यात लाइसेंसों में से 30 को निलंबित कर दिया है। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री डेविड लैमी ने कहा है कि ब्रिटेन इजराइल के साथ अपने 350 हथियार निर्यात लाइसेंसों में से 30 को तुरंत निलंबित कर देगा क्योंकि जोखिम था कि ऐसे उपकरणों का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के गंभीर उल्लंघन के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि लैमी ने कहा कि लाइसेंस निलंबित करने का निर्णय पूर्ण प्रतिबंध या हथियार प्रतिबंध के समान नहीं है, बल्कि इसमें केवल वे शामिल हैं जिनका उपयोग गाजा के फिलिस्तीनी क्षेत्र में इज़राइल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष में किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि लैमी ने संसद को बताया कि बेशक, हम सुरक्षा खतरों के खिलाफ इजरायल की रक्षा करने की जरूरत को पहचानते हैं, लेकिन हम इजरायल द्वारा अपनाए गए तरीकों और नागरिकों के हताहत होने और विशेष रूप से नागरिक बुनियादी ढांचे के विनाश की रिपोर्टों से गहराई से चिंतित हैं।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जुलाई में लेबर पार्टी के चुनाव जीतने के तुरंत बाद लैमी ने कहा था कि वह अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए ब्रिटेन के सहयोगी इज़राइल को हथियारों की बिक्री पर एक समीक्षा अपडेट करेंगे। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर, इज़रायली विदेश मंत्री इज़रायल काट्ज़ ने कहा है कि यह निर्णय निराशाजनक है और यह इस्लामी आतंकवादी समूह हमास और ईरान में उसके संरक्षकों को एक बहुत ही समस्याग्रस्त संदेश भेजता है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हथियार निर्यात निलंबन के तहत शामिल वस्तुओं में लड़ाकू जेट, हेलीकॉप्टर और ड्रोन सहित सैन्य विमान शामिल होंगे। लेकिन, एफ-35 लड़ाकू विमानों के हिस्सों को छूट दी जाएगी। उन्होंने कहा कि अमेरिका के विपरीत, ब्रिटेन की सरकार इज़राइल को सीधे हथियार नहीं देती है, बल्कि कंपनियों को हथियार बेचने के लिए लाइसेंस जारी करती है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, इस महीने की शुरुआत में अमेरिका ने इज़राइल को लड़ाकू जेट और अन्य सैन्य उपकरणों में 20 अरब डॉलर की बिक्री को मंजूरी दी थी।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि दूसरी ओर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने युद्धविराम समझौते की कीमत के रूप में दक्षिणी गज़ान सीमा क्षेत्र में सैनिकों को रखने की अपनी मांग को नरम करने के आह्वान को खारिज करते हुए कहा है कि हमास के लिए एक प्रमुख जीवन रेखा को नियंत्रित करना इजरायल के लिए महत्वपूर्ण था। उन्होंने कहा कि मिस्र की सीमा से लगे गाजा पट्टी के दक्षिणी किनारे पर फिलाडेल्फी गलियारे का मुद्दा, गाजा में लड़ाई को रोकने और हमास द्वारा रखे गए इजरायली बंधकों को वापस करने के लिए एक समझौते को सुरक्षित करने के प्रयासों में एक प्रमुख बाधा रहा है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हमास ने किसी भी इजरायली उपस्थिति को खारिज कर दिया है, जबकि नेतन्याहू ने जोर देकर कहा है कि इजरायल गलियारे को नहीं छोड़ेगा, जहां इजरायली सैनिकों ने दर्जनों सुरंगों का खुलासा किया है, उनका कहना है कि इनका इस्तेमाल गाजा में हथियारों और गोला-बारूद की तस्करी के लिए किया गया है। नेतन्याहू ने येरुशलम में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा भी है कि बुराई की धुरी को फिलाडेल्फी गलियारे की जरूरत है और इसी कारण से हमें फिलाडेल्फी गलियारे को नियंत्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि नेतन्याहू ने कहा है कि हमास इसी कारण से जोर दे रहा है कि हम वहां नहीं रहें और इसी कारण से मैं भी इस बात पर जोर देता हूं कि हम वहां रहें। उन्होंने कहा कि नेतन्याहू का मानना है कि अगर इजराइल को गलियारे से बाहर निकलना पड़ा, तो अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण वापस लौटना मुश्किल हो जाएगा।


प्रश्न-2. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ब्रुनेई और सिंगापुर यात्रा का क्या महत्व है?


उत्तर- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सिंगापुर दौरे के दौरान दोनों देशों ने अपने द्विपक्षीय संबंधों का दायरा ‘‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’’ तक बढ़ाते हुए सेमीकंडक्टर क्षेत्र में सहयोग सहित चार अहम समझौते किये हैं जोकि खासकर भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की सफल सिंगापुर यात्रा से भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति को भी बढ़ावा मिला है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था में लगभग 160 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश के साथ सिंगापुर भारत का एक प्रमुख आर्थिक साझेदार है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि इस यात्रा के बाद यह निवेश बढ़ेगा तथा विभिन्न नये क्षेत्रों में आपसी सहयोग के द्वार खुलेंगे। उन्होंने कहा कि इसके अलावा ब्रुनेई की यात्रा भी काफी सफल रही खासकर यह इस मायने में विशेष रही कि दशकों के राजनयिक संबंधों के बावजूद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की ब्रुनेई की यह पहली यात्रा थी।


प्रश्न-3. रूस-यूक्रेन युद्ध अब किस मोड़ पर है? रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन मंगोलिया की यात्रा पर क्यों पहुँचे हैं? मंगोलिया ने पुतिन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय कोर्ट का वारंट होने के बावजूद उनको गिरफ्तार क्यों नहीं किया?


उत्तर- रूस ने यूक्रेन के मध्य भाग में इस साल का सबसे बड़ा हमला किया है जिसमें 50 से ज्यादा लोगों के मारे जाने और 180 लोगों के घायल होने की खबर है। उन्होंने कहा कि इस युद्ध को चलते हुए 925 दिन हो गये हैं लेकिन समाधान की ओर जाने वाला रास्ता अब तक नहीं दिखाई दे रहा है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि रूस के ताजा हमलों में यूक्रेन के और स्कूल, चिकित्सा सुविधाएं और कई इमारतें क्षतिग्रस्त हो गई हैं जिनके पुनर्निर्माण की राह आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन ल्वीव पर हमले के बाद पोलैंड ने अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लड़ाकू विमानों को तैनात कर दिया है। उन्होंने कहा कि यूक्रेनी आपातकालीन सेवाओं ने कहा है कि रूसी मिसाइल का मलबा केंद्रीय शहर क्रिवी रिह पर गिरा जिससे एक होटल क्षतिग्रस्त हो गया। वहीं यूक्रेन की वायु सेना ने कहा है कि उसने रूस द्वारा तैनात 13 मिसाइलों में से सात और 29 ड्रोन में से 22 को मार गिराया है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि दूसरी ओर रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि उसकी सेना ने पोक्रोव्स्क से लगभग 30 किलोमीटर (19 मील) दूर प्रीचिस्टिव्का और कार्लिव्का की बस्तियों पर नियंत्रण कर लिया है। उन्होंने कहा कि बेलगोरोड के क्षेत्रीय गवर्नर व्याचेस्लाव ग्लैडकोव ने कहा है कि यूक्रेन द्वारा रूसी सीमा क्षेत्र के एक गांव पर गोलाबारी के बाद तीन लोग मारे गए और दो घायल हो गए। उन्होंने कहा कि रूस के रक्षा मंत्रालय ने स्वीकार किया है कि उसने पोल्टावा में एक सैन्य शैक्षणिक संस्थान और अस्पताल पर हमला किया। रूस ने दावा किया है कि वह सैनिकों, विदेशी प्रशिक्षकों और ड्रोन ऑपरेटरों को निशाना बना रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि कुछ दिन पहले यूक्रेन को ताकत दिखाने का मौका देकर रूस ने उसे अपनी चाल में फंसा लिया है क्योंकि बड़ी संख्या में यूक्रेनी सैनिक रूस में फंस गये हैं और दूसरी ओर रूसी सैनिक धड़ाधड़ यूक्रेन पर कब्जा करते चले जा रहे हैं।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि दूसरी ओर, यूक्रेन ने पुतिन को गिरफ्तार करने में मंगोलिया की विफलता की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय वारंट पर वांछित क्रेमलिन नेता व्लादिमीर पुतिन को गिरफ्तार करने में मंगोलिया की विफलता ने अंतरराष्ट्रीय आपराधिक कानून प्रणाली को गंभीर झटका दिया है। उन्होंने कहा कि पुतिन रूस और चीन को जोड़ने वाली एक नई गैस पाइपलाइन पर केंद्रित बातचीत के लिए मंगोलिया पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि माना यह भी जा रहा है कि चेचन्या के अलावा मंगोलिया से भी लड़ाकों को भेजने के लिए पुतिन आग्रह करके आये हैं। उन्होंने कहा कि पुतिन के खिलाफ पिछले साल अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय की ओर से गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था। उन्होंने कहा कि अदालत का यह वारंट मंगोलिया सहित 124 सदस्य देशों को उनके क्षेत्र में कदम रखते ही रूसी राष्ट्रपति को गिरफ्तार करने और मुकदमे के लिए हेग में स्थानांतरित करने के लिए बाध्य करता है लेकिन इसका पालन नहीं किया गया।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि यूक्रेनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हेरही तिखाई ने कहा कि पुतिन को हिरासत में लेने में मंगोलिया की विफलता "अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय और आपराधिक कानून की व्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका है।'' उन्होंने बताया कि तिखाई ने टेलीग्राम मैसेजिंग ऐप पर लिखा है कि मंगोलिया ने एक आरोपी अपराधी को न्याय से बचने की इजाजत दी है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन अपने सहयोगियों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करेगा कि मंगोलिया को इसके परिणाम भुगतने पड़ें। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा है कि मॉस्को को वारंट के संबंध में किसी भी कार्रवाई के बारे में कोई चिंता नहीं थी। उन्होंने कहा कि रूस ने मंगोलिया के साथ एक सार्थक बातचीत की थी और यात्रा के सभी पहलुओं पर पहले से चर्चा की गई थी। हम आपको बता दें कि आईसीसी वारंट में पुतिन पर यूक्रेन से सैंकड़ों बच्चों को अवैध रूप से निर्वासित करने का आरोप लगाया गया है। हालांकि क्रेमलिन ने आरोप को खारिज करते हुए कहा है कि यह राजनीति से प्रेरित है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा, यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा है कि यूक्रेन के पश्चिमी सहयोगियों को न केवल अपने हथियारों को रूस के अंदर हमलों के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति देनी चाहिए, बल्कि कीव को खुद भी अधिक हथियार मुहैया कराने चाहिए। उन्होंने कहा कि यूक्रेन ने लंबे समय से साझेदारों से आग्रह किया है कि वह उसे दुश्मन के इलाके में दूर स्थित लक्ष्यों पर पश्चिमी हथियारों से हमला करने की अनुमति दे और यूक्रेनी ऊर्जा प्रतिष्ठानों, अन्य बुनियादी ढांचे और आवासीय भवनों पर रूसी हवाई हमलों के तेज होने के कारण ये मांगें और तेज हो गई हैं।


प्रश्न-4. अमेरिका ने वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के विमान को जब्त कर लिया है। कहा जा रहा है कि चूंकि मादुरो पुतिन के समर्थक हैं इसलिए यह कार्रवाई की गयी है। इस संदर्भ में सवाल यह है कि क्या मादुरो के बहाने बाइडन और पुतिन के बीच एक नया संघर्ष शुरू हो गया है?


उत्तर- अमेरिका ने वेनेजुएला पर तमाम तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं इसलिए जब विमान को गलत तरीके से बेचा गया तो अमेरिका की नजर इस सौदे पर पड़ी जिसके बाद इस विमान को जब्त कर लिया गया है और मामले की जाँच बैठा दी गयी है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इस संदर्भ में अमेरिकी न्याय विभाग ने कहा है कि अमेरिका ने वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो द्वारा इस्तेमाल किए गए विमान को जब्त कर लिया है और इसे डोमिनिकन गणराज्य से फ्लोरिडा ले जाया गया है, क्योंकि इसकी खरीद ने अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा कि विमान की जब्ती 28 जुलाई को हुए चुनाव को लेकर मादुरो पर देश और विदेश में लगातार दबाव के बीच हुई, जिसमें उनका दावा है कि उन्होंने जीत हासिल की है, जबकि विपक्ष का कहना है कि वोटों की संख्या की उसकी प्रतियां उसके उम्मीदवार को विजेता दिखाती हैं। उन्होंने कहा कि वेनेजुएला सरकार ने पुष्टि की है कि मादुरो ने विमान का इस्तेमाल किया था। उन्होंने कहा कि हालांकि इस जब्ती पर वेनेजुएला बौखला गया है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि मादुरो, उनके सहयोगियों और ओपेक के सदस्य वेनेजुएला पर अमेरिका ने तमाम प्रतिबंध लगा रखे हैं। उन्होंने कहा है कि संभावना यह भी है कि प्रतिबंधों का दायरा और बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी अटॉर्नी जनरल मेरिक गारलैंड ने एक बयान में कहा है कि डसॉल्ट फाल्कन 900EX विमान को एक शेल कंपनी के माध्यम से 13 मिलियन डॉलर में अवैध रूप से खरीदा गया था और "निकोलस मादुरो और उनके साथियों द्वारा उपयोग के लिए" अमेरिका से बाहर तस्करी कर लाया गया था। उन्होंने कहा कि अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि जब्ती, डोमिनिकन गणराज्य के साथ मिलकर काम करते हुए की गई थी। उन्होंने कहा कि अमेरिकी न्याय विभाग की जांच से पता चला कि 2022 के अंत और 2023 की शुरुआत में मादुरो से जुड़े व्यक्तियों ने कथित तौर पर डसॉल्ट फाल्कन 900EX विमान की अवैध खरीद में अपनी भागीदारी को छिपाने के लिए कैरेबियन-आधारित शेल कंपनी का इस्तेमाल किया था। उन्होंने कहा कि विमान को पिछले साल कैरेबियन के माध्यम से अमेरिका से वेनेजुएला में अवैध रूप से निर्यात किया गया था और तब से यह वेनेजुएला के सैन्य अड्डे से उड़ान भर रहा था और इसका उपयोग मादुरो और उनके प्रतिनिधियों के लाभ के लिए किया जा रहा था, जिसमें मादुरो को अन्य देशों की यात्राओं पर ले जाना भी शामिल था। उन्होंने कहा कि व्हाइट हाउस राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के एक प्रवक्ता ने कहा है कि यह कार्रवाई यह सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है कि मादुरो वेनेजुएला के अपने कुशासन के परिणामों को महसूस करते रहें। उन्होंने कहा कि कई पश्चिमी देशों ने वेनेजुएला चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने तो विपक्षी उम्मीदवार एडमंडो गोंजालेज को सबसे अधिक वोट से जीतने के लिए बधाई तक दे दी थी।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक इस मामले को लेकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच तलवारें खिंचने की बात है तो वह इसलिए हो रहा है क्योंकि निकोलस मादुरो पुतिन के समर्थक हैं। वेनेजुएला चुनाव के बाद रूसी राष्ट्रपति ने मादुरो को फोन करके बधाई दी थी और रूस यात्रा का न्यौता भी दिया था। उन्होंने कहा कि बाइडन को चिंता इस बात की भी है कि यदि मादुरो ने रूस को अपने यहां कोई सैन्य अड्डा बनाने की अनुमति दे दी तो अमेरिका के बगल में नई सुरक्षा चुनौती खड़ी हो जायेगी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा अमेरिका यह भी नहीं चाहता कि तेल संपन्न वेनेजुएला अपना पैसा कहीं बाहर खर्च कर पाये इसलिए भी उसने उस पर तमाम तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं।

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