By नीरज कुमार दुबे | Feb 18, 2024
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यूएई और कतर दौरे, पाकिस्तान में चुनाव के बाद के हालात, इजराइल-हमास संघर्ष, रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन में बदलते सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य से जुड़े मुद्दों पर ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) के साथ चर्चा की गयी। पेश है विस्तृत साक्षात्कार-
प्रश्न-1. प्रधानमंत्री का यूएई और कतर दौरा भारत के लिए कितना महत्वपूर्ण है?
उत्तर- लोकसभा चुनावों से पहले संभवतः प्रधानमंत्री का यह अंतिम महत्वपूर्ण विदेशी दौरा है और वर्तमान में जिस तरह के वैश्विक हालात हैं उसको देखते हुए इन दौरों की काफी महत्ता है। उन्होंने कहा कि मोदी के आने से पहले 20 साल तक कोई भारतीय प्रधानमंत्री यूएई नहीं गया था। 2015 में मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में यूएई का पहला दौरा किया और उसके बाद वह अब तक सात बार वहां जा चुके हैं इसी तरह यूएई के राष्ट्रपति भी मोदी के कार्यकाल में पांच बार भारत आ चुके हैं जो दर्शाता है कि दोनों देशों के संबंध किस मजबूती के साथ आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-यूएई दोस्ती जिंदाबाद का नारा लगवा कर इस दोस्ती को और प्रगाढ़ करने का संदेश भी भारतीयों को दे दिया है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने ऊर्जा, बुनियादी ढांचे, निवेश तथा अभिलेखागार के प्रबंधन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग के लिए 10 समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार पहले से ही 85 अरब अमेरिकी डॉलर के करीब है। उन्होंने कहा कि यूएई भारतीय अर्थव्यवस्था में चौथा सबसे बड़ा निवेशक है। उन्होंने कहा कि जिस तरह संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने बड़ी ही गर्मजोशी से मंगलवार को प्रधानमंत्री का स्वागत किया वह दर्शाता है कि दोनों नेताओं के व्यक्तिगत संबंध भी कितने मजबूत हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि सामरिक और व्यापारिक दृष्टि से यह दौरा काफी अहम था। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के नेताओं ने विस्तृत प्रतिनिधिमंडल स्तर पर और प्रत्यक्ष वार्ता की जिसमें भारत तथा संयुक्त अरब अमीरात के बीच द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ क्षेत्रीय व वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण विकास के पहलू शामिल थे। 10 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए जो विभिन्न क्षेत्रों में भारत तथा संयुक्त अरब अमीरात के बीच संबंधों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा कि पहला समझौता ज्ञापन, जिस पर हस्ताक्षर किए गए, वह बिजली संपर्क और व्यापार के क्षेत्र में सहयोग से जुड़ा था। इस विशेष एमओयू का मकसद दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों में हमारी साझेदारी को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करना है, एक ऊर्जा सुरक्षा से संबंधित और दूसरा ऊर्जा व्यापार से संबंधित है। स्वच्छ ऊर्जा व्यापार इस समझौता ज्ञापन का एक महत्वपूर्ण खंड है। उन्होंने कहा कि यह स्वाभाविक रूप से हरित हाइड्रोजन और ऊर्जा भंडारण पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) के सशक्तिकरण और संचालन के लिए सहयोग से संबंधित अंतर-सरकारी रूपरेखा समझौता क्षेत्रीय संपर्क को आगे बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि इस समझौते के तहत मुख्य क्षेत्रों में लॉजिस्टिक्स मंचों पर सहयोग शामिल है जो इन विशेष गलियारों के उद्देश्यों को आगे बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान सितंबर में नई दिल्ली में भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे की घोषणा की गई थी। आईएमईसी को चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। यह भारत, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सऊदी अरब, जॉर्डन, इज़राइल और यूरोप को जोड़ेगा।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा संयुक्त अरब अमीरात के निवेश मंत्रालय और भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स तथा प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने डिजिटल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में सहयोग पर समझौता ज्ञापन डिजिटल बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश सहयोग सहित व्यापक सहयोग के लिए एक रूपरेखा तैयार करेगा। साथ ही प्रौद्योगिकी ज्ञान, कौशल और विशेषज्ञता को साझा करने की सुविधा भी प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (एनएमएचसी) के विकास पर समझौता ज्ञापन दोनों देशों के बीच जुड़ाव को बढ़ावा देगा। इसका उद्देश्य गुजरात के लोथल में समुद्री विरासत परिसर का समर्थन करना है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (एनएमएचसी) भारत के गुजरात के भावनगर जिले में लोथल के पास एक निर्माणाधीन पर्यटन परिसर है जो भारत की समुद्री विरासत को प्रस्तुत करेगा। इस परिसर में संग्रहालय, मनोरंजन पार्क, शैक्षणिक संस्थान, होटल और रिजॉर्ट होंगे।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा तत्काल भुगतान मंच (भारत का) यूपीआई और (यूएई का) एएनआई को जोड़ने संबंधी समझौते से दोनों देशों के बीच निर्बाध सीमा पार लेनदेन की सुविधा मिलेगी। उन्होंने कहा कि घरेलू डेबिट/क्रेडिट कार्ड-रुपे (भारत) को जयवान (यूएई) के साथ जोड़ने पर समझौता वित्तीय क्षेत्र में सहयोग के निर्माण में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पूरे यूएई में रुपे की सार्वभौमिक स्वीकृति को बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने आईआईटी अबू धाबी में छात्रों के पहले बैच से भी बातचीत की। उन्होंने मंगलवार शाम को जायद स्पोर्ट्स सिटी में ‘अहलान मोदी’ नामक एक कार्यक्रम में भारतीय प्रवासियों की एक सभा को संबोधित भी किया तथा बुधवार को अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि जिस तरह इस समय अरब देशों में भी नारायण नारायण और जय श्रीराम की गूंज हो रही है उससे साबित होता है कि मोदी है तो कुछ भी मुमकिन है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा कतर का दौरा दर्शाता है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने कैसे भारत के संबंध इस देश के साथ सुदृढ़ किये हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में नौसेना के 8 पूर्व कर्मियों की रिहाई इसीलिए संभव हो सकी क्योंकि मोदी ने स्वयं इसके लिए प्रयास किया था। उन्होंने कहा कि खास बात यह है कि कतर किसी की सजा माफ भी करता है तो वह सिर्फ दिसंबर में ही करता है लेकिन मोदी और भारत के लिए उसने अपने इस नियम को दरकिनार कर फरवरी माह में 8 भारतीयों को पूरी तरह माफ करते हुए रिहा कर दिया। उन्होंने कहा कि एक संदेश स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विदेश में मौजूद भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के हमेशा प्रयास किए हैं और इसके लिए अन्य देशों के नेताओं से बात की है।
प्रश्न-2. चुनाव बाद पाकिस्तान के जो हालात बने हैं वह क्या दर्शा रहे हैं?
उत्तर- इसमें कोई दो राय नहीं कि पाकिस्तान की जनता ने सेना के साथ ही नवाज शरीफ को भी सबक सिखाया है। उन्होंने कहा कि नवाज शरीफ ने अपने तीनों कार्यकाल में सिर्फ अपने परिवार के लिए दौलत कमाने के अलावा कुछ नहीं किया इसीलिए भले सेना ने उन्हें माफ कर दिया हो लेकिन जनता उन्हें माफ नहीं कर पाई है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा जिस तरह नवाज शरीफ ने लंदन में बैठे-बैठे अपने भाई शहबाज शरीफ के जरिये जिस तरह पाकिस्तान की निर्वाचित सरकार को गिरा कर इमरान खान को सेना की मदद से सलाखों के पीछे पहुँचाया उससे जनता बहुत नाराज है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के इतिहास में यह पहली बार है जब सेना के उद्देश्यों पर वहां की जनता ने पानी फेर दिया है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अब पाकिस्तान में जिस तरह के हालात हैं उसके मुताबिक शहबाज शरीफ का नाम आगे कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि लेकिन यह नवाज शरीफ के राजनीतिक कॅरियर का अंत नहीं है क्योंकि वह अब रिमोट कंट्रोल से सरकार चलाएंगे। उन्होंने कहा कि यदि सब कुछ योजना के अनुसार हुआ, तो अगले महीने की शुरुआत में छह-दलीय गठबंधन सरकार के सत्ता संभालने की संभावना है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन), पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) समेत तीनों दलों में से किसी को भी आठ फरवरी को हुए आम चुनावों में नेशनल असेंबली में बहुमत हासिल करने के लिए आवश्यक सीटें नहीं मिली हैं। इसलिए इनमें से कोई भी दल अकेले सरकार बनाने में सक्षम नहीं है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि पाकिस्तान में राजनीतिक दलों के बीच इमरान खान को सत्ता से दूर रखने के लिए जो डील हुई है उसके मुताबिक पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) केंद्र में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाने पर सहमत हो गयी है लेकिन उसने अपने शीर्ष नेता आसिफ अली जरदारी के लिए राष्ट्रपति पद मांग लिया है। उन्होंने कहा कि अगर स्थिति में कोई बदलाव नहीं होता है तो देश में पीएमएल-एन पार्टी का प्रधानमंत्री और पीपीपी का राष्ट्रपति देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि पीपीपी अध्यक्ष जरदारी 2008 से 2013 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के मौजूदा राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी इस महीने के अंत तक अपना पद छोड़ने वाले हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि चुनावों के साथ ही पाकिस्तान की सेना को वहां की शीर्ष अदालत से भी बड़ा झटका लगा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने शक्तिशाली सेना की कारोबारी गतिविधियों के प्रति कड़ा रुख अपनाते हुए सरकार से यह सुनिश्चित करने का आश्वासन मांगा है कि सशस्त्र बल कारोबार के बजाय केवल रक्षा संबंधी मामलों पर ध्यान दें। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया है कि देश के सभी संस्थानों को अपनी संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह मामला पूर्व सीजेपी गुलजार अहमद द्वारा 2021 में शुरू किया गया था जब अदालत का ध्यान कराची में छावनी बोर्ड की भूमि के अवैध उपयोग की ओर आकर्षित किया गया था। उन्होंने कहा कि इस भूमि का अधिग्रहण रणनीतिक उद्देश्यों के लिए किया गया था, लेकिन इसका उपयोग वाणिज्यिक लाभ के लिए किया गया था। उन्होंने कहा कि सेना ने सैन्य भूमि पर ‘मैरिज हॉल’ स्थापित किए हैं जोकि आश्चर्यजनक है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि लेकिन पाकिस्तान में पिक्चर अभी बाकी है क्योंकि वहां की सेना को लगता है कि 1970 जैसे हालात दोबारा पैदा हो सकते हैं जब मुजीबर रहमान को सताया जा रहा था तो जनता उनके साथ खड़ी हो गयी थी और पाकिस्तान का विभाजन हो गया था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सेना को लगता है कि यदि जनता ने विद्रोह किया और इमरान खान का साथ दिया तो कहीं देश का फिर से टुकड़ा ना हो जाये। उन्होंने कहा कि वैसे भी बलूचिस्तान समेत विभिन्न इलाकों में पहले से ही अशांति है और वहां के कई गुट सही मौके की ताक में हैं।
प्रश्न-3. इजराइल अब रफा पर तेजी से हमले करता जा रहा है, इसे लेकर मिस्र ने भी चेतावनी दी है। आने वाले दिनों में यह संघर्ष क्या नया मोड़ ले सकता है?
उत्तर- इजराइल जिस तेजी से रफा पर हमले कर रहा है उससे अंतरराष्ट्रीय जगत चिंतित तो है लेकिन कोई उसे समझाने का प्रयास सही मायनों में करता नहीं दिख रहा है। उन्होंने कहा कि रफा में हमास के आतंकवादियों की खोज में अस्पतालों से लेकर शिविरों में रह रहे लोगों पर हमले मानवता के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि यही नहीं इजराइल लेबनान में हिज्बुल्ला से भी मोर्चा लिये हुए है। उन्होंने कहा कि रफा में बढ़ते हमलों को देखते हुए मिस्र इसलिए चिंतित है कि यदि लोग भाग कर उसकी सीमा में आये तो उसके लिए एक नया संकट खड़ा हो जायेगा। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष अभी लंबा चलता नजर आ रहा है।
प्रश्न-4. रूस-यूक्रेन युद्ध अब किस दिशा में आगे बढ़ रहा है?
उत्तर- दो वर्ष की अवधि पूर्ण करने की ओर बढ़ रहा यह युद्ध अब तक किसी निर्णय पर नहीं पहुँचा है। उन्होंने कहा कि वैसे दुनिया जानती है कि रूस की जीत तय है लेकिन उसे जीत से दूर रखने के लिए अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने अब तक पूरा जी-जान लगा रखा था लेकिन अब उनका भी धैर्य समाप्त होने लगा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में चूंकि इस साल राष्ट्रपति चुनाव भी हैं इसलिए यूक्रेन को मदद जारी रखने या नहीं रखने को लेकर राजनीतिक मतभेद बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि ऐसी स्थिति इस पूरे साल बनी रही तो यूक्रेन युद्ध के मैदान में ज्यादा समय तक नहीं टिका रह पायेगा।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा इस मामले में ताजा खबर यह है कि नाटो के महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में चेतावनी दी है कि यूक्रेन के लिए नई सैन्य सहायता में अमेरिकी कांग्रेस की देरी का पहले से ही युद्ध के मैदान पर असर पड़ रहा है। जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा कि उन्हें अब भी विश्वास है कि कांग्रेस अंततः रुके हुए $60 बिलियन डॉलर के पैकेज को भी मंजूरी दे देगी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा यूक्रेन ने कहा है कि उसकी अर्थव्यवस्था ढहने की कगार पर है और युद्ध से तबाह हुए प्रतिष्ठानों के पुनर्निर्माण के लिए पैसा नहीं बचा है और काम के टलने से लागत बढ़ रही है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा एक सैन्य प्रवक्ता ने कहा है कि यूक्रेन अवदीवका में एक युद्धाभ्यास कर रहा है। साथ ही, यूक्रेन ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण शहर में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात कर दिया है, जो तीन तरफ से रूसी सेनाओं से घिरा हुआ है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा इस सप्ताह गुरुवार को यूक्रेन ने कहा कि रूसी हवाई और मिसाइल हमलों के बाद खेरसॉन और खार्किव में चार लोग मारे गए; जबकि रूसी सीमावर्ती शहर बेलगोरोड के अधिकारियों ने कहा कि यूक्रेनी रॉकेट हमले में कम से कम सात लोग मारे गए।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा फ्रांस और यूक्रेन ने सुरक्षा पर एक द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। उन्होंने कहा कि इस समझौते और मदद मांगने के लिए यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की फ्रांस और जर्मनी के दौरे पर हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा ब्रिटिश रक्षा सचिव ग्रांट शाप्स ने कहा है कि ब्रिटेन यूक्रेन के लिए लातविया के साथ एक प्रमुख ड्रोन क्षमता विकसित करेगा। उन्होंने कहा कि साथ ही एक खबर यह भी है कि यूक्रेनी सैन्य खुफिया ने यह दावा तेज कर दिया है कि यूक्रेन में रूसी सैनिक स्टारलिंक उपग्रह इंटरनेट टर्मिनलों का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वॉल स्ट्रीट जर्नल में कहा गया कि रूसियों के पास हजारों की संख्या में ये सुविधाएं हैं और वे दूसरे देशों से इन्हें खरीदकर "काफी लंबे समय से" इनका इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उधर स्टारलिंक ने कहा है कि वह रूस में या उसके साथ कोई व्यवसाय नहीं करता है, लेकिन वह इस बात से इंकार करने या इसका खंडन करने में विफल रहा है कि रूसी किसी तरह उसके टर्मिनल को प्राप्त कर रहे हैं और यूक्रेनी क्षेत्र में उनका उपयोग कर रहे हैं।
प्रश्न-5. चीन की आबादी घट रही है, मंदी भी देश में छा रही है, इसका क्या वैश्विक प्रभाव हो सकता है?
उत्तर- चीन ने घोषणा की है कि 2023 में उसकी जनसंख्या में गिरावट आई है। यह 1.4118 अरब से घटकर 1.4097 अरब रह गई है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के पूर्वानुमान से पता चलता है कि चीन की जनसंख्या 2050 तक घटकर 1.313 अरब हो जाएगी और फिर 2100 तक घटकर लगभग 80 करोड़ हो जाएगी। उन्होंने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है और इसका असर इसकी सीमाओं से परे भी होगा। उन्होंने कहा कि देखा जाये तो दो रुझान हैं जो इस तरह के जनसांख्यिकीय बदलाव को रेखांकित करते हैं। सबसे पहले वृद्ध जनसंख्या है, जिसमें 60 वर्ष और उससे अधिक आयु वालों का प्रतिशत वर्तमान में कुल जनसंख्या का 20% से अधिक है। दूसरा, जन्म दर में काफी गिरावट आई है, 2016 में एक करोड़ 78 लाख जन्म से 2023 में यह 90 लाख हो गई है। उन्होंने कहा कि ऐसे बदलावों के कई परस्पर संबंधित आर्थिक परिणाम सामने आ सकते हैं जो अंततः मध्य से दीर्घावधि में चीन की आर्थिक भलाई को प्रभावित कर सकते हैं और विश्व स्तर पर प्रतिध्वनित हो सकते हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अध्ययनों से पता चलता है कि जनसंख्या की उम्र बढ़ने से उद्यमशीलता नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकती है क्योंकि युवाओं का प्रतिशत उद्यमशीलता गतिविधियों से सकारात्मक रूप से जुड़ा हुआ है। इससे अर्थव्यवस्था की गतिशीलता बाधित होती है और धीमी आर्थिक वृद्धि में योगदान होता है। उन्होंने कहा कि चीन की आर्थिक वृद्धि उत्पादकता और रोजगार वृद्धि पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास सेवाओं या उत्पादों को उत्पन्न करने के लिए श्रम और पूंजी (धन) के प्रभावी संयोजन से प्रेरित होता है। उन्होंने कहा कि एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन में तीव्र आर्थिक मंदी वैश्विक विकास को नीचे ले जाएगी, जिसके प्रभाव विनाशकारी हो सकते हैं।