Shaurya Path: Israel-Hamas, Iran, Russia-Ukraine और Italy-China संबंधी मुद्दों पर Brigadier Tripathi से वार्ता

By नीरज कुमार दुबे | Aug 03, 2024

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) के साथ इजराइल-हमास संघर्ष के व्यापक रूप लेने, ईरान की ओर से इजराइल को दी गयी चेतावनी, रूस-यूक्रेन युद्ध और इटली तथा चीन के संबंधों पर चर्चा की। पेश है विस्तृत साक्षात्कार-


प्रश्न-1. गोलान हाइट्स पर हमले के बाद इजराइल ने हिजबुल्लाह कमांडर को मार गिराया। साथ ही ईरान में हमास के मुखिया इस्माइल हानियेह की हत्या का आरोप भी इजराइल पर लगा है। क्या आपको लगता है कि इजराइल-हमास संघर्ष अब और भीषण रूप ले सकता है?


उत्तर- इजराइल और हमास का संघर्ष भीषण रूप ले सकता है। लेकिन हालात इस तरह के नहीं है कि ईरान तत्काल कोई कार्रवाई करे। इजराइल के वर्तमान रुख को देखते हुए ईरान का उससे सीधे भिड़ना तेहरान के हित में नहीं है। ईरान के नये राष्ट्रपति पर बदला लेने का दबाव बढ़ गया है इसलिए आने वाले समय में कोई जवाबी कार्रवाई होगी जरूर।


प्रश्न-2. ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई ने इजराइल से हमास नेता इस्माइल हनियेह की हत्या का बदला लेने का संकल्प लिया है। क्या आपको लगता है कि ईरान अब इस लड़ाई में सीधा कूद सकता है?


उत्तर- ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने तेहरान में हमास के राजनीतिक नेता इस्माइल हानियेह की हत्या के प्रतिशोध में इज़राइल को "कड़ी सजा" देने का वादा किया है। उन्होंने कहा कि खामेनेई ने कहा है कि आपराधिक और आतंकवादी शासन ने हमारे घर में हमारे प्रिय अतिथि को शहीद कर दिया और हमें शोक संतप्त कर दिया। उन्होंने कहा कि खामेनेई ने कहा है कि हानियेह की हत्या का बदला लेना ईरान का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि यही नहीं, जो ईरान नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह को लेकर उत्सव के मूड़ में था उसे हानियेह के लिए देश में तीन दिन के सार्वजनिक शोक की घोषणा करनी पड़ी है।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि दूसरी ओर इजराइल ने अब तक इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। इज़रायली मीडिया ने बताया है कि मंत्रियों और अधिकारियों से कहा गया है कि वे हानियेह की हत्या पर टिप्पणी न करें। उन्होंने कहा कि एक चीज साफतौर पर दिख रही है कि इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का हाल का अमेरिकी दौरा सिर्फ आर्थिक या सैन्य मदद के लिए नहीं हुआ होगा। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि इस यात्रा के दौरान ईरान में ऑपरेशन को अंजाम देने में सीआईए की मदद हासिल की गयी हो। उन्होंने कहा कि ऐसे बड़े ऑपरेशनों में सर्वोच्च स्तर की गोपनीयता बरती जाती है इसलिए इजराइली प्रधानमंत्री वहां गये थे। उन्होंने कहा कि ईरान के राष्ट्रपति जिस हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मारे गये थे उस पर भी कई सवाल हैं। इसके पहले ईरान के सैन्य कमांडर को अमेरिका उड़ा ही चुका है। उन्होंने कहा कि इस्माइल हानियेह कतर में रहता था यह बात इजराइल को पता थी लेकिन उसे ईरान में मारने का फैसला कर तेहरान को कड़ा संदेश दे दिया गया है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि ईरान ने जिस तरह का गुस्सा दिखाया है उससे प्रदर्शित हो रहा है कि वह चुप तो नहीं बैठेगा लेकिन यह भी सही है कि उसके पास सीधी लड़ाई का विकल्प नहीं है। दरअसल ईरान का इजराइल के साथ बॉर्डर तो है नहीं। उसे इजराइल से लड़ाई लड़ने के लिए मिस्र या जॉर्डन से होकर जाना पड़ेगा जिसकी इजाजत उसे ये देश आसानी से देंगे नहीं। अगर उन्होंने ऐसा किया तो वह भी इस लड़ाई में शामिल माने जाएंगे जोकि उनके लिए नुकसानदेह होगा। उन्होंने कहा कि ईरान ने अगर इजराइल पर कोई हवाई हमला किया तो उसे उसका पलटवार भी झेलने के लिए तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा कि ज्यादा संभावना यही है कि ईरान प्रॉक्सी वार लड़े। वह पहले की तरह हमास और हिज्बुल्लाह को मदद देता रहेगा ताकि इजराइल पर हमले करवाये जा सकें। इसके अलावा यह भी हो सकता है कि वह अल कायदा या आईएसआईएस को दोबारा पैरों पर खड़ा करके उन्हें इजराइल और अमेरिका पर हमले के लिए तैयार करे। उन्होंने कहा कि यह भी हो सकता है कि ईरान विदेशों में स्थित इजराइली दूतावासों या इजराइली नागरिकों पर हमले करवाये लेकिन अगर उसने ऐसा किया तो उसे इजराइल के पलटवार के साथ ही संबंधित देश की सरकार की नाराजगी भी झेलनी होगी। उन्होंने कहा कि तुरंत की स्थिति में देखें तो ईरान किसी बड़े हमले के लिए तैयार नहीं है लेकिन यह भी सही बात है कि उसने जो बदला लेने की कसम खाई है, वह उसे पूरा जरूर करेगा। उन्होंने कहा कि ईरान में घुसकर जो हमला किया गया है उससे वहां की सरकार को घरेलू स्तर पर कई सवालों से जूझना पड़ रहा है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा हमें यह भी याद रखना चाहिए कि कुछ समय पहले जिस तरह ईरान ने पाकिस्तान पर मिसाइल हमला किया था तो उसे तगड़ा पलटवार मिला था। उसके बाद दोनों देशों ने बातचीत के माध्यम से रिश्तों को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाया। उन्होंने कहा कि यह दर्शाता है कि ईरान किसी बड़े युद्ध के लिए तैयार नहीं है।


प्रश्न-3. रूस ने यूक्रेन पर ड्रोन हमले तेज कर दिये हैं। इस बीच यूक्रेन के विदेश मंत्री ने चीन का दौरा कर चीनी विदेश मंत्री और राष्ट्रपति को अपने देश आने का निमंत्रण दिया है। खबरें हैं कि भारतीय प्रधानमंत्री भी यूक्रेन दिवस पर कीव की यात्रा कर सकते हैं। क्या यूक्रेन अब भारत और चीन के करीब जाकर रूस को राजनयिक रूप से घेरना चाह रहा है?


उत्तर- रूस ने यूक्रेन पर अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला इस सप्ताह किया।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि यूक्रेन ने कहा है कि बुधवार को रूस ने कीव पर कई ड्रोन हमले किए। उन्होंने कहा कि यह यूक्रेन को निशाना बनाकर किए गए अपने तरह के सबसे बड़े हमलों में से एक था, जिससे यूक्रेन की राजधानी को लगभग पूरी रात हवाई हमले के लिये अलर्ट पर रखा गया। उन्होंने कहा कि कीव के सैन्य प्रशासन के प्रमुख सेरही पोपको ने कहा है कि 90 के आसपास ड्रोन हमले किये गये और यूक्रेन की वायु रक्षा प्रणालियों ने 30 से अधिक ड्रोन नष्ट कर दिए। उन्होंने कहा कि जुलाई माह में यह कीव पर रूस का सातवां हमला था। उन्होंने कहा कि रूसी राज्य समाचार एजेंसियों ने बताया कि हमलों ने पूरे यूक्रेन में कई सैन्य हवाई अड्डों और सैन्य गोदामों को निशाना बनाया। उन्होंने कहा कि बताया जा रहा है कि शहर पर हमला कई दिशाओं से हुआ।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक यूक्रेन की भारत और चीन के साथ बढ़ते नजदीकी रिश्तों की बात है तो वह इसलिए भी हैं कि उन्होंने यह देख लिया है कि सिर्फ अमेरिका, नाटो या यूरोपीय देशों की बदौलत ही काम नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को समझ आ गया है कि अमेरिका में अगर राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप जीत गये तो पहले की तरह सैन्य और आर्थिक मदद नहीं मिल पायेगी। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका ने मदद में कटौती की तो नाटो के अन्य देश भी ऐसा ही करेंगे। इसलिए जेलेंस्की अब चाहते हैं कि इस युद्ध का कोई हल निकले। उन्होंने कहा कि वह जानते हैं कि रूस को मनाने का काम उसके दो मित्र देश भारत और चीन कर सकते हैं इसलिए वह इनकी ओर देख रहे हैं।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि युद्ध के दौरान पहली बार यूक्रेन के विदेश मंत्री ने चीन की यात्रा की है जोकि अपने आप में बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन ने चीनी विदेश मंत्री और राष्ट्रपति को अपने देश की यात्रा पर आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा कि चीन पहले भी दोनों देशों के बीच शांति वार्ता का प्रस्ताव रख चुका है जिस पर बात आगे नहीं बढ़ पाई थी। उन्होंने कहा कि चीन ने यूक्रेन पर क्रेमलिन के 29 महीने पुराने आक्रमण के मुद्दे पर खुद को तटस्थ बताया है, लेकिन मॉस्को के साथ उसने घनिष्ठ संबंध बनाए रखा है। उन्होंने कहा कि चीन ने जून में कीव द्वारा आयोजित शांति शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा नहीं लिया था। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मिलने के लिए पिछले सप्ताह चीन की यात्रा की थी। उन्होंने कहा कि यह एक और संकेत है कि कीव और बीजिंग के बीच बातचीत "बहुत गतिशील रूप से विकसित हो रही है।"


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की और शी जिनपिंग के बीच संभावित बैठक की दिशा में भी काम निरंतर जारी है। उन्होंने कहा कि वैसे युद्ध शुरू होने के बाद से, दोनों ने केवल एक बार अप्रैल 2023 में टेलीफोन पर बात की है। उन्होंने कहा कि यूक्रेनी विदेश मंत्री ने चीनी विदेश मंत्री को यूक्रेन की यात्रा के लिए आमंत्रित किया है और बीजिंग ने संकेत दिया है कि उसे इस निमंत्रण में दिलचस्पी है। उन्होंने कहा कि यूक्रेनी विदेश मंत्री चीन से कह कर आये हैं कि उनका देश रूस के साथ युद्ध पर बातचीत के लिए तभी तैयार होगा जब यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का पूरा सम्मान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हालांकि अभी देखना होगा कि चीन का यूक्रेन मुद्दे पर क्या रुख रहता है क्योंकि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन ने रूस को राजनयिक समर्थन प्रदान किया है और उसकी युद्धकालीन अर्थव्यवस्था को चालू रखने में मदद की है।


प्रश्न-4. इटली की प्रधानमंत्री ने चीन के साथ अपने देश के संबंध सुधारने का जो ऐलान किया है उसके क्या मायने हैं?


उत्तर- यह दोनों देशों के संबंधों में आये सुधार को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद जॉर्जिया मेलोनी चीन की पहली यात्रा पर गईं जहां उनकी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत तमाम वरिष्ठ मंत्रियों और बिजनेस लीडर्स से बात हुई। उन्होंने कहा कि व्यापार एक ऐसा विषय है जोकि दोनों देशों को एक बार फिर करीब लाया है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इटली की प्रधानमंत्री मेलोनी ने बीजिंग की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा के दौरान तीन साल की कार्य योजना पर हस्ताक्षर करते हुए चीन के साथ सहयोग को "पुनः शुरू" करने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि मेलोनी 2022 से इटली की दक्षिणपंथी सरकार का नेतृत्व कर रही हैं। उन्होंने जिस तरह से चीन की बीआरआई परियोजना से बाहर होने का ऐलान किया था उससे दोनों देशों के संबंध खराब हो गये थे। उन्होंने कहा कि अब इतालवी प्रधानमंत्री ने चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग के साथ एक बैठक के दौरान बड़ी घोषणा कर दोनों देशों के संबंधों को नये मुकाम पर ले जाने का ऐलान किया है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इतालवी प्रधानमंत्री की पांच दिवसीय चीन यात्रा दोनों देशों के द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि मेलोनी का चीन में दिया गया संबोधन दर्शाता है कि वह वाकई चीन के साथ अच्छे संबंध बनाना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच जो समझौता हुआ है उसका लक्ष्य सहयोग के नये रास्ते तलाशना भी है। उन्होंने कहा कि साथ ही इटली और चीन द्वारा हस्ताक्षरित औद्योगिक सहयोग समझौते में विद्युत गतिशीलता और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे रणनीतिक औद्योगिक क्षेत्र भी शामिल हैं।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग के कार्यालय से जारी बयान से पता चलता है कि "जहाज निर्माण, एयरोस्पेस, नई ऊर्जा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मध्यम आकार के उद्यमों'' के बीच पारस्परिक रूप से लाभप्रद सहयोग की दिशा में काम करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि इतालवी प्रधानमंत्री मेलोनी चाहती हैं कि चीनी निवेश इटली की कमजोर आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा दे। उन्होंने कहा कि मेलोनी ने अपनी चीन यात्रा के दौरान इटली-चीन व्यापार मंच में भी भाग लिया। उन्होंने कहा कि इसमें इतालवी टायर निर्माता पिरेली, ऊर्जा समूह ईएनआई, रक्षा समूह लियोनार्डो, शराब उत्पादक और डोल्से तथा गब्बाना जैसे कई इतालवी लक्जरी फैशन समूहों सहित विभिन्न कंपनियों को आमंत्रित किया गया था।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि 2019 में इटली बेल्ट एंड रोड पहल में शामिल होने वाले सात देशों का एकमात्र समूह बन गया था लेकिन बीजिंग की आर्थिक पहुंच के बारे में चिंताओं पर अमेरिकी दबाव के तहत पिछले साल वह इससे पीछे हट गया था। उन्होंने कहा कि मेलोनी की सरकार ने कहा था कि इस सौदे से इटली को कोई लाभ नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि मेलोनी की इस यात्रा के बारे में चीनी मीडिया में आया है कि उनकी यात्रा का उद्देश्य बेल्ट एंड रोड से इटली के बाहर जाने के मुद्दे पर "कुछ गलतफहमियों को स्पष्ट करना" और आर्थिक संबंधों के महत्व पर जोर देना था। उन्होंने कहा कि चीन में इतालवी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कुल 15 बिलियन यूरो ($16 बिलियन) है और 1,600 से अधिक इतालवी कंपनियाँ चीन में सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि इतालवी कंपनियां विशेष रूप से कपड़ा, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, फार्मास्यूटिकल्स, ऊर्जा और भारी उद्योग के क्षेत्र में कार्यरत हैं।

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