अपने 'दोस्‍त' की खातिर भारत ने रूस के प्रस्ताव को किया खारिज, क्या है वोस्‍टोक 2022 जिसमें हिस्सा लेने से किया इनकार

By अभिनय आकाश | Aug 30, 2022

भारत और चीन के बीच लगातार तनाव बना हुआ है। लद्दाख में एलएसी के पास दोनों देश आमने-सामने है। एलएसी के अलावा भी दोनों देश कई जगह पर आपस में भिड़ रहे हैं। हाल ही में चीन में भारत के विरोध के बावजूद श्रीलंका में अपने जासूसी जहाज को भेजा। चीन पाकिस्तान और अफगानिस्तान में भी अपनी सेनाएं भेजना चाहता है। इसके परिणामस्वरूप भारत की तरफ से भी चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है। भारत ने बीते दिनों चीनी सीमा के पास अमेरिकी सेनाओं के साथ मिलकर युद्धभ्यास भी किया। इसी गतिरोध के बीच खबर सामने आई कि सीमा पर जारी तनाव के बीच भारत और चीन की सेनाएं एक साथ युद्धाभ्यास में शामिल होने वाली हैं। इस युद्धाभ्यास में भारत और चीन की सेनाएं एक साथ युद्ध का अभ्यास करेंगी। वोस्टोक 2022 नाम का युद्धाभ्यास रूस में आयोजित होने वाला है। इस युद्धभ्यास में भारत, चीन और रूस के अलावा बेलारूस, मंगोलिया, तजाकिस्तान की सेनाएं भी हिस्सा लेंगी। 1 से 7 सितंबर के बीच वोस्‍टोक 2022 युद्धाभ्यास का आयोजन होगा। रूस की तरफ से कहा गया है कि इसमें शामिल होने के लिए सभी देशों ने अपनी सहमति दे दी है और इसका मौजूदा क्षेत्रीय तनाव से कोई लेना देना नहीं है। जापान सागर में किए जाने वाले युद्धाभ्यास को लेकर भारत की तरफ से भी अब रूख साफ कर दिया गया है। इस युद्धाभ्‍यास के लिए रूस ने भारत को भी आमंत्रित किया था, लेकिन नई दिल्‍ली ने नहीं कर दिया। ऐसे में आज आपको बताते हैं कि क्या है वोस्टोक 2022, भारत ने क्यों नौसैनिक अभ्‍यास से किया किनारा। 

चीन, भारत एवं अन्य देशों के 50 हजार सैनिक लेंगे हिस्सा

भारत की तरफ से अभ्‍यास में शामिल होने से मना करने से पहले रूस ने दावा किया था कि ‘वोस्तोक 2022 सैन्य अभ्यास’ एक से सात सितंबर तक सुदूर पूर्व और जापान सागर में विभिन्न स्थानों पर आयोजित किया जाएगा और इसमें चीन, भारत तथा कई अन्य देशों के 50,000 से अधिक सैनिक शामिल होंगे। रूस की सरकारी समाचार एजेंसी तास ने रक्षा मंत्रालय के हवाले से एक बयान में कहा है कि एक से सात सितंबर तक ईस्टर्न मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के सात प्रशिक्षण मैदानों पर और ओखोतस्क सागर एवं जापान सागर के समुद्री और तटीय क्षेत्रों में ‘रक्षात्मक और आक्रामक अभियानों का अभ्यास’ किया जाएगा। बयान में कहा गया है, ‘‘रणनीतिक युद्धाभ्यास 50,000 से अधिक सैनिकों और 5,000 से अधिक आयुध और सैन्य हार्डवेयर, विशेष रूप से, 140 विमान, 60 लड़ाकू जहाज, गनबोट और सहायक पोतों को एक साथ लायेगा।’’ बयान के अनुसार, इस सैन्य अभ्यास में चीन, भारत, लाओस, मंगोलिया, निकारागुआ, सीरिया और कई पूर्व सोवियत राष्ट्रों के सैनिक भाग लेंगे।  

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भारत ने क्यों किया इनकार

रूस और चीन की नौसेना के युद्धपोत सी ऑफ ओखोट्स्क और जापान सागर में वोस्टोक 2022 नाम से जोरदार युद्धाभ्यास शुरू करने जा रहे हैं। माना जा रहा है कि इस अभ्यास के जरिए रूस और चीन दोनों ही अमेरिका और जापान के साथ तनाव के बीच शक्ति प्रदर्शन करने जा रहे हैं। भारत और जापान की दोस्ती किसी से छुपी नहीं है। रूस और चीन की इस रणनीति और जापान के साथ रिश्ते की संवेदनशीलता को देखते हुए नौसैनिक अभ्यास से भारत ने किनारा किया है। बता दें कि इस अभ्यास का जापान की तरफ से विरोध भी किया गया है। इससे पहले भारत ने वोस्टोक 2022 बहुदेशीय सैन्य अभ्यास के लिए रूस के आमंत्रण को स्वीकार किया था। 

जापान के आग्रह को रूस ने नकारा, भारत ने स्वीकारा 

भारत की भागीदारी केवल रणनीतिक कमांड और स्टाफ ड्रिल तक सीमित रहेगी। इसमें रूस, चीन, सीरीया, तजाकिस्तान, अजरबैजान, बेलारूस, कजाखस्तान, किर्गिस्तान और लाओस हिस्सा लेंगे। जापान की तरफ से रूस के नौसैनिक अभ्यास का कड़ा विरोध जताया गया है। उसकी उत्तरी सीमा के पास स्थित कुरिल द्वीप जिस पर जापान और रूस दोनों ही दावा करते हैं। दक्षिणी कुरिल द्वीप समूह जापान के होक्‍कैदिओ और रूस के कामचाटका द्वीप समूह के बीच स्थित है। जापान ने रूस के साथ अपने व‍िरोध को दर्ज करा दिया है। जापान के आग्रह को स्वीकार करते हुए भारत ने इस सैन्य अभ्यास से किनारा कर लिया है। जापान के विरोध को दरकिनार करते हुए रूस की तरफ से अपने नौसैनिक अभ्यास को जारी रखने का ऐलान किया है। रूस के रक्षा मंत्रालय की तरफ से ये साफ किया गया कि चीन के साथ मास्को के युद्धपोत जापान सागर में एक साथ मिलकर अपनी ताकत का प्रदर्शन करेंगे और समुद्री इलाके की सुरक्षा करेंगे। 

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चीन ने युद्ध अभ्यास को लेकर क्या कहा?

चीनी रक्षा मंत्रालय की ओर जारी एक बयान के मुताबिक, पीएलए ने इस युद्ध अभ्याल में हिस्सा लेने के लिए अपने सैनिकों को रूस भेजा है। चीन ने कहा कि उसका उद्देश्य इस युद्ध अभ्यास में भाग लेने वाले देशों की सेनाओं के साथ व्यावहारिक और मैत्रीपूर्ण सहयोग को गहरा करने के साथ इसमें हिस्सा लेने वाले पक्षों के साथ राणनीतिक समन्वय को बढ़ाना और विभिन्न सुरक्षा खतरों से निपटने की क्षमता में वृद्धि करना है। 

भारत और जापान की दोस्ती 

भारत और जापान एशिया के दो अलग-अलग देश हैं और दोनों देशों के बीच लगभग 6 हजार किलोमीटर की दूरी है। हालांकि भारत और जापान के बीच एक बहुत बड़ी समानता ये है कि दोनों देशों की सीमाएं चीन से लगती हैं। चीन भारत की तरह जापान को भी एक प्रतिद्ववंदी देश के तौर पर देखता है। जापान और भारत के बीच की दोस्ती बेहद गहरी और पुरानी है। चाहे वो 1949 के दौर में नेहरू द्वारा टोक्यो के चिड़ियाघर को हाथी का एक बच्चा भेंट किया जाना हो या मोदी और शिजों आबे का याराना हो। जापान क्वाड का सदस्य देश भी है और भारत के लिए बड़ा निवेशक भी है। भारत ने अमेरिका और पश्चिमी देशों के दबाव के बाद भी यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस की आलोचना नहीं की थी। इस बीच चीन और जापान के बीच ताइवान को लेकर तनाव काफी बढ़ गया है। चीन की सीमा के पास जापान अपनी क्रूज मिसाइलों की तैनाती करने जा रहा है। ऐसे में भारत ने जापान के साथ अपने रिश्तों को देखते हुए रूस के प्रस्‍ताव को खारिज कर दिया। -अभिनय आकाश

 

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