By अनुराग गुप्ता | Jul 25, 2020
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत के साथ जिन देशों की सरकारी सीमा है उन्हें सरकारी ठेका हासिल करने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ेगी। बोली लगाने वाले लोग इसके लिए तभी सक्षम हो पाएंगे जब वह डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटर्नल ट्रेड (DPIIT) की रजिस्ट्रेशन कमिटी में रजिस्टर्ड होंगे। इससे नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और म्यांमार अलग रखा गया है। क्योंकि जिन देशों को भारत कर्ज देता है या विकास के लिए मदद करता है उन्हें रजिस्ट्रेशन कराने से जुड़े मसले से अलग रखा गया है।
भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर यह नियम बनाया है। इससे दो पड़ोसी देशों- चीन और पाकिस्तान को खासा नुकसान होता हुआ दिखाई दे रहा है। भारत सरकार के इस नए नियम को चीनी उत्पादों और निवेश को सीमित करने की दिशा में भारत के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।
चीनी कम्पनियों को लगा तगड़ा झटका
चीन की स्मॉर्टफोन निर्माता कम्पनी शाओमी, ओप्पो, रियलमी जैसी कम्पनियों को रजिस्ट्रेशन प्रोसेस से गुजरना पड़ेगा। ऐसे में उन्हें कई सारे मंत्रालयों की समिति से अनुमति लेनी पड़ेगी तभी वह सरकारी ई-मार्केटप्लेस पर अपने उत्पादों की बिक्री कर पाएंगे। वहीं दवा कम्पनियों को भी इस नए नियम की मार सहनी पड़ेगी।
इलेक्ट्रॉनिक सामानों का निर्माण करने वाली कम्पनी लेनोवो को लेकर अभी संशय बरकरार है। क्योंकि लेनोवो की पेरेंट कम्पनी चीन में शुरू हुई थी लेकिन बाद में उसने खुद को हांगकांग में रजिस्टर्ड करा लिया था।
गौरतलब है कि भारत ने चीन पर डिजिटल स्ट्राइक करते हुए 59 चीनी ऐपों को देश के लिए खतरा बताते हुए बैन कर दिया था। जिनमें टिक टॉक, यूसी जैसे ऐप भी शामिल थे। भारत में इन ऐपों के करोड़ों यूजर्स थे और प्रतिबंधित करने की वजह से चीन को भारी नुकसान हुआ था।