By अंकित सिंह | Aug 10, 2023
अविश्वास प्रस्ताव अपने आखिरी चरण में है। आज पीएम नरेंद्र मोदी लोकसभा में बोलने वाले हैं। इन सब के बीच तीसरे दिन की चर्चा की शुरूआत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की। सबसे पहले उन्होंने वैश्विक आर्थिक स्थिति पर बोलना शुरू किया। भारतीय अर्थव्यवस्था पर बोलते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि यूपीए के शासन के दौरान, नागरिकों को लाभ मिलना चाहिए था और एनडीए के शासन के दौरान लोगों को पहले से ही लाभ मिल रहा है। यूपीए और एनडीए सरकार के बीच अंतर बताते हुए सीतारमण ने कहा के पहले होता था था 'मिलेगा' और अब होता है मिल गया।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 2013 में मॉर्गन स्टेनली ने भारत को दुनिया की पांच नाजुक अर्थव्यवस्थाओं की सूची में शामिल किया था। भारत को नाजुक अर्थव्यवस्था घोषित किया गया था। आज उसी मॉर्गन स्टेनली ने भारत को अपग्रेड किया और ऊंची रेटिंग दी। उन्होंने कहा कि 9 वर्षों में, हमारी सरकार की नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था ऊपर उठी और आर्थिक विकास हुआ - कोविड के बावजूद। आज, हम दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था हैं। उन्होंने कहा कि भारत अपने भविष्य के विकास को लेकर आशावादी और सकारात्मक होने की एक स्थिति में है। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि 'बनेगा, मिलेगा' जैसे शब्द अब प्रचलन में नहीं हैं। आजकल लोग क्या उपयोग कर रहे हैं? 'बन गए, मिल गए, आ गए।'
भाजपा नेता ने कहा कि यूपीए के दौरान लोग कहते थे 'बिजली आएगी', अब लोग कहते हैं 'बिजली आ गई'। उन्होंने कहा 'गैस कनेक्शन मिलेगा', अब 'गैस कनेक्शन मिल गया'...उन्होंने कहा एयरपोर्ट 'बनेगा', अब एयरपोर्ट 'बन गया'। उन्होंने कहा कि परिवर्तन वास्तविक डिलीवरी के माध्यम से आता है, न कि बोले गए शब्दों के माध्यम से। तुम लोगों को सपने दिखाते हो। हम उनके सपनों को साकार करते हैं। हम सभी को सशक्त बनाने और किसी के तुष्टिकरण में विश्वास नहीं करते। विपक्ष पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि जनता ने 2014 और 2019 में यूपीए के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया और उन्हें हरा दिया। 2024 में भी यही स्थिति होगी। गृह मंत्री ने कल कहा, यूपीए का नाम बदलने की क्या जरूरत?...इनमें गजब की एकता है. यह समझना मुश्किल है कि वे एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं या साथ मिलकर। कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री यहां के मोहल्ला क्लीनिक देखने दिल्ली आए। उन्होंने आकर कहा कि इनमें कुछ खास नहीं है और हम निराश हैं। ये उनकी लड़ाई का एक उदाहरण है।