By अभिनय आकाश | Sep 04, 2021
न्यूक्लियर मिसाइल व हवाई हमलों की निगरानी वाले जहाज अमेरिका, रूस, चीन और फ्रांस जैसे देश ही इससे लैस हैं। लेकिन अब भारत भी इस क्लब में शामिल होने जा रहा है। भारत की तरफ से अपने सीक्रेट प्रोजेक्ट के तहत एक मिसाइल ट्रैकिंग शिप को बनाया जा रहा था। इसे डीआरडीओ और राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (एनटीआरओ) के सहयोग से हिंदुस्तान शिपयार्ड द्वारा निर्मित किया गया है। इस प्रोजेक्ट को 30 जून 2014 को खुफिया तरीके से शुरू किया गया। इसकी रिपोर्टिंग हिन्दुस्तान शिपयार्ड द्वारा सीधे या तो प्रधानमंत्री कार्यालय या फिर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को किया करता था।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह की उपस्थिति में 10 सितंबर को इसे आईएनएस ध्रुव के रूप में कमीशन किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट को शुरुआती नाम वीसी-11184 नाम दिया गया था। लेकिन बाद में इसका नाम आईएनएस ध्रुव कर दिया गया है। चीन हिंद महासागर में ऐसे जहाजों और सर्वे शिप को नियमित रूप से भेजता है। इनका उपयोग नेविगेशन और पनडुब्बी संचालन के लिए उपयोगी समुद्री विज्ञान और अन्य डेटा का पता लगाने में भी किया जाता है। स्पेशल पोत आईएनएस ध्रुव के साथ ही भारत अमेरिका, रूस, चीन और फ्रांस जैसे देशों के एक चुनिंदा समूह में शामिल हो जाएगा।
दुश्मन की हर चाल पर नजर
आईएनएस ध्रुव एक विशाल जहाज है, जिसमें उन्नत तकनीकी उपकरणों की एक विस्तृत श्रृंखला और यहां तक कि एक हेलीकॉप्टर डेक भी है। यह दुश्मनों के बैलिस्टिक मिसाइलों का पता लगाने और उन्हें ट्रैक करने के लिए समुद्र पर एक अर्ली अलर्ट सिस्टम के रूप में कार्य करेगा। यह जमीन से छोड़े गए कई वारहेड्स के साथ या पनडुब्बियों को भी निशाना बना सकता है। इसमें भारत पर नजर रखने वाले जासूसी उपग्रहों की निगरानी के साथ-साथ पूरे क्षेत्र में मिसाइल परीक्षणों की निगरानी के लिए विभिन्न स्पेक्ट्रमों को स्कैन करने की क्षमता है। यह भारतीय नौसेना की क्षमता को अदन की खाड़ी से मलक्का, सुंडा, लोम्बोक, ओमबाई और वेटार जलडमरूमध्य के माध्यम से दक्षिण चीन सागर में प्रवेश मार्गों तक क्षेत्र की निगरानी के लिए जोड़ देगा।