स्वदेशी सुपरकंप्यूटर के उत्पादन की तैयारी में भारत

By इंडिया साइंस वायर | Oct 24, 2020

भारत वर्ष 2015 से ‘नेशनल सुपरकंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम)’ के अंतर्गत देश में सुपरकंप्यूटरों की श्रृंखला तैयार करने में जुटा है। शिक्षा, शोध और अनुसंधान से लेकर उद्योग, वाणिज्य, अंतरिक्ष अभियान, मौसम पूर्वानुमान तथा तेल ढूंढ़ने की मुहिम से लेकर दवाइयों की खोज में सुपरकंप्यूटर की भूमिका अहम है। 


मिशन के प्रथम चरण भारत ने सुपरकंप्यूटर के पुरजों का आयात कर देश में सुपरकंप्यूटर बनाने की शुरुआत की। वर्ष 2022 तक देश के 75 संस्थानों को सुपरकंप्यूटर से जोड़ने की मुहिम के अंतर्गत पहले सुपरकंप्यूटर ‘परम शिवाय’ (गणना क्षमता 837 टेराफ्लॉप) को वर्ष 2019 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बीएचयू, वाराणसी में स्थापित किया गया। इसके बाद, 1.66 पेटाफ्लॉप और 797 टेराफ्लॉप के दो और सुपरकंप्यूटर क्रमशः आईआईटी खड़गपुर और भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर), पुणे में स्थापित किये गए।

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एनएसएम इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की संयुक्त पहल है। इसे सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सीडैक), पुणे और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी), बेंगलुरु द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है। 


मिशन के दूसरे चरण में देश में सुपरकंप्यूटर नेटवर्क की गति को 16 पेटाफ्लॉप्स (पीएफ) तक पहुँचाने का लक्ष्य है, जो तीसरे चरण (जनवरी 2021) में बढ़कर 45 पेटाफ्लॉप्स तक पहुँच जाएगी। इसके अतिरिक्त दूसरे चरण में अप्रैल, 2021 तक आठ और संस्थानों को सुपर कंप्यूटिंग क्षमताओं से लैस करने की तैयारी अपने महत्वपूर्ण चरण में है। 


‘आत्मनिर्भरता’ को लक्ष्य बनाकर भारत में सुपरकंप्यूटर असेंबल करने के अतिरिक्त उनके विनिर्माण के लिए बुनियादी ढाँचा विकसित करने हेतु 14 प्रमुख संस्थानों के साथ सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इनमें आईआईटी, एनआईटी, नेशनल लैब और आईआईएसईआर जैसे संस्थान शामिल हैं। इसके अंतर्गत कुछ संस्थानों में सुपरकंप्यूटर स्थापित किए जा भी चुके हैं। शेष को वर्ष 2020 दिसंबर तक स्थापित कर दिया जाएगा। दूसरा चरण अप्रैल 2021 तक पूरा हो जाएगा।


एनएसएम के तीन चरणों के दौरान करीब 75 संस्थानों और हजारों शोधार्थियों एवं अकादमिक जगत से जुड़े लोगों को हाई परफॉरमेंस कंप्यूटिंग (एचपीसी) सुविधाओं तक पहुँच उपलब्ध होगी। ये संस्थान और शोधार्थी नेशनल नॉलेज नेटवर्क (एनकेएन) के जरिये काम करते हैं। एनकेएन सुपरकंप्यूटिंग सिस्टम की रीढ़ है।

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एचपीसी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) में एक साथ जोड़ा गया है। सीडैक में 100 एआई पीएफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सुपर कंप्यूटर सिस्टम विकसित कर इंस्टॉल किया गया है। यह एआई से जुड़े व्यापक स्तर के कामकाज को बड़ी आसानी से संभाल सकता है। इससे एआई से जुड़ी कंप्यूटिंग की स्पीड कई गुना बढ़ गई है। 


इस मिशन ने अगली पीढ़ी के सुपर कंप्यूटर विशेषज्ञों को भी तैयार किया है। इसके तहत अब तक 2,400 से अधिक पेशेवरों और संकाय सदस्यों को प्रशिक्षित किया गया है। एनएसएम के जरिये भारत के शोध संस्थानों का नेटवर्क उद्योग जगत के साथ मिलकर तकनीकी और विनिर्माण क्षमताओं को इस अनुपात में बढ़ा रहा है कि अधिक से अधिक पुरजे भारत में बनाए जा सकें। जहाँ पहले चरण में 30% वैल्यू एडिशन यानी मूल्यवर्धन भारत में हुआ, जिसका दायरा दूसरे चरण में बढ़कर 40% हो गया। 


इस अभियान में सर्वर बोर्ड, इंटरकनेक्ट प्रोसेसर, सिस्टम सॉफ्टवेयर लाइब्रेरी, स्टोरेज और एचपीसी-एआईआई कन्वर्ज्ड एक्सीलरेटर जैसे पुरजों को घरेलू स्तर पर डिजाइन और विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। भारत ने एक स्वदेशी सर्वर रूद्र विकसित किया है, जो सभी सरकारी और सार्वजनिक उपक्रमों की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकता है। यह पहला अवसर है, जब भारत में फुल सॉफ्टवेयर स्टैक के साथ एक सर्वर सिस्टम बनाया गया है, जिसे सीडैक ने विकसित किया है। 


विशेषज्ञों का कहना है कि चीजें जिस गति से आगे बढ़ रही हैं, उससे संभव है कि हम बहुत जल्द मदरबोर्ड और सब सिस्टम भी भारत में तैयार कर सकेंगे। इससे स्वदेशी सुपर कंप्यूटर का डिजाइन और विनिर्माण की राह आसान होगी।

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भारत में डिजाइन एवं विनिर्मित किए गए सिस्टम्स को मुख्य रूप से आईआईटी मुंबई, आईआईटी चेन्नई और इंटर यूनिवर्सिटी एक्सीलरेटर सेंटर (आईयूएसी) दिल्ली और सीडैक पुणे में लगाया जाएगा। इससे पूरी तरह देश में विकसित एवं विनिर्मित सुपर कंप्यूटर की दिशा में आगे बढ़ने और इस क्षेत्र में भारत के आत्मनिर्भर होने की मुहिम को प्रभावी बल मिलेगा। 


(इंडिया साइंस वायर) 

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