By अंकित सिंह | Apr 18, 2020
पूरा विश्व इस वक्त कोरोना महामारी के गंभीर संकट से जूझ रहा है। अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, इटली, स्पेन, कनाडा, फ्रांस जैसे विकसित देशों की हालत खराब है। इस बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महामारी से राहत और बचाव की राह तय करने के लिए भारतीय मिशन का नेतृत्व कर रहे हैं। इस त्रासदी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश का नेतृत्व करने के साथ-साथ विश्व के तमाम देशों तक खुद संवाद कर रहे हैं। यह नरेंद्र मोदी के नेतृत्व क्षमता का ही कमाल है कि देश में जैसे ही कोरोना ने दस्तक दी, पीएम ने लॉक डाउन करने में देर नहीं लगाई। इसी का नतीजा है कि अभी भी भारत में कोरोना महामारी काबू में है। प्रधानमंत्री कोरोना महामारी के खिलाफ सरकार की नीतियों को भी खुद ही अंतिम रूप दे रहे हैं। कोरोना महामारी के संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और टेलीफोन के जरिए दो दर्जन से ज्यादा राष्ट्र अध्यक्षों से बातचीत की है। कोरोना से लड़ाई और रणनीति को लेकर सभी से खुलकर चर्चा की है और कैसे विश्व को इससे महामारी से बचाया जाए इसको लेकर भी रणनीति बनाई गई है। पीएमओ सूत्रों ने दावा किया है कि 3 मार्च से लेकर 16 अप्रैल तक प्रधानमंत्री ने औसतन हर दिन एक राष्ट्राध्यक्ष से संपर्क किया है।
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प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों के अनुसार नरेंद्र मोदी खुद ही सभी की बातों को सुनते हैं और उस पर अमल करने की कोशिश करते हैं। लॉकडाउन की बात हो या फिर सोशल डिस्टेंसिंग की बात, प्रधानमंत्री ने कई बड़े मुद्दों पर लोगों से रचनात्मक सुझाव लिए है। इस लॉकडाउन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम चार संबोधन भी किए हैं। बार्क के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन को 20 करोड़ से ज्यादा देशवासियों ने देखा। 30 लाख लोगों ने इसे सुना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी प्रतिष्ठा के साथ साथ भारत की भी प्रतिष्ठा को गौरवान्वित किया है। तभी तो ब्राजील के राष्ट्रपति ने भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संकटमोचक करार दिया। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा कर रहे हैं। फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन जैसे देश भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बातें सुन रहा है। यह नेतृत्व का ही कमाल है कि भारत ने 55 देशों को हाइड्रोक्लोरिक दवाई मुहैया कराई है। यह दवाई कोरोना के खिलाफ जंग में बेहद ही कारगर साबित हो रही है। अपने देश के साथ-साथ दूसरे देशों की भी रक्षा करना प्रधानमंत्री ने जरूरी समझा। तभी तो हर देश के राष्ट्राध्यक्ष भारत का गुणगान कर रहे है।