भारत के पांच स्वर्ण पदक, विश्व युवा मुक्केबाजी प्रतियोगिता में बना चैम्पियन

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 27, 2017

गुवाहाटी। भारत यहां एआईबीए विश्व महिला युवा चैम्पियनशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए फाइनल्स के पहले दिन पांच स्वर्ण पदक अपनी झोली में डालकर पहली बार ओवरआल चैम्पियन बनने में सफल रहा। नीतू (48 किग्रा), ज्योति गुलिया (51 किग्रा), साक्षी चौधरी (54 किग्रा), शशि चोपड़ा (57 किग्रा) और अंकुशिता बोरो (64 किग्रा) ने स्वर्ण पदक जीते, जिससे भारत ने फाइनल्स के पहले दिन क्लीन स्वीप किया। इसमें हालांकि दर्शकों के स्टैंड में थोड़ी आग लगने से 45 मिनट की बाधा आयी।

इनमें से ज्योति ने अगले साल अर्जेंटीना में होने वाले युवा ओलंपिक खेलों के लिये भी क्वालीफाई किया क्योंकि वह शीर्ष पर रहीं और उनका जन्म 1999 के बाद का है। इनके अलावा नेहा यादव (81 किग्रा से अधिक) और अनुपमा (81 किग्रा) ने दो कांस्य पदक हासिल किया। जिससे भारत ने इस टूर्नामेंट में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। स्थानीय मुक्केबाज अंकुशिता को टूर्नामेंट की सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज चुना गया। भारत ने टूर्नामेंट के पिछले चरण में महज एक कांस्य पदक जीता था और 2011 के बाद से स्वर्ण पदक नहीं जीता था, जिसमें सरजूबाला देवी ने सोने का तमगा हासिल किया था।

भारतीय मुक्केबाजी महासंघ के अध्यक्ष अजय सिंह ने कहा, ‘‘आप यहां तोक्यो ओलंपिक में भारत के लिये संभावित ओलंपिक पदकधारियों को देख रहे हो। यह शानदार प्रदर्शन रहा और गुवाहाटी ने शानदार मेजबानी की।’’ उन्होंने स्वर्ण पदक जीतने वाली प्रत्येक मुक्केबाज के लिये दो दो लाख रूपये के नकद पुरस्कार की भी घोषणा की। नीतू सबसे पहले रिंग में उतरीं, उन्होंने कजाखस्तान की झाजिरा उराकबायेवा के खिलाफ शानदार प्रदर्शन किया। कजाखस्तान की मुक्केबाज का फुटवर्क भी अच्छा नहीं था और वह अपना संतुलन बनाये रखने में भी जूझ रही थी।

इस भारतीय मुक्केबाज ने कहा, ‘‘यह सेमीफाइनल की तुलना में आसान फाइनल था। मुझे यह इतना मुश्किल नहीं लगा।’’ नीतू ने अपनी प्रतिद्वंद्वी को आंकने में थोड़ा समय लिया लेकिन इसके बाद उसे पंच जड़ने में जरा भी मुश्किल नहीं हुई। ज्योति और रूस की कैटरीना मोलचानोवा का मुकाबला बराबरी का रहा। इस रोमांचक मुकाबले में दोनों मुक्केबाजों ने एक दूसरे पर एक के बाद एक मुक्के जड़े जिससे स्टेडियम में बैठे दर्शकों ने तालियां बजाकर लुत्फ उठाया।

रूसी मुक्केबाज हालांकि अपनी प्रतिद्वंद्वी को मिल रहे इतने समर्थन से जरा भी परेशान नहीं दिखी लेकिन ज्योति सही जगह मुक्के जड़ने के मामले में कहीं बेहतर रहीं। जिससे इस भारतीय ने सर्वसम्मति से जीत दर्ज की जिससे रूसी मुक्केबाज की आंखों में आंसू आ गये। साक्षी और इंग्लैंड की इवी जेन स्मिथ के बीच मुकाबला भी कुछ इसी तरह का था। स्मिथ का दबदबा ज्यादा दिख रहा था लेकिन जजों को ऐसा नहीं लगा जिन्होंने घरेलू प्रबल दावेदार के पक्ष में 3-2 से फैसला किया।

शशि को हालांकि वियतनाम की एनगोच डो होंग के खिलाफ ज्यादा पसीना नहीं बहाना पड़ा जिसमें उन्होंने 3-2 से जीत दर्ज की। दिन की अंतिम बाउट अंकुशिता ने रूस की कैटरीना डिंक पर 3-2 से जीत दर्ज की। भारत पहली बार इस चैम्पियनशिप की मेजबानी कर रहा है।

 

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