By अभिनय आकाश | Feb 08, 2024
महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) के बैनर तले विपक्ष को एक साथ लाने और भाजपा को सत्ता में आने से रोकने का बीड़ा उठाने के चार साल बाद दोनों नेता की स्थिति कमोबेश एक समान है। दोनों ने अपनी पार्टियों को खो दिया है जिनका वे नेतृत्व कर रहे थे। भारत के चुनाव आयोग ने शिंदे गुट और अजित गुट को ही असली शिवसेना और एनसीपी माना। दोनों धड़ों को ही भाजपा का समर्थन प्राप्त है। आगामी चुनावों में लोगों के बीच जाने के लिए अब ठाकरे और पवार के नेतृत्व वाले गुटों द्वारा 'महाराष्ट्रची अस्मिता' या महाराष्ट्र के गौरव का आह्वान करने की संभावना है। वहीं महाराष्ट्र में भाजपा अपनी संभावनाओं को बढ़ाने के लिए लोकसभा चुनाव में राज्य के वर्तमान और पूर्व मंत्रियों को मैदान में उतारना चाहती है। यह राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हाल के विधानसभा चुनावों में पार्टी की सफल रणनीति की तर्ज पर है, जिसमें केंद्रीय मंत्रियों और लोकसभा सांसदों को उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा गया था।
तमाम तरह के दावों के बीच इंडिया टुडे मूड ऑफ द नेशन (MOTN) पोल में भविष्यवाणी की गई है कि विपक्षी दल इंडिया गुट को महाराष्ट्र में बढ़त हासिल है क्योंकि आगामी लोकसभा चुनाव में उसे 26 सीटें मिलने की संभावना है। दूसरी ओर, सर्वेक्षण के अनुसार, भाजपा और उसके एनडीए सहयोगियों को राज्य की कुल 48 लोकसभा सीटों में से 22 सीटें जीतने का अनुमान है। सर्वेक्षण में इंडिया ब्लॉक को 45 प्रतिशत वोट शेयर मिलने का अनुमान लगाया गया है, जबकि एनडीए को 40 प्रतिशत वोट शेयर मिलने का अनुमान है।
कुछ समय से महाराष्ट्र की राजनीति में बहुत उथल-पुथल देखा जा रहा है। पहले शिवसेना अलग हुई और अब एनसीपी बंट गई। लेकिन इन सब के बीच उद्धव ठाकरे के रंग भी कुछ बदले-बदले नजर आये। शिवसेना (यूबीटी) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी की तारीफ की और कहा कि वो मोदी के दुश्मन नहीं हैं।