By अनन्या मिश्रा | Nov 26, 2024
शरीर में हीमोग्लोबिन का लेवल कम होने से महिलाओं को कमजोरी लगना, चक्कर आना, सांस लेने में दिक्कत और ठंड लगने की समस्या हो सकती है। यह महिलाओं को उनके गर्भ में पलने वाले बच्चे के लिए सही नहीं माना जाता है। इसलिए जरूरी है कि हर गर्भवती महिलाएं अपने हीमोग्लोबिन के लेवल को बैलेंस में बनाए रखने का प्रयास करें। इसके लिए आप अपनी डाइट में कुछ जरूरी चीजों को शामिल कर सकती हैं। तो आइए जानते हैं कि हीमोग्लोबिन के लेवल को बैलेंस में रखने के लिए डाइट में किन चीजों को शामिल करना चाहिए।
खाएं हरी-पत्तेदार सब्जियां
हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक प्रेग्नेंट महिलाओं को अपनी डाइट में हरे पत्तेदार सब्जियों को शामिल करना चाहिए। इससे शरीर में हीमोग्लोबिन का लेवल बढ़ जाता है। दरअसल, यह सब्जियां आयरन को एब्जॉर्व करती है। वहीं हरी पत्तेदार सब्जियों में विटामिन बी और सी की प्रर्याप्त मात्रा पाई जाती है। यह प्रेग्नेंट महिलाओं और गर्भ में पलने वाले बच्चे को स्वस्थ बनाए रखने में सहायता करती है।
मिलेट्स खाएं
मिलेट्स में कई तरह के फूड आइटम्स पाए जाते हैं। जैसे- ज्वार-बाजरा आदि। हेल्थ एक्सपर्ट की मानें, तो प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में हीमोग्लोबिन का लेवल बढ़ाने के लिए महिलाओं को अपनी डाइट में मिलेट्स को भी शामिल करना चाहिए। इससे बच्चे की ग्रोथ पर सकारात्मक असर पड़ता है। मिलेट्स का सेवन करने से प्रेग्नेंट महिलाओं में काफी ज्यादा मात्रा में हीमोग्लोबिन का लेवल बढ़ने लगता है।
खाएं सिट्रस फ्रूट
प्रेग्नेंसी के समय महिलाएं सिट्रस फ्रूट्स जैसे नींबू या संतरा खाना पसंद करती हैं। इससे मितली या उल्टी की समस्या कम होती है। लेकिन सिट्रस फ्रूट्स की सहायता से प्रेग्नेंट महिलाओं की बॉडी में हीमोग्लोबिन का लेवल बढ़ सकता है। क्योंकि सिट्रस फ्रूट्स में विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यह शरीर में आयरन को अवशोषित करने की क्षमता बढ़ाता है और हीमोग्लोबिन प्रोडक्शन के लिए जरूरी होता है।
चुकंदर खाएं
बता दें कि प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में महिलाओं को चुकंदर या फिर चुकंदर के जूस का सेवन करना चाहिए। हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक चुकंदर का सेवन गर्भवती महिलाओं में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाने में सहायता करता है। असल में, चुकंदर आयरन का अच्छा स्त्रोत होता है और इसकी सहायता से रेड ब्लड सेल्स तक ऑक्सीजन पहुंचता है। इसके साथ ही यह फोलिक एसिड का भी अच्छा स्त्रोत होता है। यह सेल्स और टिश्यूज के विकास में मदद करता है।