By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 22, 2022
संयुक्त राष्ट्र। भारत ने कहा है कि हिंसा को बढ़ावा देना शांति, सहिष्णुता और सद्भाव की भावना के खिलाफ है तथा संवैधानिक दायरे के भीतर विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का वैध प्रयोग लोकतंत्र को मजबूत करने तथा असहिष्णुता का मुकाबला करने में महत्वपूर्ण और सकारात्मक भूमिका निभाता है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि आर रवींद्र ने मंगलवार को यूक्रेन पर आयोजित, सुरक्षा परिषद की बैठक में यह बात कही। उन्होंने कहा कि निस्संदेह आतंकवाद सभी धर्मों और संस्कृतियों का विरोधी है। सुरक्षा परिषद की इस बैठक का विषय हिंसा को उकसावे से अत्याचार अपराध को बढ़ावा’ था।
रवींद्र ने कहा, ‘‘हमें कट्टरपंथ और आतंकवाद दोनों का ही सामूहिक रूप से मुकाबला करना चाहिए।’’ भारतीय राजदूत ने कहा कि संवैधानिक दायरे के भीतर विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का वैध प्रयोग लोकतंत्र को मजबूत करने, बहुलवाद को बढ़ावा देने तथा असहिष्णुता का मुकाबला करने में महत्वपूर्ण और सकारात्मक भूमिका निभाता है। आर रवींद्र ने कहा, ” हिंसा को बढ़ावा देना शांति, सहिष्णुता और सद्भाव की भावना के खिलाफ है। भारत हमेशा से यह मानता रहा है कि लोकतंत्र और बहुलवाद के सिद्धांतों पर आधारित समाज विविध समुदायों को एक साथ रहने के लिए एक बेहतर माहौल प्रदान करता है।” उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना संयुक्त राष्ट्र की जिम्मेदारी है किनफरत फैलाने वाले भाषणों और भेदभाव के खिलाफ अभियान कुछ चुनिंदा धर्मों और समुदायों तक ही सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि इसके दायरे में सभी प्रभावित लोगों को शामिल करना चाहिए।
उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यूक्रेन संकट ने न केवल यूरोप बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित किया है, और साथ ही यह युद्ध व्यापक क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव तथा अस्थिरता पैदा कर रहा है। रवींद्र ने कहा, “भारत यूक्रेन में गंभीर रूप से दिन-प्रतिदिन बिगड़ते हालात को लेकर बेहद चिंतित है तथा हिंसा को तत्काल समाप्त करने और शत्रुतापूर्ण भावना को समाप्त करने के अपने आह्वान को दोहराता है। हम इस युद्ध को समाप्त करने के लिए सभी राजनयिक प्रयासों का समर्थन करते हैं, हम विशेष रूप से यूक्रेन और रूस के बीच बातचीत का समर्थन करते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि हमने पहले भी कहा है, हम यूक्रेन में अत्याचारों की स्वतंत्र रूप से जांच के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के आह्वान का समर्थन करते हैं।’’ उन्होंने खाद्य सुरक्षा पर विवाद के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए रचनात्मक रूप से काम करने की भारत की प्रतिबद्धता को भी दोहराया।