New Parliament Building के उद्घाटन समारोह को भव्य और दिव्य बनाने की तैयारियां पूरी, यह रहा कार्यक्रम विवरण

By नीरज कुमार दुबे | May 26, 2023

एक ओर कुछ विपक्षी दल संसद के नये भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार कर रहे हैं तो दूसरी ओर उद्घाटन समारोह को भव्य और दिव्य बनाने की तैयारियां भी जोरशोर से चल रही हैं। बताया जा रहा है कि नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह रविवार को सुबह हवन और विभिन्न धर्मों की प्रार्थना के साथ शुरू होगा जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा कक्ष में औपचारिक उद्घाटन करेंगे। अधिकारियों ने बताया है कि सुबह करीब सात बजे नए भवन के बाहर संसद परिसर में हवन होगा जहां शैव संप्रदाय के महायाजक औपचारिक राजदंड ‘सेंगोल’ मोदी को सौंपेंगे। सेंगोल को नए संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास स्थापित किया जाएगा। नए संसद भवन के उद्घाटन का मुख्य समारोह रविवार दोपहर प्रधानमंत्री, पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश और अन्य की उपस्थिति में शुरू होने की संभावना है।


पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष शिवराज पाटिल, कांग्रेस अध्यक्ष एवं राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे तथा विपक्षी दलों के नेताओं को भी निमंत्रण दिया गया है। कम से कम 21 विपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने की घोषणा की है, जबकि रविवार के कार्यक्रम में 25 दल सम्मिलित होंगे जिनमें राजग के 18 घटक और सात गैर-राजग दल शामिल हैं। त्रिकोणीय आकार के चार मंजिला संसद भवन का निर्मित क्षेत्र 64,500 वर्ग मीटर है। भवन के तीन मुख्य द्वार हैं- ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार। हम आपको बता दें कि संसद का वर्तमान भवन 1927 में बनकर तैयार हुआ था, और अब यह 96 साल पुराना है। पुरानी इमारत वर्तमान समय की आवश्यकताओं के लिए अपर्याप्त पाई गई थी।


संसद भवन की विशेषताएं


टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा निर्मित नए संसद भवन में भारत की लोकतांत्रिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक भव्य संविधान हॉल, संसद सदस्यों के लिए एक लाउंज, एक पुस्तकालय, कई समिति कक्ष, भोजन क्षेत्र और पर्याप्त पार्किंग स्थल होगा। मौजूदा भवन ने स्वतंत्र भारत की पहली संसद के रूप में कार्य किया और यह संविधान को अपनाने का साक्षी भी बना। मूल रूप से ‘काउंसिल हाउस’ कहे जाने वाले इस भवन में ‘इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल’ स्थित थी। अधिक जगह की आवश्यकता को पूरा करने के लिए 1956 में संसद भवन में दो मंजिलों को जोड़ा गया था। भारत की 2,500 वर्षों की समृद्ध लोकतांत्रिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए इसमें 2006 में संसद संग्रहालय शामिल किया गया था। अधिकारियों ने कहा कि वर्तमान भवन को कभी भी द्विसदनीय विधायिका को समायोजित करने के लिहाज से डिज़ाइन नहीं किया गया था और बैठने की व्यवस्था तंग एवं बोझिल थी, तथा दूसरी पंक्ति के बाद कोई डेस्क नहीं था। मौजूदा भवन में सेंट्रल हॉल में केवल 440 व्यक्तियों के बैठने की क्षमता है और दोनों सदनों की संयुक्त बैठक के दौरान अधिक जगह की आवश्यकता महसूस की गई थी।

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कौन आयेगा, कौन नहीं?


इस बीच, बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह में करीब 25 राजनीतिक दलों के शामिल होने की संभावना है, वहीं करीब 21 दलों ने समारोह के बहिष्कार का फैसला किया है। भारतीय जनता पार्टी समेत सत्तारुढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के 18 घटक दलों के साथ ही सात गैर-राजग दल समारोह में शामिल होंगे। बहुजन समाज पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, जनता दल (सेक्यूलर), लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास), वाईएसआर कांग्रेस, बीजू जनता दल और तेलुगू देशम पार्टी समारोह में शामिल होने वाले सात गैर-राजग दल हैं। इन सात दलों के लोकसभा में 50 सदस्य हैं और इनका यह रुख भाजपा के नेतृत्व वाले राजग के लिए बड़ी राहत वाला होगा। इन दलों के भाग लेने से राजग को विपक्ष के इन आरोपों का खंडन करने में मदद मिलेगी कि यह एक सरकारी आयोजन है। भाजपा के अलावा शिवसेना, नेशनल पीपुल्स पार्टी, नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, जननायक जनता पार्टी, अन्नाद्रमुक, आईएमकेएमके, आजसू, आरपीआई, मिजो नेशनल फ्रंट, तमिल मनीला कांग्रेस, आईटीएफटी (त्रिपुरा), बोडो पीपुल्स पार्टी, पीएमके, एमजीपी, अपना दल और एजीपी के नेता समारोह में शामिल होंगे। जबकि कांग्रेस, माकपा, भाकपा, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी समेत 21 दलों ने नये संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला किया है। बहिष्कार कर रहे दलों से अपने फैसले पर पुनर्विचार की अपील केंद्र के कई मंत्री कर चुके हैं। इस कड़ी में आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी विपक्ष से अपने फैसले पर पुनर्विचार कर कार्यक्रम में शामिल होने का आग्रह किया।


शिवसेना खुश


इस बीच, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने नए संसद भवन को “नए भारत का प्रतीक” बताया, और कहा कि यह राज्य के लिए गर्व की बात है कि इसका उद्घाटन 28 मई को दिवंगत हिंदुत्व विचारक वी.डी. सावरकर की जयंती पर किया जाएगा। पार्टी ने विपक्षी दलों से भी आग्रह किया कि वे राजनीतिक मतभेदों को एक तरफ रखकर उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने के बजाय इसमें शामिल हों।


संत समाज खुश


वहीं दूसरी ओर सेंगोल को संसद में स्थापित किये जाने के निर्णय से संत समाज में खुशी की लहर दौड़ गयी है। मदुरै स्थित अधीनम के मुख्य पुजारी का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी जो कहते हैं वो करके दिखाते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने चीन और पाकिस्तान को करारा जवाब दिया और उनके नेतृत्व में राम मंदिर बन रहा है, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बन गया है और अब भारत की प्राचीन संस्कृति के प्रतीक सेंगोल को संग्रहालय से निकाल कर संसद में स्थापित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2024 में एक बार फिर सत्ता में लौटेंगे।

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