By अनुराग गुप्ता | Nov 08, 2019
मुंबई। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर जारी सियासी उठापटक समाप्त होगी या फिर यहां पर राष्ट्रपति शासन लगेगा, इस पर अभी भी सस्पेंस बरकरार है। अब प्रदेश में सरकार बनाने का सिर्फ शनिवार तक का समय बचा हुआ है। ऐसे में हम उन विकल्पों पर एक नजर डालेंगे जिसकी मदद से सरकार बन सकती है।
पहला विकल्प
भाजपा राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात करे और महाराष्ट्र में सरकार बनाए। बाद में विधानसभा में बहुमत साबित करे।
दूसरा विकल्प
शिवसेना सरकार बनाए और एनसीपी उनका समर्थन करे। इसके अलावा कांग्रेस बाहर से अपना समर्थन दे दे।
तीसरा विकल्प
9 तारीख से पहले भाजपा-शिवसेना अपने सभी पुराने मसले सुलझा ले और कोई नया फॉर्मूला तैयार करके गठबंधन वाली एक बार फिर से सरकार बनाए। लेकिन लग नहीं रहा कि इस फॉर्मूले पर शिवसेना बात करेगी। क्योंकि वो अभी भी 50-50 फॉर्मूले पर अड़े हुए हैं।
चौथा विकल्प
अगर कोई भी दल सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करती तो प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग जाएगा।
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री को लेकर चल रही खींचतान के बीच शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता ट्वीट की। उन्होंने लिखा कि आग्नेय परीक्षा की, इस घड़ी में- आइए, अर्जुन की तरह उद्घोष करें: ‘‘न दैन्यं न पलायनम्।’’
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इसके साथ ही राउत ने न दैन्यं न पलायनम् का अर्थ भी बताया। उन्होंने लिखा कि कोई दीनता नहीं चाहिए , चुनौतियों से भागना नहीं , बल्कि जूझना जरूरी है।
एक तरफ शिवसेना ऐसे ट्वीट कर यह साफ कर रही है कि हम झुकने वाले नहीं हैं तो दूसरी तरफ शिवसेना को ऑपरेशन कमल का भी डर सता रहा है। क्योंकि शिवसेना ने अभी भी अपने सभी विधायकों को रंगशारदा होटल में रखा है।
महाराष्ट्र में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा-शिवसेना गठबंधन के 161 सदस्य निर्वाचित हुए हैं। इनमें से भाजपा के 105, जबकि शिवसेना के 56 विधायक हैं। कांग्रेस के 44 और एनसीपी के 54 सदस्यों ने भी चुनाव में जीत दर्ज की हैं।