By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 18, 2019
नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने नेशनल हेराल्ड के प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) की उस याचिका पर सोमवार को फैसला सुरक्षित रख लिया जिसमें यहां इसके परिसर को खाली करने के एकल न्यायाधीश के 21 दिसंबर 2018 के निर्णय को चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया था कि यंग इंडिया, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी शेयर धारक हैं, को शेयरों के स्थानांतरण से वे भवन के स्वामी नहीं हो जाते। मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन और न्यायमूर्ति वी के राव की पीठ ने एजेएल की जिरह पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। अदालत ने एजेएल और केंद्र के वकीलों से कहा कि वे तीन दिनों के अंदर लिखित हलफनामा दायर करें।
करीब एक घंटे से ज्यादा समय तक चली सुनवाई के दौरान एजेएल की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि कंपनी के अधिसंख्य शेयरों को यंग इंडिया को स्थानांतरित किये जाने से गांधी यहां हेराल्ड भवन के स्वामी नहीं बन जाते। सिंघवी ने यह भी कहा कि केंद्र ने जून 2018 से पहले कभी भी प्रकाशन गतिविधि नहीं होने का मुद्दा नहीं उठाया, जबकि जून 2018 तक उसके कुछ ऑनलाइन संस्करणों का प्रकाशन शुरू हो चुका था।
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केंद्र की तरफ से पेश हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने पहले कहा था कि जिस तरह से शेयरों का स्थानांतरण हुआ उसमें अदालत को यह देखने के लिए एजेएल पर पड़े कॉरपोरेट पर्दे के उस पार झांकना होगा कि -हेराल्ड हाउस- का स्वामित्व किसके पास है। एजेएल को हेराल्ड हाउस प्रिंटिंग प्रेस चलाने के लिये पट्टे पर दिया गया था। सरकार की तरफ से दलील दी गई कि जिस जमीन को लेकर सवाल है वह एजेएल को छापेखाने के लिये पट्टे पर दी गई थी और यह “प्रमुख उद्देश्य” सालों पहले ही खत्म हो चुका था।