By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 21, 2020
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को तमिलनाडु सरकार से पूछा कि राजीव गांधी हत्याकांड मामले के एक दोषी की दया याचिका पर उसने फैसला लिया है या नहीं। शीर्ष अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के पीछे बड़ी साजिश का खुलासा करने वाली सीबीआई के नेतृत्व में मल्टी डिसिप्लिनरी मॉनिटरिंग एजेंसी (एमडीएमए) की जांच के बारे में पहले जैसी ही स्थिति रिपोर्ट पेश करने पर केंद्र की खिंचाई की। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने राज्य सरकार से जानना चाहा है कि संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत उसने क्या फैसला लिया है। यह अनुच्छेद राज्यपाल को यह शक्ति देता है कि अदालत में दोषी साबित हुए व्यक्ति को वह माफी दे सकते हैं।
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शीर्ष अदालत 46 वर्षीय एजी पेरारीवलन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता ने एमडीएमए की जांच पूरी होने तक मामले में उन्हें दी गई उम्रकैद की सजा को निलंबित रखने का अनुरोध किया है। एमडीएमए के गठन 1998 में न्यायमूर्ति एम.सी. जैन जांच आयोग की सिफारिश पर हुआ था। आयोग ने पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या में साजिश के पहलू की जांच की थी। न्यायालय ने केंद्र से पूछा, ‘‘क्या आप हमें बता सकते हैं कि अप्रैल 2018 में पेश की गई स्थिति रिपोर्ट और नवंबर 2019 में पेश की गई स्थिति रिपोर्ट में क्या अंतर है। इनमें कोई अंतर है ही नहीं। हमने इस मामले में आपके द्वारा पेश की गई सभी स्थिति रिपोर्ट देखी है।’’ केन्द्र की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल पिंकी आनंद ने पीठ को सूचित किया कि सरकार को अभी तक श्रीलंका और दूसरे देशों को भेजे गये अनुरोध पत्रों का कोई जवाब नहीं मिला है। राजीव गांधी की 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपरेंबदुर में चुनावी रैली में महिला आत्मघाती हमलावर ने हत्या कर दी थी।