महाराष्ट्र-झारखंड में सियासी सूझबूझ मस्त, अहंकार पस्त

By कमलेश पांडे | Nov 23, 2024

महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों के साथ-साथ लोकसभा की दो सीटों और विभिन्न दर्जनाधिक राज्यों की 48 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम चौंकाने वाले हैं। ये चुनाव परिणाम इस बात का स्पष्ट इशारा कर रहे हैं कि मतदाताओं ने जहां सियासी सूझबूझ को ग्रेस देते हुए मस्त कर दिया है, वहीं राजनैतिक अहंकार को पूरी तरह से पस्त करके जमीन पर ला दिया है। मतलब यह कि पारस्परिक सिरफुटौव्वल को सिरे से खारिज कर दिया है।


दो टूक शब्दों में कहें तो मतदाताओं ने जहां महाराष्ट्र के भाजपा नेता व उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को सहयोगियों सहित और झारखंड के जेएमएम नेता व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को साथियों सहित अपनी-अपनी सियासत को नए सिरे से आगे बढ़ाने का मौका दिया है। 

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वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, एनसीपी शरद पवार के नेता शरद पवार/सुप्रिया सुले, शिवसेना यूटीबी के नेता उद्धव भाऊ ठाकरे, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव, राजद नेता तेजस्वी यादव आदि को जोर का झटका धीरे से दिया है, क्योंकि इनके बीच समुचित सामंजस्य के अभाव को मतदाताओं ने समय रहते ही भांप लिया और इनकी उम्मीदों के विपरीत परिणाम दिया। 


हालांकि तृणमूल कांग्रेस नेत्री व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की लाज जनता ने बचा ली है। वहीं, पंजाब में आप-कांग्रेस की टक्कर एकबार फिर सामने आई है, जो आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी दिखाई देगी। वहीं, कांग्रेस नेत्री और वायनाड, केरल के लोकसभा उपचुनाव की प्रत्याशी प्रियंका गांधी को जीत देकर उनका राजनीतिक मार्ग प्रशस्त कर दिया है। जबकि महाराष्ट्र के नांदेड़ लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस की शिकस्त और बीजेपी को बढ़त मिली है।


खास बात यह है कि महाराष्ट्र के शिवसेना नेता और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे तथा एनसीपी नेता व उपमुख्यमंत्री अजित पवार भी अपने-अपने दल को तोड़ने के बावजूद अपनी-अपनी पार्टी की विरासत पर पूरी तरह से कब्जा जमा लिया है। उनके इस मिशन को पूरा करने में भाजपा नेता व उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के चमत्कारिक नेतृत्व के योगदान को नकारा नहीं जा सकता है। कुल मिलाकर एक ओर महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति (गठबंधन) को प्रचंड जीत मिली है, वहीं दूसरी ओर झारखंड में जेएमएम के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन ने स्पष्ट बहुमत प्राप्त करने में सफलता हासिल कर ली है। अब इनका मुख्यमंत्री कौन होगा और उनका मंत्रिमंडल कैसा होगा, इसको लेकर माथापच्ची शुरू हो चुकी है।


वहीं, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, एनसीपी शरद पवार और शिवसेना यूटीबी के महाविकास अगाड़ी के अलावा यूपी विधानसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी और बिहार विधानसभा उपचुनाव में राष्ट्रीय जनता दल के निराशाजनक प्रदर्शन से इनकी आंतरिक रस्साकशी का भी भंडाफोड़ हो चुका है। इससे इनके लोकसभा चुनावों के संयुक्त प्रदर्शन पर भी पानी फिर गया है। इससे सेक्यूलर मतदाताओं में भी गहरी निराशा छा गई है। हालांकि, झारखंड में कांग्रेस और राजद को मिली जीत से पार्टी के नेतृत्व को थोड़ी राहत मिली है।


वहीं, एनडीए की जोरदार सफलता से विकास, हिंदुत्व व राष्ट्रवाद की भावना एक बार फिर उफान पर है, क्योंकि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के 'बटेंगे तो कटेंगे' के नारे और पीएम नरेंद्र मोदी के 'एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे' के नारों का असर महाराष्ट्र से लेकर यूपी-बिहार तक दिखाई पड़ा है। राजस्थान, मध्यप्रदेश से लेकर असम तक इसका असर पड़ा है। लेकिन झारखंड में यह नारा कैसे मिस्फायर कर गया, यह शोध का विषय है। वहीं, बंगलादेशियों/रोहिंग्या मुसलमानों का मुद्दा भी यहां फेल हो गया, क्योंकि इनलोगों ने गोलबंद होकर इंडिया गठबंधन को पोल कर दिया। वहीं, लाडली बहना योजना की सफलता ने महाराष्ट्र की महायुति सरकार को फिर से वहां लौटने का मौका दिया है। वहीं, केरल और कर्नाटक में कांग्रेस की सियासी इज्जत बच गई है।


बता दें कि लगभग एक दर्जन से अधिक राज्यों की 48 विधानसभा सीटों सहित लोकसभा की 2 सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे और इनके रुझानों से उपर्युक्त आशय के संकेत मिले हैं। इन 48 सीटों में से यूपी की 9 सीटों पर देशभर की निगाहें लगी हुई हैं, जहां बीजेपी नेता व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 7 सीट जीतकर एकबार फिर अपना जलवा दिखा दिया है, जबकि सपा को मात्र 2 सीटों पर संतोष करना पड़ा, जिससे उसके पीडीए का दम्भ चकनाचूर हो गया। उधर, बिहार में राजद विस उपचुनाव वाली चारों सीटों पर पिछड़ती चली गई, जिससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर अब सवाल उठने लगा है। 


इसके अलावा वायनाड सीट के रिजल्ट को लेकर भी काफी उत्सुकता है, जहां से प्रियंका गांधी वाड्रा ने जीत हासिल की है। साथ ही राजस्थान में 7, पश्चिम बंगाल में 6, असम में 5, पंजाब और बिहार में 4-4 सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे से जहां सत्ताधारी गठबंधन सब पर भारी पड़ता दिखाई दे रहा है। वहीं, कर्नाटक और केरल में 3-3 सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस गठबंधन की लाज बच गई है। इनके अलावा उत्तराखंड की केदारनाथ सीट पर नजरें टिकी हैं, जहां भाजपा प्रत्याशी ने जीत हासिल की है। इससे साफ है कि महाराष्ट्र-झारखंड में सियासी सूझबूझ मस्त साबित हुआ, जबकि अहंकार पस्त हो गया।


कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक

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