हैदराबाद में भाजपा ने माधवी लता को उतार कर ओवैसी को उनके गढ़ में बुरी तरह घेर लिया है

By नीरज कुमार दुबे | Mar 11, 2024

देश भर में घूम-घूमकर मुस्लिम वोटों की राजनीति करने वाले एआईएमआईएम के प्रमुख असद्दुदीन ओवैसी इस बार खुद अपने गढ़ हैदराबाद में घिर गये हैं क्योंकि भाजपा ने आरएसएस कार्यकर्ता माधवी लता को उनके खिलाफ उतार दिया है। माधवी लता जिस तरह से अपनी उम्मीदवारी घोषित होने के बाद से ओवैसी के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं उससे हैदराबाद के सांसद की राजनीतिक जमीन हिल गयी है। इसीलिए आजकल ओवैसी जिम में पसीना बहा रहे हैं क्योंकि उन्हें इस बार मजबूत उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ना है और समय निकाल कर अन्य प्रदेशों में अपनी पार्टी के उम्मीदवारों का प्रचार भी करना है। हम आपको बता दें कि हाल में संपन्न तेलंगाना विधानसभा चुनाव में जिस तरह एआईएमआईएम को अपने गढ़ हैदराबाद में झटका लगा था उसके चलते लोकसभा चुनाव के लिए ओवैसी काफी सतर्कता बरत रहे हैं।


जहां तक माधवी लता की बात है तो आपको बता दें कि वह आरएसएस कार्यकर्ता, पारंपरिक भारतीय महिला, उद्यमी, अस्पताल प्रशासक और एक प्रशिक्षित भरतनाट्यम नर्तक हैं। हाल के समय तक राजनीतिक क्षेत्रों में उनका नाम कभी चर्चा में नहीं रहा था लेकिन जब भाजपा ने हैदराबाद से उन्हें लोकसभा सीट का उम्मीदवार घोषित किया तो वह रातोंरात सुर्खियों में आ गयीं। 49 वर्षीय कोम्पेला माधवी लता तीन बच्चों की मां हैं। जब उन्हें भाजपा उम्मीदवार बनाया गया तो वह खुद भी आश्चर्यचकित रह गयी थीं क्योंकि उन्होंने अपने लिए कभी कोई पैरवी नहीं की थी। ओजस्वी वक्ता और उस्मानिया विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर माधवी लता कहती हैं कि मेरी उम्मीदवारी से यह बात साबित हो जाती है कि भाजपा लोगों की क्षमताओं और उनके द्वारा किये जा रहे कार्यों पर नजर रखती है और उन्हें आगे बढ़ने का मौका देती है।

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हम आपको बता दें कि माधवी लता को उम्मीदवार बनाये जाने का कारण यह भी है कि एक तो वह महिला हैं और दूसरा मुस्लिम महिलाओं के बीच उन्होंने काफी काम किया है जिसके चलते वह उनके बीच काफी लोकप्रिय हैं। इसके अलावा एक प्रखर वक्ता होना भी उनके पक्ष में गया है क्योंकि ओवैसी जिस तरह अपने भाषणों के जरिये लोगों को अपने पक्ष में करते हैं उसी तरह अपने भाषणों के जरिये उन्हें जवाब देने वाला प्रतिद्वंद्वी उनके खिलाफ चाहिए था। हम आपको बता दें कि एआईएमआईएम ने चार दशकों से हैदराबाद लोकसभा सीट पर कब्जा बनाए रखा है। सलाहुद्दीन ओवैसी ने 1984 से 1999 तक इस सीट का प्रतिनिधित्व किया और उसके बाद से उनके बेटे असदुद्दीन हैदरबाद से सांसद हैं। हैदराबाद लोकसभा सीट के तहत गोशामहल को छोड़कर सभी विधानसभा क्षेत्रों पर एआईएमआईएम का कब्जा है। गोशामहल से भाजपा के फायर ब्रांड नेता टी. राजा विधायक हैं।


भाजपा ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भगवंत राव पवार को अपना उम्मीदवार बनाया था जोकि ओवैसी से भारी अंतर से चुनाव हार गये थे। इस बार हैदराबाद से भाजपा प्रत्याशी तय करने में आरएसएस से जुड़े संगठन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के प्रमुख और संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने इस क्षेत्र में मुस्लिम महिलाओं के बीच काम कर रहीं माधवी लता का नाम सुझाया जिस पर पार्टी में सहमति बन गयी और उनकी उम्मीदवारी की घोषणा हो गयी। खुद माधवी लता भी इस बात को मानती हैं कि उन्हें चुनाव में मुस्लिम महिलाओं का सहयोग मिलेगा। उनका कहना है कि अगर हिंदू-मुस्लिम मुद्दे को देखा गया होता तो भाजपा मुझे उम्मीदवार नहीं बनाती। उनका कहना है कि मैं मुस्लिमों के बीच काम करती हूँ और उन्हें अपना मानती हूँ। माधवी लता का कहना है कि मैं तीन तलाक की विरोधी रही हूँ और हिंदुओं से जुड़े विषयों को लेकर भी सक्रिय रही हूँ। पुराने हैदराबाद शहर के याकूतपुरा की संतोष नगर कॉलोनी में एक निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार में पली-बढ़ी लता माधवी कहती हैं कि वह हमेशा विभिन्न संस्कृतियों के बीच रहीं हैं।


माधवी लता ने अपनी उम्मीदवारी घोषित होने के बाद मीडिया से कहा था कि मुझे 1980 के दशक में हुए सांप्रदायिक दंगों ने डरा दिया था। उन दंगों ने मुझे यह सोचने पर मजबूर कर दिया था कि लोग किसी की जान लेकर अपनी नफरत क्यों व्यक्त करना चाहते हैं। उनका कहना है कि वर्षों के अनुभव के बाद मुझे एहसास हुआ कि इसके पीछे आम आदमी नहीं बल्कि एक राजनीतिक खेल है। उनका कहना है कि एक आम आदमी चाहे वह हिंदू हो या मुस्लिम, वह हिंसा नहीं चाहता। उन्होंने ओवैसी की ओर इशारा करते हुए कहा कि कुछ नेता ऐसे हैं जो कभी भी दोनों समुदायों के बीच शांति नहीं चाहते हैं। माधवी लता का कहना है कि यह लोग लंबे समय से सत्ता में जमे हैं लेकिन इन्होंने अपने समुदाय के लोगों के लिए भी कुछ नहीं किया। मौजूदा सांसद को खुली चुनौती देते हुए उन्होंने कहा कि मैं पुराने शहर की हर गली में प्रचार करूंगी और अगर मुझ पर एक भी पत्थर फेंका गया तो असदुद्दीन ओवैसी जवाबदेह होंगे।


माधवी लता का कहना है कि मेरे विरोधियों को चाहिए कि वह मुझे बराबरी का मुकाबला करने की अनुमति दें। उनका कहना है कि हमें धर्म को बीच में नहीं लाना चाहिए और लोगों की भावनाओं के साथ नहीं खेलना चाहिए। उनका कहना है कि मैं चुनाव प्रचार में धर्म की बात नहीं करूँगी। माधवी लता का दावा है कि हैदराबाद में ऐसे मतदान केंद्र हैं जहां मतदाताओं को धमकाया जा रहा है और पोलिंग एजेंट स्वतंत्र रूप से काम करने से डर रहे हैं। उनका कहना है कि मैं चुनाव आयोग से माँग करूँगी कि पर्याप्त संख्या में बल तैनात किया जाये और मतदान प्रक्रिया की लाइव स्ट्रीमिंग कराई जाये। उनका कहना है कि वह हैदराबाद निर्वाचन क्षेत्र के 1996 मतदान केंद्रों की निगरानी के लिए एक विशेष टास्क फोर्स के गठन के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से संपर्क करेंगी। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा हो गया तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। माधवी लता का यह भी कहना है कि मतदाता सूची से 2 लाख से अधिक हिंदू मतदाताओं को हटा दिया गया है। उन्होंने कहा कि देश के लोगों को लगता है कि पुराने हैदराबाद शहर में बहुत सारे मुसलमान हैं इसलिए ओवैसी जीतते रहते हैं लेकिन इस बार यह मिथक टूट जायेगा क्योंकि मुझे सभी समुदायों का समर्थन मिलेगा। माधवी लता का कहना है कि वह चुनाव प्रचार के दौरान सीएए और तीन तलाक के बारे में लोगों की गलतफहमियां भी दूर करेंगी।


जहां तक ओवैसी की बात है तो आपको बता दें कि वह राष्ट्रीय स्तर पर अपना सियासी वजूद कायम करने के लिए पूरा जोर भले लगा रहे हैं लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पा रही है। इस बार तो उनको अपने गृह राज्य तेलंगाना विधानसभा चुनावों में ही झटका लग गया जब उनकी पार्टी की सीटों की संख्या घट गयी। इसके अलावा, हाल के चुनावों की बात करें तो ओवैसी ने बिलकीस बानो को आधार बनाकर गुजरात में अपनी सियासत शुरू करने की कोशिश की थी लेकिन भाजपा ने गुजरात के दाहोद जिले की लिमखेड़ा विधानसभा सीट पर भी जीत दर्ज की जहां कभी 2002 के दंगों की पीड़िता बिलकीस बानो रहा करती थीं। ओवैसी हैदराबाद से बाहर निकल कर हर जगह अपने पांव फैलाना चाह रहे हैं लेकिन जनता उन्हें उल्टा लौटा दे रही है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भी उन्होंने बड़े-बड़े दावे कर डाले थे। हिजाब को मुद्दा बना दिया था लेकिन यूपी की जनता ने उन्हें खाली हाथ लौटा दिया था। इससे पहले बिहार में जरूर उनकी कुछ सीटें आ गयी थीं लेकिन एक को छोड़कर बाकी विधायक राष्ट्रीय जनता दल में भाग गये।


ओवैसी परिवार की बात करें तो आपको बता दें कि एआईएमआईएम प्रमुख असद्दुदीन ओवैसी ही भड़काऊ भाषण नहीं देते बल्कि उनके छोटे भाई और तेलंगाना के विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी तो कभी-कभी अपने बड़े भाई से भी आगे निकल जाते हैं। अभी हालिया तेलंगाना विधानसभा चुनावों के दौरान भी उन्होंने रात दस बजे के बाद भाषण देने से रोकने वाले पुलिस अधिकारी को चेतावनी देते हुए कहा था कि ''मुझे रोकने वाला अभी तक कोई पैदा नहीं हुआ है।'' अकबरुद्दीन ओवैसी ने पुलिस अधिकारी को धमकाते हुए कहा कि अगर वह अपने समर्थकों की तरफ इशारा कर दें, तो उन्हें यहां से दौड़ कर भागना पड़ेगा। इससे पहले भी अकबरुद्दीन ओवैसी कई विवादित बयान दे चुके हैं। अकबरुद्दीन ओवैसी मुगल सम्राट औरंगजेब के मकबरे पर जाना अपनी शान समझते हैं और हमेशा धर्म की राजनीति करते हैं।


यहां यह भी उल्लेखनीय है कि असदुद्दीन ओवैसी के दादा अब्दुल वहीद ओवैसी ने 1927 में बनी मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन को 1957 में ‘ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन’ के नाम से फिर से शुरू किया था। जिसे बाद में उनके बेटे और हैदराबाद से दो दशक तक लोकसभा के सदस्य रहे सलाहुद्दीन ओवैसी ने आगे बढ़ाया। अब एआईएमआईएम की सांप्रदायिक राजनीति को आगे बढ़ाने का जिम्मा असदुद्दीन और अकबरुद्दीन ओवैसी ने उठाया हुआ है। भाजपा का तो सीधा आरोप है कि दशकों से कांग्रेस तथा बीआरएस के सहयोग से एआईएमआईएम एक आपराधिक गिरोह बन चुकी है जिसने हैदराबाद शहर को अपराधग्रस्त कर रखा है। तेलंगाना भाजपा का कहना है कि अब इस गंदगी को साफ करने का मौका आ गया है।


बहरहाल, देखा जाये तो ओवैसी भाइयों की राजनीति विशुद्ध सांप्रदायिक है। कट्टरपंथी ताकतों का उभरना हमारे देश और लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है और इस तरह की राजनीति कभी भी देश का हित नहीं कर सकती। जनता को भी यह बात समझ आ रही है इसीलिए माधवी लता के चुनाव प्रचार में जिस तरह मुस्लिम महिलाओं की भीड़ उमड़ रही है उससे ओवैसी और उनके समर्थकों के होश उड़े हुए हैं। घबरा कर ओवैसी आजकल जिस तरह के बयान दे रहे हैं उसको देखकर माधवी लता का कहना है कि डर शुरू हो गया है।


-नीरज कुमार दुबे

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