By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 04, 2019
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के तेज-तर्रार धर्म गुरु एवं नेता मौलाना फजलुर रहमान ने प्रधानमंत्री इमरान खान के इस्तीफे के लिए अपने द्वारा तय की गई 48 घंटे की समयसीमा खत्म होने के बाद भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा करने के लिए सोमवार को एक सर्वदलीय बैठक आहूत की है। देश की राजधानी में हजारों समर्थकों की मौजूदगी वाले ‘आजादी मार्च’ का नेतृत्व कर रहे जमीयत उलेमा ए इस्लाम फ़ज्ल (जेयूआई-एफ) के नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री को अपदस्थ करने का आंदोलन ‘‘आगे बढ़ता रहेगा, इसे वापस नहीं लिया जाएगा।’’ रहमान ने शुक्रवार को खान को इस्तीफा देने के लिए दो दिन का अल्टीमेटम दिया था और कहा था कि ‘‘पाकिस्तान के गोर्बाचोव’’ को शांतिप्रिय प्रदर्शनकारियों के धैर्य की परीक्षा लिए बिना पद से हट जाना चाहिए।
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इस 66 वर्षीय मौलाना ने कहा कि जब तक खान इस्तीफा नहीं देते, तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा। एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने खबर दी कि जेयूआई-एफ ने भविष्य की कार्रवाई को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं के साथ चर्चा करने के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है। रहमान के इस व्यापक विरोध प्रदर्शन को पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन), पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी), पख्तूनख्वा मिल्ली आवामी पार्टी, कौमी वतन पार्टी, नेशनल पार्टी और आवामी नेशनल पार्टी का समर्थन प्राप्त है। हालांकि डॉन न्यूज ने खबर दी कि पीपीपी प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी और पीएमएल-एन प्रमुख शहबाज शरीफ के सर्वदलीय बैठक में शामिल होने की संभावना नहीं है।
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खबर में संबंधित पार्टी नेताओें के हवाले से कहा गया कि ज्यादा संभावना है कि पार्टियों के प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी और शहबाज इतने कम समय के नोटिस पर इस्लामाबाद में बैठक में शामिल न हो पाएं। डॉन ने पीएमएल-एन के सूत्रों के हवाले से कहा कि शहबाज पीठ दर्द और अन्य पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों के चलते बैठक में शामिल होने में असमर्थ हैं। वहीं, पीपीपी के सूत्रों का कहना है कि यहां से करीब 620 किलोमीटर दूर बहावलपुर शहर में मौजूद बिलावल बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगे।
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इस बीच, लाहौर उच्च न्यायालय ने जेयूआई-एफ के प्रमुख रहमान के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली एक याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि याचिका में सरकार के आदेश को चुनौती देने, राज्य के खिलाफ घृणा, भड़काऊ और बगावती भाषण देने के आरोप में रहमान के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। प्रधानमंत्री इमरान खान ने प्रदर्शनकारियों की इस्तीफे की मांग को खारिज कर दिया और कहा कि यह प्रदर्शन, भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में बंद पीएमएल-एन और पीपीपी के शीर्ष नेताओं को रिहा कराने के लिए समझौता करने का एक प्रयास है।