By अभिनय आकाश | Feb 16, 2024
हमारे यहां की पुरानी कहावत है कि जिसके पास पैसा है उसी का बोलबाला है। दुनिया में भी कुछ ऐसा ही है। अमेरिका की सबसे ज्यादा चर्चा होती है। इसका एक अहम कारण उसकी अर्थव्यवस्था है। फंडा सीधा सा है कि जिस देश की इकोनॉमी बड़ी उसी का डंका दुनियाभर की चौपालों पर बजता है। इस रेस में भारत सभी को पीछे छोड़ता जा रहा है। पूरी दुनिया भारत की इकोनॉमी का लोहा मान रही है। बीते करीब एक दशक में जिस तरह से देश में आर्थिक सुझार हुए हैं। उससे दुनिया भी हैरान है। भारत की इकोनॉमी के बारे में एक रिपोर्ट ने जर्मनी और जापान दोनों को परेशान कर दिया है। इंटरनेशनल मॉनिटरिंग फंड यानी आईएमएफ का मानना है कि साल 2028 तक भारत जिस मुकाम पर होगा उससे चीन के भी होश उड़ जाएंगे। वर्ल्ड ऑफ स्टेटिक्स ने आईएमएफ के आंकड़ों के हवाले से एक पोस्ट में कहा कि भारत की इकोनॉमी का साइज 2028 तक पीपीपी के आधार पर 19.65 ट्रिलियन हो जाएगा। देश में पीपीपी बेस्ड भारत की इकोनॉमी का साइज 14 ट्रिलियन डॉलर है। इसका मतलब है कि आने वाले पांच सालों में भारत की पीपीपी इकोनॉमी का साइज 5.5 ट्रिलियन डॉलर बढ़ जाएगा।
क्या है आईएमएफ का अनुमान
जापान की जीडीपी 4.2 ट्रिलियन पर आ गई है। जर्मनी 4.5 ट्रिलियन के आंकड़े पर है। यानी की सालाना आधार पर जापान की जीडीपी में 0.4 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसी बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ का अनुमान भारत के लिए अच्छी खबर लेकर आया है। आईएमएफ के अनुसार साल 202 तक भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। आईएमएफ के अनुसार 43.89 ट्रिलियन के साथ चीन पहले नंबर पर जबकि दूसरे स्थान पर 32.69 के साथ अमेरिका रहेगा। 19.65 ट्रिलियन के आंकड़ों को लिए भारत तीसरा स्थान हासिल करेगा। इसके अलावा 7.38 ट्रिलयन के साथ जापान चौथे और 6.55 के साथ जर्मनी पांचवे स्थान पर काबिज रहेगा।
मोदी की गारंटी
आईएमएफ जो बात कह रहा है वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही कह चुके हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर भारत के उज्ज्वल भविष्य की गारंटी का वादा करते हुए दावा किया कि उनकी सरकार के तीसरे टर्म में भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। उन्होंने कहा कि हर भारतीय की क्षमता में मेरे विश्वास के कारण मैंने गारंटी दी है कि मेरे तीसरे कार्यकाल में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा और मोदी की गारंटी का मतलब गारंटी पूरी करने की गारंटी। अब आईएमएफ ने इस पर मुहर लगा दी है।
जीडीपी से कितनी अलग है पीपीपी
जीडीपी को हिंदी में सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है। किसी भी देश की इकोनॉमी को मांपने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। जीडीपी बढ़ती है तो उसका मतलब है कि देश की इकोनॉमी मजबूत हो रही है। पीपीपी को हिंदी में क्रय शक्ति समानता कहते हैं। आसान भाषा में समझें तो पीपीपी एक आर्थिक सिद्धांत है जिसमें वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों का आंकलन कर विभिन्न देशों की करेंसी की तुलना की जाती है। मान लीजिए भारत का सालाना बजट 30 लाख का है तो अमेरिका में उसी का बजट 85 लाख से ज्यादा होता है। मौजूदा में जापान को पीपीपी बेस्ड दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी का दर्जा प्राप्त है।