By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 19, 2019
नयी दिल्ली। छह बार की महिला विश्व चैम्पियन मुक्केबाज एम सी मैरी कॉम ने कहा कि वह ओलंपिक क्वालीफायर के लिये ट्रायल्स में निकहत जरीन से भिड़ने से नहीं डरती क्योंकि यह महज एक ‘औपचारिकता’ भर होगी। जरीन ने चीन में अगले साल होने वाले ओलंपिक क्वालीफायर के लिये भारतीय टीम के चयन से पहले मैरी कॉम (51 किग्रा) के खिलाफ ट्रायल मुकाबला आयोजित करने की मांग की। भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) ने कहा था कि मैरी कॉम (51 किग्रा) के हाल में रूस में विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने के प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए वह छह बार की विश्व चैंपियन को चुनने का इरादा रखता है।
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मैरी कॉम ने यहां एक सम्मान समारोह के दौरान कहा कि यह फैसला बीएफआई द्वारा लिया जा चुका है। मैं नियम नहीं बदल सकती। मैं सिर्फ प्रदर्शन कर सकती हूं। वो जो भी फैसला करेंगे, मैं उसका पालन करूंगी। मैं उससे (जरीन) से भिड़ने से नहीं डरती, मुझे ट्रायल्स से कोई परेशानी नहीं है। उन्होंने कहा कि मैंने सैफ खेलों के बाद से उसे कई बार हराया है लेकिन वह फिर भी मुझे चुनौती देती रहती है। मेरा मतलब है कि इसकी क्या जरूरत है? यह महज एक औपचारिकता है। बीएफआई भी जानता है कि ओलंपिक में कौन पदक जीत सकता है। मैरी कॉम ने कहा कि लोग मुझसे ईर्ष्या करते हैं।
उन्होंने कहा कि यह पहले भी मेरे साथ हो चुका है। रिंग में प्रदर्शन करो, यही सही चीज है। बीएफआई हमें विदेशी दौरों पर भेजता है इसलिये स्वर्ण पदक के साथ लौटो और खुद को साबित करो। मैरी कॉम ने कहा कि मैं उसके खिलाफ नहीं हूं। वह भविष्य में अच्छी हो सकती है, उसे अनुभव लेना चाहिए और उच्च स्तर के लिये तैयारियों पर ध्यान लगाना चाहिए। मैं पिछले 20 वर्षों से रिंग में लड़ रही हूं। पुरूष टीम के चयन के लिये बीएफआई ने फैसला किया कि विश्व चैम्पियनशिप के पदकधारियों को सीधे पहले ओलंपिक क्वालीफायर के लिये भेजा जायेगा।
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वहीं महिला वर्ग में बीएफआई ने पहले कहा था कि विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण और रजत पदक विजेता मुक्केबाजों का ही फरवरी में होने वाले ओलंपिक क्वालीफायर के लिये सीधे चयन होगा। हालांकि बीएफआई ने अब जरीन की मांग पर अगले हफ्ते चयन समिति की बैठक बुलाने का फैसला किया है। मैरी कॉम ने कहा कि चयन मानदंड में पुरूष और महिला वर्गों में नियम अलग अलग नहीं होने चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मैं इसकी परवाह नहीं करती। बीएफआई को फैसला करना चाहिए। इसमें लैंगिक समानता होनी चाहिए, पुरूषों और महिला वर्गों के लिये अलग नियम नहीं हो सकते।