स्ट्रैस को हम मात्र थकान कह कर टाल देते हैं। जबकि ये दो बिल्कुल अलग स्थितियां हैं। थकान से स्ट्रैस हो सकता है परन्तु स्ट्रैस मात्र थकान नहीं हैं। यदि समय पर हम यह न पहचानें कि हम स्ट्रैस्ड हैं और इससे उबरने के लिये समय रहते कार्यवाही न करें तो यही स्ट्रैस भविष्य में कई बड़ी शारीरिक परेशानियों का कारण बन सकता है।
स्ट्रैस क्या है?
यह सही है कि ये कोई रोग नहीं है। बल्कि ये परिस्थितियों का मिलाजुला नाम है जिनके कारण हम शक्तिहीन महसूस करते है। हमें अपना माहौल, आस−पास के लोग और यहां तक कि अपना अस्तित्व सब बेमानी लगता है। यह वह स्थिति है जिससे हम तनाव, काम के अत्यधिक बोझ, समान प्रकार की दिनचर्या, ल़क्ष्य ना पूरा हो पाने जैसे मिले जुले कारणों की वजह से जीवन में ऊब महसूस करते हैं।
सही भोजन व भरपूर शारीरिक आराम के बावजूद हमें थकान व निराशा धेरे रहती हैं। यदि ये परिस्थितियां बनी रहती हैं तो हमें डिपरैशन घेर लेता है। और यही स्ट्रैस द्वारा होने वाली परेशानियों की शुरुआत है।
कैसे पहचानें स्ट्रैस को?
स्ट्रैस से हमारी शारीरिक व मानसिक क्षमता लगातार कम होती जाती है। चाह कर भी तय लक्ष्य पूरे नहीं कर पाते और अक्सर ही शारीरिक व मानसिक शिथिलता महसूस होती है। इसके अलावा कुछ स्पष्ट लक्षण है जो स्ट्रैस को निर्धारित करते हैं।
मानसिक लक्षण
1. बिना किसी खास वजह के भी हमेश चिड़चिड़ाना।
2. आफिस या काम पर न जाने की इच्छा।
3. किसी भी काम में, कहीं भी, किसी के भी साथ मन न लगना।
4. अपने माहौल से दूर भागने की इच्छा।
5. हमेशा एकांत की तलाश।
6. आत्मविश्वास की कमी
शारीरिक लक्षण
1. सिर में हमेशा भारीपन व आंखों में जलन।
2. गर्दन, कंधों व पीठ में दर्द व ऐंठन जिसमें डॉक्टरी इलाज से भी अधिक फायदा ना हो।
3. भूख न लगना, कभी कभी अनजाने में या विद्रोह की स्थिति में अत्यधिक खाना
4. लगातार कब्ज की शिकायत।
कैसे उबरें?
चूंकि स्ट्रैस रोग नहीं है अतः उपरोक्त लक्षण बीमारी नहीं बल्कि परिस्थितियों की ओर इशारा करते हैं।
चाहे कारण काम का बोझ हो, पारिवारिक या अन्य कोई तनाव, या फिर समान दिनचर्या, कुछ दिनों के लिये अपने परिवार, मित्र या फिर अकेले छुट्टी पर बाहर चले जायें। यह बहुत आरामदायक व स्फूर्तिवान सिद्ध होगा। आप एक नयी शक्ति के संचार को महसूस करेंगे व समस्याओं के समाधान पर शांतिपूर्वक विचार करने की स्थिति में होंगे।
योग एक सटीक उपाय
1. प्राणायाम जिसमें हम पालथी मारकर सीधे बैठते हैं और अपनी श्वास नियंत्रित करते हैं, यह हमारे चित्त को सीधे प्रभावित करता है। नियंत्रित श्वास प्रक्रिया हमारे दिभाग व शरीर को नियंत्रित करती है जिससे सही मानसिक व शारीरिेक सतुंलन बनता हैं। प्राणायाम का उचित समय भोर का है।
2. ऐसे आसन जिनसे गर्दन, पीठ व कमर पर दबाव पडे, स्ट्रैस द्वारा इन अंगों में दर्द व ऐंठन से निदान दिलाते है।
3. योग से तर्क शक्ति बढती है। यह मनःस्थिति, आत्मविश्वास और दिमागी क्षमता को निर्धारित करता है।
कुल मिलाकर योग हमारे शरीर, दिमाग और भावानात्मक क्षमता में तालमेल बैठाकर नयी शाक्ति का संचार करता है जो कि हम स्ट्रैस में खो देते हैं। इसलिये योग को दिनचर्या में शामिल करें।
- प्रीटी