लखनऊ। संभल की जामा मस्जिद का एक बार की जगह दो बार (19 और 24 नवंबर) सर्वे कराये जाने को लेकर जामा मस्जिद पक्ष के जो लोग विवाद खड़ा कर रहे थे, उस पर पुलिस के एक अधिकारी ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि 19 नवंबर को जैसे ही जिला प्रशासन के द्वारा मस्जिद के सदर और अन्य समिति के सदस्यों से सूचना देकर सर्वे करने सहमति ली गई थी तो कुछ चिह्नित लोगों को ही मस्जिद के अंदर जाना था लेकिन ऐसा हुआ नहीं और अनाधिकृत लोग भी अंदर घुसे। अत्यधिक भीड़ होने के चलते पहले दिन का कार्य अधूरा छोड़कर उसे स्थगित करना पड़ा। जिसकी वजह से ही 24 नवंबर को फिर से सर्वे करने का समय निर्धारित किया गया था। गौरतलब हो, जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर को लेकर चंदौसी सिविल जज (सीनियर डिवीजन) आदित्य सिंह के आदेश पर सर्वे कराया गया था।
पुलिस के अधिकारी ने बताया कि 19 नवंबर को मस्जिद के सदर जफर अली के अलावा इंतजामिया समिति के सदस्यों की उपस्थिति में एडवोकेट कमिश्नर रमेश राघव को अपनी टीम के साथ सर्वे का कार्य करना था। इसके लिए जिला प्रशासन की दोनों पक्षों के साथ बातचीत हुई और निश्चित संख्या में लोगों को अंदर प्रवेश करने दिया गया। डीएम और एसपी के अलावा प्रशासनिक सभी लोगों को बाहर रखा गया और मुख्य द्वार को बंद कर दिया गया था। समस्या तब उत्पन्न हुई, जब अचानक शहर के कुछ जनप्रतिनिधि और उनके समर्थक लोग आए और मस्जिद का गेट खुलवाकर अंदर घुस गए।
जिला प्रशासन और पुलिस की टीम ने ऐसे लोगों के अंदर जाने का विरोध भी किया लेकिन उनकी आपत्ति को दरकिनार किया गया था। इतना ही नहीं एक के बाद एक मस्जिद में 150 से 200 लोग दाखिल हो गए और टीम को अपना सर्वे कार्य करने में दिक्कत आने लगी। लोग सर्वे पर आपत्ति और विरोध की बातें करने लगे, सवाल खड़े करने लगा। ज्यादा भीड़ को देखते हुए कार्य लगातार प्रभावित हो रहा था और रात्रि का समय भी हो रहा था। जिसके चलते एडवोकेट कमिश्नर और जिला प्रशासन कार्य को स्थगित किया और यह कार्य अगले दिन करने का निर्णय लिया, लेकिन जुम्मे की नमाज और उपचुनाव की मतगणना को लेकर चार दिन तक यह सर्वे नहीं हो पाया जो बाद में 24 नवंबर को कराया गया।