By रेनू तिवारी | May 23, 2019
उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा चुनाव 2019 का मुख्य केंद्र बना है। हर किसी की निगाहें अमेठी लोकसभा सीट पर बनी हुई है कि, साल 2019 में किसकी होगी अमेठी? राहुल गांधी की या स्मृति ईरानी की। इस बार अमेठी में भाजपा और कांग्रेस के दोनों दावेदारों के बीच कड़ी टक्कर हैं। जहां राहुल गांधी को अपना गढ़ बचाने के लिए जीतना होगा। वही स्मृति ईरानी को अपना राजनीतिक करियर बचाने के लिए जीतना जरूरी होगा।
2014 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ खड़ी हुई थी लेकिन उन्हें अमेठी के जनादेश ने स्वीकार नहीं किया था। स्मृति ईरानी ने इस हार को चुनौती लेकर 5 साल तक अमेठी में जमकर काम किया और आज अमेठी की जनता उन्हें अपनी बेटी कहती है। जी हां समाचारों में स्मृति ईरानी को अमेठी की बेटी माना जाता है।
हाल ही में स्मृति ईरानी ने अमेठी के लोगों को कुंभ दर्शन के लिए मुफ़्त में बसों की सेवा भी दी गई थी। जिस परिवार को सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं मिल रहा इस क्षेत्र में स्मृति ईरानी ने जमकर काम दिया। आज स्मृति ईरानी के बल पर तमाम परिवार सरकारी योजनाओं का फायदा उठा रहे हैं।
एक खास बातचीत के दौरान बीजेपी के जिला अध्यक्ष का कहना है कि इस बार स्मृति ईरानी ने जो अमेठी के लिए किया हैं इसी की बदौलत वो इस बार राहुल को हराएंगी।
सोनिया गांधी ने साल 2017 से कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ कर ये जिम्मेदारी राहुल गांधी को सौप दी। 16 दिसंबर 2017 को औपराचिक रूप से राहुल गांधी की ताजपोशी की गई। जिसके बाद राहुल गांधी राजनीति में तेजी से सक्रिय हो गये और मोदी सरकार को 2019 में आने से रोकने के लिए रणनीती बनाने लगे। इससे पहले राहुल गांधी साल 2004 से अमेठी से पहली बार लोकसभा के लिए चुनाव लड़ा था और एतिहासिक वोटों से जीत दर्ज की थी।
उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा चुनाव सीट मुख्यत गांधी परिवार का घर रहा है। कांग्रेस की ये परम्परागत सीट रही है। इस सीप पर पहले पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु, फिर उनके बाद इस सीट पर संजय गांधी, राजीव गांधी ने भी प्रतिनिधित्व किया और राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी इस सीट पर चुनाव लड़ा। और पीछले 4 बार के लोकसभा चुनाव से राहुल गांधी अमेठी से सांसद है।
देशभर में लोकसभा चुनाव की मतगणना हो रही है अमेठी के शुरूआती रुझानों में राहुल गांधी 2000 वोटों से स्मृति ईरानी से पीछे चल रहे है। और अगर राहुल गांधी इस बार अमेठी हार जाते हैं तो एक तरह से कहा जा सकता है कि गांधी परिवार का राजनीति से वर्चस्व खत्म होने की ओर बढ रहा हैं।