By अनुराग गुप्ता | Nov 11, 2021
बलिया। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियों पर काम करना शुरू कर चुके हैं। इसी बीच सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर अब अपने सहयोगी समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की राह पर आगे बढ़ चुके हैं। उन्होंने भी अब जिन्ना वाला राग अलाप लिया है। जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में भूचाल आ गया है।
जिन्ना को बनाना चाहिए था प्रधानमंत्री
सुभासपा नेता ने कहा कि जिन्ना को आजाद भारत का पहला प्रधानमंत्री बनाया गया होता तो कोई देश का बंटवारा नहीं होता। उन्होंने यह बयान बुधवार को दिया था लेकिन अभी भी अपने बयान पर सुभसपा नेता कायम हैं।आपको बता दें कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कुछ हफ्ते पहले कहा था कि महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, जवाहरलाल नेहरू और जिन्ना बैरिस्टर बने, देश की आजादी के लिए संघर्ष किया और कभी इससे पीछे नहीं हटे। अखिलेश द्वारा यह बयान दिए जाने के साथ ही जिन्ना वाली राजनीति शुरू हो गई। भाजपा ने अखिलेश को घेरने का प्रयास किया और ओमप्रकाश राजभर ने तो साफ शब्दों में कह दिया कि जिन्ना को प्रधानमंत्री बनाते तो देश का बंटवारा नहीं होता।सुभसपा नेता ने कहा कि पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना भारत के बंटवारे के लिए जिम्मेदार नहीं हैं बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) है। उन्होंने कहा कि देश को आजादी दिलाने में जिन्ना का भी योगदान है और वह देश के लिए लड़े थे।
देश के लिए लड़े थे जिन्नाउन्होंने कहा कि भारत के बंटवारे के दोषी जिन्ना नहीं, बल्कि आरएसएस है। विवाद की स्थिति संघ ने ही पैदा की थी। अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी और गोविंद बल्लभ पंत सरीखे नेता जिन्ना की प्रशंसा करते रहे हैं। देश को आजादी दिलाने में जिन्ना का भी योगदान है, वह देश के लिए लड़े थे। आजादी मिलने के बाद जिन्ना को प्रधानमंत्री बना देना चाहिए था।साल 2017 में ओमप्रकाश राजभर ने भाजपा के साथ गठबंधन किया था लेकिन इस बार समीकरण बदल गए और उन्होंने अखिलेश से हाथ मिला लिया। अखिलेश यादव ने पहले ही साफ कर दिया था कि वो चुनाव से पहले छोटे-छोटे दलों को एकजुट करने का काम करेंगे। क्योंकि पिछले चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था, जिसका अनुभव अच्छा नहीं था। ऐसे में वो किसी भी बड़ी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करने वाले हैं।