By नीरज कुमार दुबे | Nov 05, 2024
कनाडा के ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर के पास खालिस्तान समर्थकों की ओर से हिंदुओं पर किये गये हमले का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। विश्व भर में जहां हिंदू संगठन और संत धर्माचार्य इस घटना की निंदा कर रहे हैं वहीं भारत के प्रधानमंत्री ने भी हिंदुओं पर हुए हमले पर कड़ा ऐतराज जताया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसा ही ऐतराज तब भी जताया था जब बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले किये जा रहे थे। हम आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कनाडा में एक हिंदू मंदिर पर हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि हिंसा के ऐसे कृत्य भारत के संकल्प को कभी कमजोर नहीं करेंगे। ब्रैम्पटन में भारतीय वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों की मंदिर यात्रा के दौरान हिंसक झड़पों के एक दिन बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने इसे 'जानबूझकर किया गया हमला' और 'हमारे राजनयिकों को डराने का कायरतापूर्ण प्रयास' करार दिया। उन्होंने यह उम्मीद भी जताई कि कनाडा सरकार न्याय सुनिश्चित करेगी और कानून का शासन बनाए रखेगी।
मोदी ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, "मैं कनाडा में हिंदू मंदिर पर जानबूझकर किए गए हमले की कड़ी निंदा करता हूं। हमारे राजनयिकों को डराने के कायरतापूर्ण प्रयास भी उतने ही भयावह हैं।" उन्होंने कहा, "हिंसा के ऐसे कृत्य भारत के संकल्प को कभी कमजोर नहीं करेंगे। हम उम्मीद करते हैं कि कनाडा सरकार न्याय सुनिश्चित करेगी और कानून का शासन बनाए रखेगी।" हम आपको बता दें कि कनाडा के साथ रिश्तों में आई कड़वाहट और खालिस्तानी आतंकवादियों से संबंधित मुद्दों पर विवाद शुरू होने के बाद से प्रधानमंत्री की यह पहली टिप्पणी है।
इससे पहले, भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत कनाडा में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर ‘बेहद चिंतित’ है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘हम ओंटारियो के ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर में कल चरमपंथियों और अलगाववादियों द्वारा की गई हिंसा की निंदा करते हैं।'' वहीं इस मामले में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, "कनाडा में हिंदू मंदिर में जो हुआ वह बेहद चिंताजनक है... आपको हमारे आधिकारिक प्रवक्ता का बयान और कल हमारे प्रधानमंत्री द्वारा व्यक्त की गई चिंता भी देखनी चाहिए थी। इससे आपको पता चल जाएगा कि हम इस घटना के बारे में कितनी गहरी भावना रखते हैं।"
इस बीच, कनाडा में हिंदुओं ने एकजुटता रैली की। 3 नवंबर को खालिस्तानी समर्थकों के हमले के बाद 4 नवंबर की शाम को कनाडा के ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर के बाहर भारी भीड़ एकत्रित हुई और मंदिर तथा हिंदू समुदाय के साथ एकजुटता दिखाई। एकजुटता रैली के आयोजकों ने कनाडाई राजनेताओं और कानून प्रवर्तन एजेंसियों पर खालिस्तानियों को और समर्थन न देने का दबाव डाला। रैली में भाग लेने वालों ने कहा कि कनाडा में हमारी जान है और हिंदुस्तान में हमारी जान बसती है। लोगों ने कहा कि समय आ गया है कि सभी राजनेता यह जान लें कि हिंदू कनाडाई लोगों के साथ जो हो रहा है वह गलत है।
इस बीच, खबर है कि खालिस्तानियों के विरोध प्रदर्शन में भाग लेने पर एक पुलिस अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है। मीडिया मामलों के अधिकारी रिचर्ड चिन ने ‘सीबीसी न्यूज’ को भेजे एक ई-मेल में कहा कि पुलिस ‘सोशल मीडिया पर आए उस वीडियो से अवगत है जिसमें कनाडा पुलिस का एक अधिकारी प्रदर्शन में शामिल दिखता है। वैसे यह पुलिस अधिकारी उस वक्त ड्यूटी पर नहीं था।’ उन्होंने कहा कि इस अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है।
हम आपको यह भी बता दें कि कनाडा के एक पूर्व मंत्री ने प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को “सामाजिक और राजनीतिक रूप से मूर्ख व्यक्ति” करार दिया। उन्होंने कहा कि ट्रूडो कभी समझ ही नहीं पाए कि ज्यादातर सिख धर्मनिरपेक्ष हैं और वे खालिस्तान से कोई सरोकार नहीं रखना चाहते। पूर्व प्रधानमंत्री पॉल मार्टिन की सरकार में संघीय कैबिनेट मंत्री रह चुके उज्जल दोसांझ (78) ने कनाडाई अखबार ‘नेशनल पोस्ट’ के लिए लिखे एक लेख में कहा कि ट्रूडो के रुख ने खालिस्तानी चरमपंथियों को मजबूत किया है और उदारवादी सिखों के बीच डर का माहौल बनाया है। दोसांझ ने ट्रूडो पर आरोप लगाया कि वह कनाडा में विशाल सिख आबादी के लिए जिम्मेदार हैं, जो दुनिया में सबसे बड़ा सिख प्रवासी समुदाय है, और “खालिस्तानी इसका इस हद तक फायदा उठा रहे हैं कि यह अलगाववादी आंदोलन अब एक कनाडाई समस्या बन गया है।” उन्होंने कहा, “ज्यादातर सिख खालिस्तान से कोई सरोकार नहीं रखना चाहते हैं। वे सिर्फ इसलिए कुछ नहीं बोलते, क्योंकि उन्हें हिंसा और हिंसक नतीजों का डर है।” दोसांझ ने कहा कि ट्रूडो “हकीकत में कभी समझ ही नहीं पाए कि ज्यादातर सिख धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण रखते हैं, इस तथ्य के बावजूद कि वे मंदिर जाते हैं।” उन्होंने कहा, “खालिस्तानी बहुसंख्यक नहीं हैं और तथ्य यह है कि डर के कारण कोई भी उनके खिलाफ नहीं बोलता।”
दोसांझ ने दावा किया कि कनाडा में कई मंदिरों पर खालिस्तान समर्थकों का नियंत्रण है। उन्होंने कहा कि यह ट्रूडो की गलतियों का नतीजा है कि “आज कनाडा के लोग खालिस्तानियों और सिख को एक मानते हैं, मानो कि अगर हम सिख हैं, तो हम सब खालिस्तानी हैं।” दोसांझ ने दावा किया कि कनाडा में रह रहे आठ लाख सिखों में से ज्यादातर खालिस्तान आंदोलन का समर्थन नहीं करते। उन्होंने कहा, “मेरे हिसाब से पांच फीसदी से भी कम इसके समर्थन में हैं।''