कोलकाता। भारतीय कप्तान विराट कोहली इतने लंबे समय से जिस तरीके से बल्लेबाजी कर रह हैं, वो असंभव ही लगता है और उन्होंने कहा कि उन्हें भी व्यस्त अंतरराष्ट्रीय कार्यकम से आराम की जरूरत है क्योंकि वह ‘रोबोट नहीं’ हैं। कोहली ने 2017 में सात टेस्ट, 26 वनडे और 10 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं जो भारतीय टीम के किसी भी खिलाड़ी द्वारा खेले गये सबसे ज्यादा मुकाबले हैं। श्रीलंका के खिलाफ पहले टेस्ट की पूर्व संध्या पर कोहली ने पत्रकारों से कहा, ‘‘निश्चित रूप से मुझे भी आराम की जरूरत है, मुझे क्यों आवश्यकता नहीं होगी। जब मुझे लगेगा कि मेरे शरीर को आराम की जरूरत है तो मैं इसके लिये कह दूंगा, क्यों नहीं कहूंगा।
मैं रोबोट नहीं हूं, आप मेरी त्वचा को काटकर देख सकते हो कि ऐसा करने में पर खून निकलता है या नहीं। ’’भारतीय कप्तान ने इंडियन प्रीमियर लीग के 10वें चरण में 10 मैच भी खेले हैं और उन्होंने थकान संबंधित चिंता के बारे में भी चेताया। उन्हांने कहा, ‘‘यह एक चीज है, मुझे नहीं लगता है कि लोग इसे उचित तरह से समझा पाते हैं। थकान के बारे में बाहर से काफी बातें होती हैं कि खिलाड़ी को आराम दिया जाना चाहिए या नहीं। ’’उदाहरण के तौर पर सभी क्रिकेटर एक वर्ष में 40 मैच खेलते हैं। तीन खिलाड़ी जिन्हें आराम दिया जाना चाहिए, उनके कार्यभार को बांटा जाना चाहिए।
अंतिम एकादश में हर कोई 45 ओवर तक बल्लेबाजी नहीं करता या हर कोई टेस्ट में 30 ओवर तक गेंदबाजी करता हो। लेकिन जो खिलाड़ी नियमित तौर पर ऐसा कर रहे हैं, उनका आकलन किया जाना चाहिए। मैदान पर कोहली के एथलेटिक अंदाज का प्रभाव अन्य खिलाड़ियों पर भी पड़ा है और वे इसे स्वीकार भी करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि लोग क्रीज पर बिताये गय समय को देखते हैं, रनों की संख्या देखते हैं, ओवरों की संख्या देखते हैं, परिस्थितियां देखते हैं। मुझे नहीं लगता कि लोग इतना आकलन करते हैं। हर कोई इतने ही मैच खेलता है। ’’
कोहली ने कहा, ‘‘उदाहरण के तौर पर पुजारा पर सबसे ज्यादा बोझ है क्योंकि वह सबसे ज्यादा समय क्रीज पर बिताता है और उसका खेल इसी तरह से होता है। आप इसकी तुलना किसी अन्य बल्लेबाज से नहीं कर सकते क्योंकि उसका बोझ काफी कम होगा। ’’उन्होंने कहा, ‘‘इन सभी चीजों को ध्यान में रखना चाहिए क्योंकि हमने 20-25 खिलाड़ियों की एक मजबूत कोर टीम तैयार की है। आप नहीं चाहते कि आपके महत्वपूर्ण खिलाड़ी मुश्किल मौके पर विफल हो जायें, यहीं संतुलन आगे बरकरार रखने की जरूरत है। ’’
कोहली ने कहा कि सभी तीनों प्रारूपों में खेलन और ब्रेक लिये बिना उसी जज्बे से खेलना असंभव है। उन्होंने कहा, ‘‘यह मानवीय रूप से संभव नहीं है कि खिलाड़ी तीनों में उसी उत्साह और समान स्तर के प्रदर्शन को कायम रखे।