सैकड़ों मोदियों और कोठारियों का रंगे हाथ पकड़े जाना अभी बाकी है

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By डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Feb 22, 2018

सैकड़ों मोदियों और कोठारियों का रंगे हाथ पकड़े जाना अभी बाकी है

हीरा व्यापारी नीरव मोदी और पैन व्यापारी विक्रम कोठारी कितने रुपए खा गए? सिर्फ 14095 करोड़ रु.! मैं इस राशि को ‘सिर्फ’ क्यों कह रहा हूं? क्योंकि पिछले साढ़े पांच साल में हमारी बैंकों के 3 लाख 68 हजार करोड़ रु. खाए गए हैं। यह इतनी बड़ी राशि है कि दुनिया के ज्यादातर देशों के कुल बजट से भी ज्यादा है। भारत के हर गांव पर इस राशि में से 50 लाख रु. लगाए जा सकते हैं। याने भारत नंदनवन बन सकता है। लेकिन रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार इतनी राशि डूबतखाते में लिख दी गई है।

देश के 27 सरकारी बैंकों और 22 निजी बैंकों की इस राशि को देश के पूंजीपति जीम गए हैं। निजी बैंकों के मुकाबले सरकारी बैंकों को पांच गुना ज्यादा लूटा गया है, क्योंकि इन बैंकों की लूट में नेताओं और पूंजीपतियों की मिलीभगत होती है। नेता लोग दबाव डालते हैं और पूंजीपतियों की 10 करोड़ की संपत्ति को 100 करोड़ में गिरवी रखवा देते हैं। पंजाब नेशनल बैंक की ठगी से मालूम पड़ा है कि उच्च पदस्थ प्रबंधकों को भी नियमित कमीशन (रिश्वत) मिलता है। रिजर्व बैंक की रपट के बाद मोदी और कोठारी के दो मामले खुले हैं। देश में सैकड़ों मोदियों और कोठारियों को अभी रंगे हाथ पकड़ा जाना है। कहीं ऐसा न हो कि ये सब बैंकें दीवालिया घोषित हो जाएं। लोग डर के मारे अपना सब जमा पैसा निकालकर घर में रखना शुरु कर दें।

 

सरकारों पर से भी लोगों का भरोसा उठ सकता है, क्योंकि ये महाठग सभी सरकारों को पटाकर रखते हैं। लेकिन संतोष की बात है कि सरकार की नींद खुलने पर वह आनन-फानन छापे मार रही है लेकिन डर यही है कि कहीं बोफोर्स और 2 जी की तरह ये मामले भी रफा-दफा न हो जाएं। छोटे-मोटे कर्जों के लिए किसानों पर अहसान जताने वाली इन सरकारों को चाहिए कि इन मोटे मगरमच्छों को वह आजीवन कैद या सीधे फांसी करवाए और उनके सभी निकट रिश्तेदारों की पाई-पाई भी जब्त करवा दे। बैंकों के भ्रष्ट अधिकारियों को भी कठोरतम सजा दी जाए और उनकी समस्त संपत्ति जब्त की जाए। संसद में वैसा कानून पास करे और इन ठगों की हड्डियों में कंपकंपी दौड़वा दे।

 

-डॉ. वेदप्रताप वैदिक

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