भोपाल। शिवपुरी जिले के मेडिकल कालेज का निर्माण लगभग दो सौ करोड रूपये की लागत से हुआ है, लेकिन इस मेडिकल कालेज में बीते मंगलवार को कोराना के भर्ती मरीजों के लिये पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं थी। मानव अधिकार आयोग ने इस मामले पर संज्ञान लिया है। इस मामले में आयोग ने अधीक्षक, मेडिकल कालेज अस्पताल शिवपुरी से 07 मई तक प्रतिवेदन मांगा है। आयोग ने अधीक्षक से यह भी पूछा है कि सभी प्रकार के रोगियों के लिये पीने के पानी की कोई व्यवस्था उपलब्ध है या नहीं ? यदि है, तो अपने प्रतिवेदन में विस्तृत विवरण दें।
हालही में शुरू हुये शिवपुरी मेडिकल कालेज में कोरोना रोगी और उनके परिजनों के लिये पीने के पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं है, जबकि करोडों रूपये से बनाये गये इस कालेज में सभी जरूरी व्यवस्थाएं होना ही चाहिए थी। बीते मंगलवार को मरीजों ने पीने के पाने के लिये हंगामा शुरू कर दिया। यह जानकारी जब एक स्थानीय जनप्रतिनिधि को लगी तो उन्होंने स्वयं व फिजिकल कालेज पुलिस थाना प्रभारी की गाड़ी से यहां पीने के पानी की बोतलें भिजवाई। वही एक अन्य मामले में मानव अधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुए राजधानी भोपाल में प्रशासनिक व्यवस्थाओं को लेकर जबाब तलब किया है। दरआसल लोगों की शिकायत है कि भोपाल शहर में किसी की मां गंभीर हालत में है, तो किसी का बेटा मौत से झूज रहा है। ये सब अपनों की जिंदगी बचाने रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिये भटक रहे है, लेकिन ये इंजेक्शन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी जिस ड्रग इंस्पेक्टर्स पर है, वे न तो मेडिकल शॉप पर मिलते है और न फोन उठाते हैं। पीड़ित मरीजों के परिजनों का आरोप है कि ये इतने निष्ठुर हो चुके हैं कि भले ही किसी मरीज की जान चली जाये, पर इनका फोन नहीं लगता। वहीं इस मामले में एडीएम भोपाल का कहना है कि हमारे पास सिर्फ शासकीय अस्पताल, मेडिकल कालेज में इंजेक्शन की सप्लाई का काम है। इस मामले में आयोग ने औषधि नियंत्रक (ड्रग कंट्रोलर) मध्य प्रदेश शासन से 07 मई 2021 तक प्रतिवेदन मांगा है। आयोग ने ड्रग कंट्रोलर से यह भी पूछा है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की उपलब्धता की क्या स्थिति है ?