राजनीतिक फायदे के लिए मानवाधिकार का हनन सुनियोजित षड्यंत्र: WB राज्यपाल धनखड़

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 26, 2021

जयपुर। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने शनिवार को मानवाधिकार हनन को लेकर एक तरह से राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा और कहा कि मानवाधिकारों का हनन ‘सुनियोजित षड़यंत्र’ है, जो खास राजनीतिक लाभ के लिए किया जाता है। पश्चिम बंगाल में हो रहे मानवाधिकारों के हनन की ओर इशारा करते हुए राज्यपाल ने कहा, ‘‘मानवाधिकारों का संरक्षण जरूरी है। अधिकारों का हनन हो और प्रशासन और न्यायालय से मदद नहीं मिले तो व्यक्ति कहां जाए। प्रशासन उन लोगों की मदद करता है, जो अधिकारों का हनन कर रहे हैं।’’

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उन्होंने कहा,‘‘ मानवाधिकारों का हनन सुनियोजित षड़यंत्र है, जो खास राजनीतिक उपलब्धि के लिए किया जाता है। यह भारत के संविधान पर कुठाराघात है। पश्चिम बंगाल में एक वे लोग हैं जो चैन की नींद सोते हैं और बेपरवाह हैं, उन्हें प्रशासन कुछ नहीं कहेगा। दूसरे वे लोग हैं जो एक पल भी नहीं सो पाते, उनको डर लगाता है।’’ धनखड़ शनिवार को जयपुर से लगभग 20 किलोमीटर दूर धानक्या ग्राम में पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति समारोह समिति की ओर से दीनदयाल की 105वीं जयंती पर आयोजित संगोष्ठी में व्याख्यान दे रहे थे।

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यहां जारी बयान के अनुसार अपने संबोधन में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सीबीआई दफ्तर में धरना देती हैं और कहती है कि मुझे गिरफ्तार करो या इन्हें छोड़ो। यह घटना किसी अन्य राज्य में होती तो पता नहीं क्या हो जाता है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में जो चुनौतियां और समस्याएं है, उनका सामना करने के लिए मैं यहां से उर्जित और ज्यादा ताकत के साथ जा रहा हूं। लड़ाई कितनी ही मुश्किल हो, लड़े बिना काम नहीं चलता। उन्होंने कहा,‘‘ मैं उस भूभाग का राज्यपाल हूं जहां लोगों को इस बात के लिए दंडित किया जाता है कि आपने प्रजातंत्र में अपनी मर्जी से वोट देने की हिमाकत कैसे की।’’ उन्होंने कहा कि आगे आकर उन लोगों को आइना दिखाना होगा जो लोगों को भ्रमित कर देश की छवि को धूमिल कर रहे हैं।’’ धनखड़ ने कहा,‘‘ दीनदयाल ने जो बीज बोया था, उस पर समर्पित हुए बिना हम न संस्कृति को बचा पाएंगे, न आजादी को बचा पाएंगे और न ही प्रजातंत्र को फलीभूत कर पाएंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल का कोई भूभाग नहीं है, जहां आजादी की लड़ाई में लोगों ने अपने जीवन की आहुति नहीं दी हो, लेकिन विडंबना है कि आजादी के बाद यह ज्ञान दिये जाने लगा कि आजादी कुछ ही लोगों ने दिलाई।’’ उन्होंने कहा कि यह सुअवसर है, हम आजादी के उन लोगों को पहचाने। उनके बारे में ज्ञान प्राप्त करें, जिन्होंने आजादी के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। राज्यपाल ने कहा कि भारत की संस्कृति हजारों साल पुरानी है, दुनिया में भारत को इज्जत के साथ देखा जाता है। यहां के प्रधानमंत्री जिस प्रकार का काम कर रहे हैं, उनका लोहा दुनिया मानती है। केन्द्रीय कला व संस्कृति मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि आजादी के 75 वर्ष मनाने के लिए बनाई गई समिति की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था आजादी का अमृत महोत्सव ऐसा होने चाहिए जिसमें विश्लेषण भी हो और चिंतन भी हो।

प्रधानमंत्री की ही सोच थी कि उन्होंने उत्सव को आजादी का अमृत उत्सव नाम दिया, इसमें भारतीयता की झलक स्पष्ट है। बयान के अनुसार कार्यक्रम को भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में पैरालंपिक में पदक विजेता अवनि लखेरा और देवेंद्र झाझड़िया का अभिनंदन किया गया।

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