नयी दिल्ली। एचपीसीएल देश की तीसरी सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी कंपनी बनने के लिये मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लि. (एमआरपीएल) का अधिग्रहण कर सकती है। यह अधिग्रहण नकद और शेयर अदला-बदली सौदे के जरिये हो सकता है। देश की सबसे बड़ी गैस उत्पादक कंपनी आयल एंड नेचुरल गैस कारपोरेशन (ओएनजीसी) ने पिछले सप्ताह एचपीसीएल के 36,915 करोड़ रुपये में अधिग्रहण की घोषणा की। इस अधिग्रहण के बाद ओएनजीसी के पास दो अनुषंगी रिफाइनरी कंपनियांएचपीसीएल तथा एमआरपीएल हो गयी हैं।
हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन ( एचपीसीएल) के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मुकेश कुमार सुराना ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘अगर एमआरपीएल एचपीसीएल के पास आती है तो हम चीजों में काफी तालमेल ला सकते हैं।’’एचपीसीएल उत्पादन के मुकाबले अधिक पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री करती है जबकि एमआरपीएल की 1.5 करोड़ टन सालाना क्षमता की रिफाइनरी को अपने नियंत्रण में लेने से उसे कमी को पूरा करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि साथ ही कच्चे तेल की खरीद के साथ रिफाइनरी गठन के अनुकूलतम उपयोग में तालमेल हो सकता है।
ओएनजीसी की एचपीसीएल को एक स्वतंत्र सूचीबद्ध कंपनी के रूप में बनाये रखने की योजना है। सुराना ने कहा, ‘‘एमआरपीएल हमारे लिये कोई नई कंपनी नहीं है। वास्तव में ओएनजीसी द्वारा 2003 में इसमें संयुक्त उद्यम सहयोगी ए वी बिड़ला समूह की हिस्सेदारी के अधिग्रहण से पहले यह एचपीसीएल की ही कंपनी थी। हम एमआरपीएल में लगभग 17 प्रतिशत हिस्सेदारी रखेंगे और हम कंपनी को अच्छी तरह जानते हैं।’’उन्होंने कहा कि विलय ओएनजीसी समूह के हित में है।
ओएनजीसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक शशि शंकर ने कहा कि उनकी कंपनी बाद में एमआरपीएल का एचपीसीएल में विलय पर विचार करेगी। उन्होंने कहा कि दोनों कंपनियों के निदेशक मंडलों को प्रस्ताव पर विचार और उस पर निर्णय करना है। ओएनजीसी की एमआरपीएल में 71.63 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि एचपीसीएल की 16.96 प्रतिशत हिस्सेदारी है।सुराना ने कहा कि विलय शेयर अदला-बदली और नकद के जरिये हो सकता है।