By एकता | Dec 18, 2023
टॉक्सिक रिश्ते हमारे दिल और दिमाग दोनों पर गहरा और नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। ऐसे रिश्तों के बुरे अनुभवों से भाग पाना मुश्किल है और इन्हें स्वीकार करने में समय लगता है। टॉक्सिक रिश्तों से निकलने के बाद लोग नए रिश्ते में आने से परहेज करते हैं। कई लोग हिम्मत कर के नए रिश्ते में आ जाते हैं, लेकिन पुराने रिश्ते के अनुभव रह-रहकर उन्हें परेशान करते हैं। लोगों को हमेशा अस्वीकार किए जाने और त्याग दिए जाने का डर सताता रहता है। इसी के साथ गलत समझने का डर भी लोगों को लगा रहता है। यहीं वजह है कि ऐसे लोग हर चीज की जरुरत से ज्यादा व्याख्या करते हैं।
आपको पढ़कर हैरानी होगी, लेकिन ये हकीकत है। पहले के रिश्ते में जिन लोगों का अनुभव बुरा रह चुका है, वह हर एक बात की जरुरत से ज्यादा व्याख्या करते हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार, अत्यधिक व्याख्या करना एक प्रतिक्रिया है, जो त्याग दिए जाने के डर के कारण होती है। मनोवैज्ञानिक कैरोलिन मिडल्सडॉर्फ ने अपने सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर बात करते हुए लिखा, 'आघात अक्सर अधिक व्याख्या करने की आवश्यकता पैदा करता है, यह सुनिश्चित करके सुरक्षा की मांग करता है कि दूसरे हमें समझते हैं। जर्नलिंग के माध्यम से आत्म-जागरूकता, इन पैटर्न को सुलझाने में मदद करती है, ट्रिगर और प्रतिक्रियाओं में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। आत्म-करुणा एक सुखदायक बाम बन जाती है, जो हमारे आंतरिक घावों को पोषित करती है। ग्राउंडिंग तकनीक अराजकता के बीच स्थिर हो जाती है।'
- बुरे अनुभवों से भरे लोग अक्सर नए रिश्तों में समझ की तलाश करते हैं। वह चाहते हैं लोग उन्हें और उनकी हर बात को समझें। इसलिए वह हर एक बात को बड़ी बारीकी से एक्सप्लेन करते हैं।
- बुरे अनुभवों से गुजरने वाले लोगों को हमेशा गलत समझे जाने का डर सताता है, इसलिए वह दूसरे के किसी भी प्रकार की नकारात्मक सोच और निर्णय होने से पहले ही खुद को समझाने की कोशिश करने लगते हैं।
- जो लोग बुरे अनुभवों से गुजरे हुए होते हैं, वो शक्तिहीन और असहाय महसूस करते हैं। ये भावना अक्सर उन्हें खुद को अत्यधिक समझाने पर मजबूर कर देती है।
- आत्म-जागरूकता का अभ्यास करना शुरू करें। इससे आपको उन चीजों को समझने में मदद मिलेगी, जिनकी वास्तव में आपको आवश्यकता है। इसके अलावा ये आपको नियंत्रण से परे चीजों को छोड़ना भी सिखाएगी।
- भावनाओं को साझा करने की सीमा निर्धारित करने से अत्यधिक व्याख्या को कम करने में मदद मिलेगी। केवल उन्हीं भावनाओं को प्रकट करें, जो बोलने और सुनने में सहज महसूस करवाएं।