कैसे मिलती है UNSC की अध्यक्षता, भारत को स्थायी सदस्यता मिलने में रूकावट कहां है?

By अभिनय आकाश | Aug 09, 2021

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में समुद्री सुरक्षा पर ओपन डिबेट की अध्यक्षता करेंगे। बीते 75 साल में पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री UNSC की बैठक की अध्यक्षता करेंगे। 1 अगस्त से ही यूएनएससी की अध्यक्षता भारत के पास है। कुछ दिनों पहले भारत की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक भी हुई। आज प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में खुली चर्चा होगी। प्रधानमंत्री मोदी वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिये कार्यक्रम में शामिल होंगे। बैठक में समुद्री सुरक्षा, शांति रक्षक अभियान और आतंकवाद को रोकने के लिए कारगर उपायों पर चर्चा होगी। रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। दुनिया के सबसे बड़े मंच पर भारत का सबसे पुराना साझेदार कंधे-से कंधा मिलाकर खड़ा है। भारत दो साल के लिए सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है। 

कैसे मिलती है यूएनएससी की अध्यक्षता

भारत ने एक अगस्त से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभाल ली है। भारत को यह जिम्मेदारी अगस्त महीने के लिए मिली है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता हर महीने बदलती है। फ्रांस के बाद भारत की बारी आई है। भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का दो साल के लिए अस्थायी सदस्य है। भारत एक जनवरी, 2021 को सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य बना था। भारत का कार्यकाल अभी बाकी है, ऐसे में भारत को दो साल के अपने कार्यकाल में दो बार यूएनएससी की अध्यक्षता मिलेगी।

अफगानिस्तान के आग्रह पर यूएनएससी में चर्चा 

अफगानिस्तान के आग्रह पर यूएनएससी में चर्चा करवाई। तालिबान संकंट की ओर दुनिया को आगाह किया। इस महीने के लिए परिषद के कार्यों की सूची के अनुसार अफगानिस्तान पर बैठक शामिल नहीं थी। लेकिन अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मोम्मद हनीफ अतमार ने अफगानिस्तान पर ‘‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक पर चर्चा कराने के लिए’’ विदेश मंत्री एस जयशंकर से बात की थी। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि और अगस्त माह के लिए सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष टी एस तिरुमूर्ति ने अफगानिस्तान को लेकर कहा था कि उन्हें उम्मीद है किइस पहलू पर सुरक्षा परिषद जल्द से जल्द गौर करेगी। तिरुमूर्ति ने सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता का पहला हफ्ता खत्म होने पर कहा, ‘‘मुझे लगता है कि अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक महत्वपूर्ण थी। इसमें परिषद और उसके बाहर के सदस्यों को हिंसा तथा शत्रुता खत्म करने का आह्वान करने के लिए एकजुट किया गया और इससे अफगानिस्तान तथा उसके लोगों खासतौर से महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के समक्ष आ रही गंभीर स्थिति को बाहरी दुनिया को दिखाने में मदद मिली।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम खुश हैं कि इस बैठक को प्राथमिकता दे सके और अध्यक्षता के पहले हफ्ते में ही इसे करा पाए।’’ बैठक में परिषद के सदस्यों ने अफगानिस्तान में हिंसा बढ़ने की कड़ी निंदा की। अमेरिका ने कहा, ‘‘तालिबान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय की यह बात जरूर सुननी चाहिए कि हम अफगानिस्तान पर सैन्य कब्जा या तालिबान के इस्लामिक शासन की वापसी स्वीकार नहीं करेंगे।’’ अफगानिस्तान पर यह बैठक तब हुई है जब अफगान सरकार और दोहा में तालिबान के बीच बातचीत ठप हो गई और जब कुछ दिनों बाद 11 अगस्त को कतर में ‘‘विस्तारित ट्रोइका’’ बैठक होनी है। परिषद की बैठक के दौरान संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के दूत गुलाम इसाकजई ने कहा कि तालिबान को देश में पनाह मिल रही है और पाकिस्तान से युद्ध के लिए जरूरी साजो-सामान उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

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क्या है संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद

संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा एवं शांति बनाये रखने की प्राथमिक जिम्मेदारी सुरक्षा परिषद (Security Council) की है। इसके अंतर्गत, विश्व के प्रमुख, युद्ध में शामिल रही शक्तियों (राष्ट्रों) - चीन, फ़्रांस, रूस, ग्रेट ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका ने खुद को एक विशेष दर्जा/विशेषाधिकार दिया है, और यह विशेषाधिकार वह शक्तियां हैं जो संयुक्त राष्ट्र के अन्य सदस्य राष्ट्रों को उपलब्ध नहीं है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कुल 15 देश हैं। इनमें अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और चीन स्थाई सदस्य देश हैं। वहीं 10 देशों को अस्थाई सदस्यता दी गई है। इनमें बेल्जियम, कोट डी-आइवरी डोमिनिकन रिपब्लिक, गिनी, जर्मनी, इंडोनेशिया, कुवैत, पेरू, पोलैंड, दक्षिण अफ्रीका और भारत के नाम शामिल हैं। गैर-स्थाई सदस्यों का कार्यकाल दो साल के लिए होता है। इसकी गैर- सदस्यता को चुनाव के बाद बढ़ाया जाता है। इसके लिए यूएनएससी पांच स्थाई सदस्यों की सीटों को छोड़कर हर साल पांच गैर-स्थाई सदस्यों के लिए चुनाव कराती है।

चीन का वीटो

वीटो लैटिन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है इसमें मेरी सहमति नहीं है। सीधे शब्दों में कहे तो इनकार करना। ये जो इनकार है इसकी ताकत इतनी है कि चार सदस्य देश अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और फ्रांस मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित करना चाहते थे लेकिन चीन ने वीटो लगा दिया। भारत की तमाम कोशिशों और चार देशों के जोर लगाने के बावजूद एक दशक तक मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित नहीं किया जा सका। मई 2019 में चीन ने अपना वीटो हटाया तब जाकर मसूद को यूएनएससी की कमेटी ने ग्लोबल आतंकी करार दिया। 

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क्या काम करता है यूएनएससी

यूएनएससी का हेडक्वाटर अमेरिका के न्यूयार्क शहर में है। अंतरराष्ट्रीय शांति बनी रहे। कोई एक दूसरे पर हमला न करे आतंक का खात्मा हो। शांति अभियान भेजने हो या फिर वैश्विक सैन्य अभियान यहीं से सब तय किये जाते हैं। दो देश इसके सदस्य हैं उन सभी देशों को इसकी बात माननी होती है। किसी देश पर प्रतिबंध लगाना हो या फिर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले को लागू करना हो। संयुक्त राष्ट्र को यूएनएससी के समर्थन की जरूरत होती है। जो देश स्थायी सदस्य हैं वो एक बड़े संगठन का हिस्सा हैं। 

भारत को स्थायी सदस्यता मिलने में रूकावट कहां है?

भारत काफी वक्त से स्थायी सदस्यता के लिए जोर लगा रहा है लेकिन उस क्लब में एंट्री लेना बड़ा कठिन रहा है। दूसरे अस्थायी देशों के साथ रेस लगाओँ चार्टर की बाधाएं पार करो, नियमों के बाउसरों से भिड़ो और फिर आप एंट्री के गेट पर पहुंचो तो टॉप फाइव देशों में से कोई एक वीटो लगाने दे। भारत के लिए तो ये मामला और भी पेंचीदा है क्योंकि पाकिस्तान की हिमायत लेने वाला चीन अंदर बैठा है। भारत सात बार यूएनएससी में अस्थायी सदस्य रह चुका है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है। तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश है। कई बड़े और मजबूत संगठनों का हिस्सा है। संयुक्त राष्ट्र की ओर से जो मिशन भेजे जाते हैं। उनमें सबसे अधिक सैनिक भेजने वाला देश है। इसके बाद भी स्थायी सदस्यता से महरूम है। चीन को डर है कि भारत अंदर आएगा तो उसके इरादों पर शक जताएगा। साउथ चाइना सी में उसकी हरकतों का विरोध करेगा। हॉककॉग के मुद्दे पर उसे घेरेगा। 

भारत को स्थायी सदस्य बनाने पर क्या बोला अमेरिका?

क्या बाइडेन प्रशासन को लगता है कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होना चाहिए। इस पर प्राइस ने कहा, ‘हमारा मानना है कि सुरक्षा परिषद में ऐसा सुधार होना चाहिए, जिसमें सभी का प्रतिनिधित्व हो, प्रभावी हो और जो अमेरिका तथा संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों के हित में प्रासंगिक हो। हम आगामी हफ्तों में सुरक्षा परिषद के संदर्भ में भारत के साथ निकटता से काम करने के अवसर को लेकर काफी उत्साहित हैं। प्राइस ने कहा कि भारत और अमेरिका के कई साझा मूल्य और साझा हित हैं। उन्होंने कहा, ‘निश्चित तौर पर हमारी भारत के साथ व्यापक रणनीतिक भागीदारी है जो हमें कई स्तरों पर एकजुट करती है। हम इस महीने संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद के संदर्भ में भारत सरकार के साथ बहुत निकटता से काम करने को लेकर तत्पर हैं। -अभिनय आकाश


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