By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 28, 2019
दिल्ली। मॉनसून का आना और साथ में बारिश लाना चिलचिलाती गर्मी और उमस से राहत लेकर आते हैं। बारिश मानव जीवन में कई सकारात्मक भावनाएं लेकर आती है जैसे पुरानी यादों का ताज़ा होना, मन में उत्साह और मूड का खुशगवार होना और इसके अलावा किसान अच्छी फसल की उम्मीद से भर जाते हैं। किंतु मॉनसून की बारिशों के कुछ नकारात्मक पहलुओं से भी दोचार होना लाजिमी है- छत से पानी लीक होना, रिसाव और कहीं-कहीं तो ढांचे में खामी की वजह से इमारत ही गिर जाती है।
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पहले लोग यह मान के बैठ जाते थे कि एक बार इमारत बन कर खड़ी हो गई तो पानी संबंधी मसलों पर कुछ खास ज्यादा करना मुमकिन नहीं लेकिन आज कई ऐसे उत्पाद आसानी से बाजार में उपलब्ध हैं जो न सिर्फ निर्माण के वक्त ही पानी से होने वाली क्षति से इमारतों को सुरक्षित कर देते हैं बल्कि निर्माण के बाद उत्पन्न हुई समस्या का समाधान कर के भी घरों व बड़ी-ऊंची इमारतों को महफूज़ रखते हैं। पानी से होने वाली समस्याओं और उनके उपायों/समाधानों के बारे में बेहतर समझ के लिए यह लेख पढ़िए जिससे कि आप भी हाथों-हाथ कारगर ढंग से समस्या से निजात पा सकें।
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पानी से होने वाले नुकसान के बारे में समझना लंबे समय तक चलने वाली बारिश और भीगे मौसम की वजह से इमारत की दीवारों व छतों से रिसाव, नमी, ड्रिपिंग व लीकेज जैसी समस्याएं पेश आ सकती हैं। खराब निर्माण व घटिया सामग्री के चलते इमारतों में दरारें पड़ जाती हैं जिनसे होकर पानी काॅन्क्रीट के ढांचे में आ घुसता है। यह न केवल देखने में खराब लगता है बल्कि इमारत के ढांचे के लिए भी यह खतरा है। समस्या बढ़कर पूरी इमारत में फैल जाए उससे पहले ही लीकेज के मूल कारण को पहचान कर उसे ठीक करा लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है तभी भवन के ढांचे को क्षति से बचाया जा सकेगा।
भवन निर्माण के दौरान ही ड्रेनेज सिस्टम को अच्छी तरह इंस्टॉल कर लेना चाहिए और उसे अच्छे रखरखाव से बढ़िया स्थिति में कायम रखना बेहद अहम होता है, यह ऐसा उपयोगी कदम है जिसे शुरुआत में ही उठा लेना चाहिए। इसलिए अगर आपके घर में उपयुक्त ड्रेनेज सिस्टम नहीं है तो सबसे पहले उसे बनवा लीजिए। योग्य पेशेवरों को सेवा लेकर आप अपने जरूरत की समीक्षा करवाकर अपने घर के लिए मुनासिब सिस्टम इंस्टॉल करवा सकते हैं, इस तरह आप बाद में होने वाली परेशानी से बच जाएंगे। सही उपाय किये जा सकें इसके लिए जरूरी है कि समस्या की जड़ तक पहुंचा जाए ताकि इमारत के ढांचे और उसमें इस्तेमाल सामग्री की ताकत के मुताबिक समुचित उपाय किये जा सकें।
निर्माणाधीन और निर्मित ढांचों के लिए उपलब्ध समाधान ऐसे कई सुधारात्मक उपाय हैं जो समस्या और इमारत की संरचना के अनुसार अपनाए जा सकते हैं। लिक्विड वाटरप्रूफिंग को आमतौर पर काॅन्क्रीट और प्लास्टर के लिए अपनाया जाता है। यह इनोवेटिव वाटरप्रूफिंग सॉल्यूशन सीमेंट के लिए टॉनिक की तरह काम करता है और इसे बुनियाद से लेकर छत तक इस्तेमाल किया जा सकता है। इस सीमेंट ऐडिटिव को खास तौर पर तैयार किया गया है, यह दरारें पड़ने से रोकता है जिससे लीकेज नहीं हो पाती और इस तरह से इमारत की उम्र में इजाफा होता है।
वाटर पू्रफिंग कम्पाउंड तेज़ी से लोकप्रिय हो रहे हैं न केवल इसलिए कि ये पानी को इमारत में घुसने से रोकते हैं बल्कि इसलिए भी मजबूत निर्माण, इमल्शन और रक्षात्मक कोटिंग में इनसे वृद्धि होती है और इस प्रकार इमारत का ढांचा मौसम की मार से सुरक्षित रह पाता है। आजकल पांच वाटर प्रूफिंग सिस्टम सबसे ज्यादा पसंद किये जा रहे हैंः कन्वेंशनल रिजिड सिस्टम, क्रिस्टलाइन सिस्टम, फ्लेक्सिबल मैम्ब्रेन, कैमिकल कोटिंग और वाटर-रैपलेंट इम्प्रेगनेट्स।
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कन्वेंशनल सिस्टम में शामिल होते हैं- बॉक्स जैसी वाटर पू्रफिंग, पत्थर की अभेद्य स्लैब के साथ क्रिस्टलाइन वाटर प्रूफिंग सिस्टम और फ्लेक्सिबल मैम्ब्रेन वाटर प्रूफिंग सिस्टम के तहत कॉन्क्रीट की सतह पर कैमिकल्स की ऐप्लीकेशन शामिल होती है कैमिकल कोटिंग सीमेंट हाइड्रेशन प्रोसैस के कोमल बाय-प्रॉडक्ट के साथ प्रतिक्रिया करती है और कठोर क्रिस्टल बनाती है। ये क्रिस्टल कॉन्क्रीट के छिद्रों में घुस कर उसे अभेद्य बना देते हैं। वाटर-रैपलेंट इम्प्रेगनेट्स सिलिकॉन होते हैं जो अपनी लो-विस्कोसिटी के चलते सतह को विकर्षण का गुण प्रदान करते हैं।
जागरुकता की रोकथाम की कुंजी है
अंग्रेजी कहावत है कि वक्त पर लगाया एक टांका नौ टांकों की मेहनत बचा लेता है। इसीलिए निर्माण के दौरान ही वाटर प्रूफिंग के बुनियादी सिद्धांतों का पालन करने से निश्चित तौर पर एक वाटर प्रूफ ढांचा निर्मित होगा जो बहुत लंबे वक्त तक टिका रहेगा। सीपेज व लीकेज के खिलाफ रोकथाम के उपायों की आवश्यकता के प्रति जागरुकता होना बेहद अहम है। इमारत का डिजाइन बनाते वक्त ही जोखिम हटाने के लिए जरूरी निर्माण घटक शामिल किये जाने चाहिए। कारगर ड्रेनेज सिस्टम का प्रावधान, छत व दीवारों पर उपयुक्त सामग्री का इस्तेमाल (जैसे बिटुमैन या सिलिकॉन आधारित वाटर प्रूफिंग सिस्टम) और साथ में वाटर रैपलेंट पेन्ट व इमल्शन - सीपेज, लीकेज व नमी से लड़ने में मददगार होते हैं।
नए निर्माण के लिए ऐडमिक्सचर, प्लास्टिसाज़र्स व इंटेग्रल वाटर प्रूफिंग कम्पाउंड उपलब्ध हैं जो एक प्रभावशाली अवरोध प्रदान करते हैं जिससे पानी कॉन्क्रीट को काटकर अंदर नहीं आ पाता। इन उपायों को इमारतों की बुनियाद, बेसमेंट की दीवारों, गीली जगहों (टॉयलेट, बालकनी व रसोई), टैरेस, ओवरहैड व अंडरग्राउंड टैंकों, स्विमिंगपूल, पोडियम स्लैब आदि में आसानी से उपयोग किया जा सकता है। बहुत से विशेषीकृत उत्पाद उपलब्ध हैं जिन्हें सीमेंट के संग इस्तेमाल किया जाए तो दीवारों व छतों को सीपेज व लीकेज से बचाने में दूरगामी असर करते हैं।
ये उत्पाद इमारतों में लगे टीएमटी बार और प्लास्टर को नमी से पैदा होने वाले ज़ंग से भी बचाते हैं। सीमेंट की बॉन्डिंग व ऐडहेसिव गुणों को बढ़ाकर वाटरप्रूफिंग उत्पाद नींव, बीम, कॉलम, टैरेस, बाहरी व भीतरी प्लास्टर को पुख्ता करते हैं और इमारतों को ज्यादा मजबूत बनाते हैं। नमी को रोकने के लिए ये उत्पाद जो अवरोध खड़े करते हैं उनसे स्टील/लोहा भी ज़ंग से सुरक्षित रहता है जिससे इमारत का टिकाऊपन और बढ़ता है।
वाटर प्रूफिंग सॉल्यूशन असरदार हों इसके लिए इमारत के अहम घटक जैसे ब्लॉक वॉल और अंडरग्राउंड फाउंडेशन सर्वश्रेष्ठ आकार में होने चाहिए। इसलिए सबसे ज्यादा कोशिश यह सुनिश्चित करने पर लगनी चाहिए कि इनका निर्माण पूरी तरह संतोषजनक ढंग से हो। इमारत को ऐसी किसी भी खामी से मुक्त रखना चाहिए जिससे पानी इकट्ठा हो सकता हो, यह सावधानी अत्यंत आवश्यक है। एक सुरक्षित ढांचा सुनिश्चित करने के लिए खामी की तत्काल पहचान करें और उसका पुख्ता निवारण करें। सौरभ अग्रवाल कामधेनू पेंट्स के निदेशक है।