पौधे मनुष्य जीवन का आधार है। हालांकि यह बेहद जरूरी है कि पौधों के स्वास्थ्य का ख्याल रखा जाए। मनुष्यों और जानवरों की तरह, पौधे भी संक्रामक रोगों से प्रभावित हो सकते हैं और कमजोर हो सकते हैं। ये रोग पौधों के रोगजनकों नामक जीवित जीवों के कारण होते हैं जिनमें कवक, बैक्टीरिया, वायरस और परजीवी पौधे शामिल हैं। इसके अलावा वायु प्रदूषण और विभिन्न पर्यावरणीय कारकों के चलते भी कई बार पौधे कमजोर हो जाते हैं। पौधों को स्वस्थ रखना बहुत ज़रूरी है क्योंकि यह हमारी खाद्य श्रृंखला का आधार है। ऐसे में प्लांट पैथोलॉजिस्ट की जरूरत पड़ती है। तो चलिए विस्तारपूर्वक जानते हैं इस करियर क्षेत्र के बारे में−
क्या है प्लांट पैथोलॉजी
कॅरियर एक्सपर्ट कहते हैं कि प्लांट पैथोलॉजी जिसे फाइटोपैथोलॉजी के रूप में भी जाना जाता है, पौधों में रोगों के अध्ययन से संबंधित है और पौधे संरक्षण विज्ञान की उप शाखाओं में से एक है। पादप संरक्षण विज्ञान कृषि विज्ञान की वह शाखा है जो पौधों को स्वस्थ रखने के तरीकों का अध्ययन करती है, विशेष रूप से उच्च उत्पादन के उद्देश्य से उन्हें विभिन्न नुकसानों से बचाती है। प्लांट पैथोलॉजी उन लोगों के लिए एक उपयुक्त कॅरियर है, जिनकी कृषि और जैविक क्षेत्रों में गहरी रुचि है। प्लांट पैथोलॉजी में अध्ययन मुख्य रूप से बढ़ते पौधों पर ध्यान केंद्रित करता हैय जीवों और एजेंटों को समझना जो बीमारियों का कारण बनते हैं। पौधे की पैथोलॉजी का क्षेत्र अन्य जैविक क्षेत्रों जैसे कि माइक्रोबायोलॉजी, माइकोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, जैव−सूचना विज्ञान, वायरोलॉजी आदि से जुड़ा हुआ है। कॅरियर एक्सपर्ट बताते हैं कि जो लोग पौधे के स्वास्थ्य के क्षेत्र में विशेषज्ञ होते हैं उन्हें प्लांट पैथोलॉजिस्ट या पौधे रोगविज्ञानी के रूप में जाना जाता है। पादप रोगविज्ञानी का प्रमुख कार्य पौधों को उनके द्वारा संक्रमित रोगों की रोकथाम, नियंत्रण और रोककर स्वस्थ रखना है। वे उपयोगी विधियों जैसे कि दवाइयां विकसित करना, पर्यावरण में स्थितयिों को बदलना आदि के द्वारा रोग को नियंत्रित करने का प्रयास करते हैं।
शैक्षणिक योग्यता
कॅरियर एक्सपर्ट बताते हैं कि वनस्पति विज्ञान, सूक्ष्म जीव विज्ञान, बागवानी, मृदा विज्ञान, फसल विज्ञान, आनुवांशिकी, पारिस्थितिकी, आणविक जीव विज्ञान, जैव रसायन में ग्रेजुएट कोर्स के बाद प्लांट पैथोलॉजी में कॅरियर बनाया जा सकता है। कुछ बी.एससी कोर्स प्लांट पैथोलॉजी में स्पेशलाइजेशन भी प्रदान करते हैं। कई कृषि विश्वविद्यालय प्लांट पैथोलॉजी में बीएससी ग्रेजुएशन कोर्स ऑफर करते हैं। स्नातक कोर्स के बाद आप प्लांट पैथोलॉजी में मास्टर्स और डॉक्टरेट की डिग्री भी प्राप्त कर सकते हैं।
पर्सनल स्किल्स
इस क्षेत्र में कॅरियर देख रहे छात्रों को कड़ी मेहनत से डरना नहीं चाहिए और उनमें धैर्य होना भी उतना ही जरूरी है। इसके अलावा आपका अपने काम के प्रति जुनून ही आपको आगे तक लेकर जाएगा। विश्लेषणात्मक और अनुसंधान कौशल, संचार कौशल, उनके विचारों को समझने और व्यक्त करने की क्षमता भी आवश्यक प्रमुख गुण हैं। इसके अलावा, निर्णय लेने की क्षमता, टीम में काम करने का कौशल व सभी चुनौतियों को सामना करने के लिए आपको तैयार रहना चाहिए।
संभावनाएं
देश की कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के लिए प्लांट पैथोलॉजिस्ट एक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। वे अन्य विशेषज्ञों जैसे प्लांट प्रजनक, खरपतवार विशेषज्ञ आदि के साथ मिलकर काम करते हैं। अनुसंधान, उत्पाद विकास, बिक्री, शिक्षण, प्रशासन, नियामक कार्य और निजी अभ्यास जैसे क्षेत्रों में पादप रोगविदों के लिए कई रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं। प्लांट पैथोलॉजी में स्नातक प्लांट जेनेटिकिस्ट, प्लांट ब्रीडर, जलीय वनस्पति विज्ञानी, लिमोनोलॉजिस्ट, फिजियोलॉजिस्ट, प्लांट पैथोलॉजिस्ट आदि के रूप में अपना करियर बना सकते हैं। इन्हें फार्म और ग्रीनहाउस मैनेजर, पार्क और गोल्फ के रूप में नियुक्त किया जा सकता है। प्लांट पैथोलॉजिस्ट को एग्रोकेमिकल कंपनियों, बीज कंपनियों, उर्वरक कंपनियों, कृषि परामर्श आदि में नियुक्त किया जाता है। बीज कंपनियों को अधिक प्रतिरोध शक्ति के साथ बेहतर बीज विकसित करने के लिए प्लांट पैथोलॉजिस्ट की मदद की जरूरत होती है, क्योंकि उर्वरक कंपनियां पौधों की बीमारियों से संबंधित तकनीकी समस्याओं को हल करने के लिए उनकी मदद चाहती हैं।
आमदनी
एक प्लांट पैथोलॉजिस्ट का पारिश्रमिक उनकी शैक्षिक योग्यता और अनुभव के आधार पर तय होता है। हालांकि एक फ्रेशर इस क्षेत्र में प्रतिमाह 15000 से 22000 रूपए कमा सकता है। इसके अलावा, एक अनुभवी प्लांट पैथोलॉजिस्ट 45000 से 60000 रूपए प्रति माह की कमाई कर सकता है।
प्रमुख संस्थान
विवेकानन्द कॉलेज ऑफ इंस्टीट्यूशन, तमिलनाडु
श्री खुशहाल दास यूनिवर्सिटी, राजस्थान
गवर्नमेंट मोहिन्द्र कॉलेज, पंजाब
पीडीएम यूनिवर्सिटी, हरियाणा
श्री शिवाजी एग्रीकल्चर कॉलेज, महाराष्ट
देशभगत यूनिवर्सिटी, पंजाब
- वरूण क्वात्रा