संस्कृत में उच्च शिक्षा प्राप्त कर ऐसे बनाएं कॅरियर

By जे. पी. शुक्ला | Nov 07, 2020

संस्कृत, हिंदू धर्म की प्राथमिक साहित्यिक भाषा है; हिंदू धर्म, सिख धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म की एक दार्शनिक भाषा; और एक साहित्यिक भाषा और प्राचीन और मध्ययुगीन भारत और नेपाल की भाषा। हिंदू और बौद्ध संस्कृति को दक्षिण-पूर्व एशिया और मध्य एशिया के कुछ हिस्सों में प्रसारित करने के कारण, प्रारंभिक मध्य युगीन काल के दौरान इनमें से कुछ क्षेत्रों में उच्च संस्कृति की भाषा भी थी। भारत की सबसे पुरानी भाषा जिसे देवभाषा भी कहा जाता है, वह संस्कृत है।

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संस्कृत पुरानी इंडो-आर्यन की एक मानकीकृत बोली है, जो दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व में वैदिक संस्कृत के रूप में उत्पन्न हुई। सबसे पुरानी इंडो-यूरोपियन भाषा, जिसके लिए पर्याप्त लिखित दस्तावेज़ मौजूद हैं, संस्कृत इंडो-यूरोपियन अध्ययनों में एक प्रमुख स्थान रखती है। संस्कृत साहित्य में कविता और नाटक के साथ-साथ वैज्ञानिक, तकनीकी, दार्शनिक और धार्मिक ग्रंथों की एक समृद्ध परंपरा शामिल है।

 

संस्कृत को पिछले 3,500 वर्षों से पढ़ाया जा रहा है और इसकी विरासत भारत की सच्ची संस्कृति को समृद्ध करते हुए लंबे समय से जारी है। माना जाता है कि सबसे पुरानी इंडो-यूरोपियन भाषाओं में से एक, जिसके लिए पर्याप्त लिखित दस्तावेज मौजूद हैं, संस्कृत तेजी से आम लोगों के बीच एक लोकप्रिय भाषा विकल्प बन रही है।

 

संस्कृत में उच्च शिक्षा के लिए यूनिवर्सिटी और कोर्सेज 

भारत में संस्कृत पाठ्यक्रमों में नामांकन दर्ज करने वालों की संख्या में वृद्धि हो रही है और कई छात्र विभिन्न शास्त्री पाठ्यक्रमों के साथ-साथ विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में पेश किए जाने वाले शिक्षा शास्त्र और शिक्षा आचार्य पाठ्यक्रमों को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। तो, अगर आप भी संस्कृत में कोई कोर्स करना चाहते हैं तो आप संस्कृत विश्वविद्यालयों की सूची देख सकते हैं, जिन्हें यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त है:

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जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर

कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा

कर्नाटक संस्कृत विश्वविद्यालय, बेंगलुरु

कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्व विद्यालय, नागपुर

कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत और प्राचीन अध्ययन विश्वविद्यालय, नलबाड़ी, असम

महर्षि महेश योगी वैदिक विश्व विद्यालय

सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्व विद्यालय, वाराणसी

श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, इर्नाकुलम

श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, गुजरात

उत्तराखंड संस्कृत विश्व विद्यालय, हरिद्वार

 

लगभग इन सभी जगहों पर बीए, एमए, बीएड, पीजी डिप्लोमा और पीएचडी प्रोग्राम ऑफर किये जाते हैं और शास्त्री, आचार्य, शिक्षा शास्त्री, शिक्षा आचार्य, संयुक्ताचार्य (एकीकृत), योग विज्ञान शास्त्री, योग विज्ञान आचार्य, विद्यानिधि, विद्यानिधि (पीएचडी के समकक्ष), विद्यावाचस्पति, ज्योतिष शास्त्र में सर्टिफिकेट / डिप्लोमा इत्यादि कोर्सेज उपलब्ध हैं।

 

संस्कृत साहित्य में कॅरियर संभावनाएँ

जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं कि भारत के सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद, ऋग्वेद, उपनिषद एवं समस्त पुराणों को संस्कृत भाषा के द्वारा ही रचित किया गया है। जिस भाषा का इतना महत्व है, उसके निरंतर अध्ययन से भविष्य या कॅरियर सेट करने के लिए भी बहुत से अवसर मौजूद हैं। यदि आप संस्कृत में अपना कॅरियर बनाना चाहते हैं तो हाई स्कूल की पढ़ाई से ही संस्कृत विषय का चुनाव करिए। 12वीं पास करने के बाद की उच्च शिक्षा भी संस्कृत विषय में कर सकते हैं।

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संस्कृत के माध्यम से छात्र शिक्षक बन सकते हैं, अपने डॉक्टरेट को पूरा कर सकते हैं और प्रोफेसर बन सकते हैं और यदि वे चाहते हैं तो अनुवादक, लेखक, कवि और बहुत कुछ बन सकते हैं। इसके अलावा और भी बहुत सारे विकल्प मौज़ूद हैं, जैसे- 

 

1. सलाहकार (संस्कृत प्रूफ़ पढ़ना)

2. संस्कृत शिक्षक

3. ग्राहक सेवा सहयोगी

4. बिक्री समन्वयक (संस्कृत के साथ)

5. कंटेंट राइटर-संपादक (संस्कृत)

6. संस्कृत अनुवादक

7. पार्ट टाइम ट्रेनर (संस्कृत)

8. सहायक प्रोफेसर (संस्कृत पत्रकारिता)

9. प्राकृत-शास्त्री 

10. शास्त्री आचार्य

11. टेली-कॉलर (संस्कृत)

12. संस्कृत फ्रीलांसरों

13. ट्रेनिंग अफ़सर

14. कंटेंट डेवलपर लेखक / उपन्यासकार पत्रकार 

15. कंटेंट डेवलपर

 

संस्कृत साहित्य में नौकरियां

1. महाविद्यालय और विश्वविद्यालय

2. मंदिर

3. निजी शैक्षणिक संस्थान

4. अनुवाद सेवा प्रदाता

5. पर्यटन क्षेत्र

6. प्रिंट मीडिया संगठनों

7. सरकारी कार्यालय

8. डाटा एंट्री सेंटर

9. टीवी चैनल 

 

आजकल पांडुलिपि विज्ञानी की भी बहुत मांग है, जो नंदीनगरी, शारदा, तिग्लारी, ग्रन्थ आदि जैसे विभिन्न लिपियों में पुरानी संस्कृत पांडुलिपियों का पांडुलिपि संपादन करता है।

 

आपको एक बात और बता दें कि केंद्रीय विद्यालयों में संस्कृत भाषा को तीसरी भाषा के रूप में महत्ता दिए जाने पर वहां नौकरी के अवसर अधिक बढ़ चुके हैं। संस्कृत में अनुवादक और धर्म गुरु बनने के भी मौके आप सभी को प्राप्त हो सकते हैं।


- जे. पी. शुक्ला

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