जब भी कोई व्यक्ति व्यापार करना चाहता है, तो उसके लिए वह एक नाम जरूर सोचता है। इसी नाम की सहायता से वह अपना बिजनेस करता है और धीरे-धीरे आगे की ओर बढ़ता चला जाता है।
कल्पना करें कि किसी एक नाम से अगर वह व्यापार कर रहा है, और उसका नाम प्रसिद्ध हो जाता है, लोगों के बीच में लोकप्रिय हो जाता है और तभी उसे पता चले कि ठीक उसी के नाम से किसी और ने भी व्यापार करना शुरू कर दिया है?
इसे भी पढ़ें: आयकर विवाद निपटाने का स्वर्णिम अवसर देती है 'विवाद से विश्वास योजना'
निश्चित रूप से यह नाम के मिस यूज करने का मामला बनता है और इसीलिए इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट बेहद महत्वपूर्ण कानून बन जाता है।
वस्तुतः यह असली और नकली के बीच में पहचान करने के लिए महत्वपूर्ण है। जरा सोचिये कि आप कोई दवा लेने जाते हैं और किसी एक कंपनी की दवा आपको सूट करती है लेकिन अगर ट्रेडमार्क ना हो तो एक कंपनी के नाम से ही कोई दूसरी कंपनी दवा दे सकती है जो सेम नाम का होता है।
जहाँ एक पेशेंट के तौर पर यह आपके लिए नुकसानदायक है तो यह बिजनेस ओनर और कंज्यूमर दोनों के लिहाज से बेहद जरूरी चीज है।
ट्रेडमार्क में आपकी कंपनी के सिंबल को गवर्नमेंट द्वारा रजिस्टर्ड कर दिया जाता है जो ऑडियंस के बीच में आपके कंपनी की पहचान बन जाती है। इसमें न केवल कंपनी का नाम, बल्कि कंपनी का लोगो भी रजिस्टर्ड होता है। सामान्य तौर पर ट्रेडमार्क 10 साल के लिए वैलिड होता है और उसके बाद इसे संबंधित कंपनी रिन्यू करा सकती है।
फ़िलहाल की बात करें तो ट्रेडमार्क रजिस्टर्ड कराना पहले के मुकाबले अब काफी आसान हो गया है। इसमें ई-फाइलिंग को वरीयता दी जाने लगी है, जिसमें एप्लीकेशन बड़ी तेजी से प्रोसेस होता है तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई भी मुमकिन हो पाती है।
इसे भी पढ़ें: कोरोना-संकट में भविष्य निधि कैसे निकालें? जानें इसके नियम
डॉक्यूमेंट की बात करें तो कंपनी ओनरशिप के अनुसार डॉक्यूमेंट मांगे जाते हैं। जैसे अगर आप इंडिविजुअल ट्रेडमार्क रजिस्टर कराना चाहते हैं तो इसके लिए पैन कार्ड, आधार कार्ड, एप्लीकेंट द्वारा साइन की गयी पावर ऑफ़ अटार्नी की कॉपी और ट्रेडमार्क क्वेश्चनायर आवश्यक होता है।
इसी प्रकार अगर प्राईवेट लिमिटेड कंपनी के लिए आप ट्रेडमार्क कराते हैं तो इसके लिए पावर ऑफ अटार्नी, बोर्ड की रिजोलुशन और ट्रेड मार्क क्वेश्चनायर चाहिए। इसके अलावा भी डायरेक्टर की डिटेल मांगी जा सकती है। जैसे-
क्या आप संबंधित फर्म के लीगल ऑनर है?
जिस भी सर्विस या प्रोडक्ट को आप ट्रेडमार्क कराने जा रहे हैं उसकी डिटेल क्या है?
एड्रेस प्रूफ, कंपनी की इनकारपोरेशन सर्टिफिकेट कहां पर है?
जो व्यक्ति यह सारे कार्य कर रहा है उसकी आईडेंटिटी और एड्रेस डिटेल।
ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन की फ़ीस
ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन के लिए अलग-अलग फॉर्म होते हैं जिसमें Tm-1, Tm-2, Tm-3, Tm-8, Tm-51 आदि। इस तरह से अलग-अलग फॉर्म के लिए ₹4000 के आसपास ट्रेडमार्क शुल्क रखा गया है। ट्रेडमार्क रिन्यूअल के लिए तकरीबन 5000 शुल्क लगता है। वहीं अगर इस रिन्यूवल की डेट बीत जाने के बाद रिन्यू कराते हैं तो इस पर सर 3000 का सरचार्ज लगता है। इससे संबंधित और भी भिन्न कैटेगरी में शुल्क लिए जाते हैं।
कैसे करें ट्रेडमार्क में रजिस्ट्रेशन
ट्रेडमार्क ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरह से रजिस्टर किए जाते हैं। अगर ऑनलाइन आप ट्रेडमार्क कराना चाहते हैं तो भारत सरकार की इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी की ऑफिशियल वेबसाइट http://www.ipindia.nic.in/ पर जाएं और वहां ट्रेडमार्क सर्च करें। इसके बाद ट्रेडमार्क एप्लीकेशन आपको तैयार करना होता है जिसमें आपकी बिजनेस, लोगो, ब्रांड की डिटेल भरकर एप्लीकेशन अप्लाई करना होता है। फिर एप्लीकेशन फॉर्म को रजिस्ट्रार ऑफ ट्रेडमार्क या ऑफिस में जमा करना होता है। इसके लिए नियत रजिस्ट्रेशन फीस जमा करें और इस तरह से आप संबंधित ट्रेडमार्क के ऑनर बन जाते हैं।
ट्रेडमार्क सामान्य तौर पर जेनेरिक मार्क्स, डिस्क्रिप्टिव मार्क्स, सजेस्टिंग मार्क्स और आर्बिट्रेरी या फैंसीफुल मार्क्स में कैटेगराइज होते हैं। इसकी डिटेल गवर्नमेंट की वेबसाइट से ली जा सकती है।
- मिथिलेश कुमार सिंह