भ्रष्टाचारी नेताओं के दाग भाजपा में धुल जाते हैं, अब यह कोई जुमला नहीं हकीकत बन गया है

By योगेंद्र योगी | Jul 08, 2023

विपक्षी नेताओं पर सरकारी एजेंसियों की कार्रवाई किसी से छिपी नहीं है। भ्रष्टाचार में संलिप्त कई नेता भाजपा में शामिल हुए और उनसे जुड़े मामलों पर ताला लग गया। विपक्षी पार्टियों की ओर से भी लगातार यह आरोप लगाए जाते रहे हैं कि भाजपा वाशिंग मशीन की तरह है, उसमें जो भी जाता है उसके सारे दाग धुल जाते हैं। जिन नेताओं पर घोटाले के कई बड़े आरोप हैं वह जब भाजपा में चले गये तो एक तरह से जांच एजेंसियों की ओर से उन्हें क्लीन चिट मिल गयी। महाराष्ट्र सरकार में अजित पवार समेत कई नेताओं के शामिल होने के बाद से बवाल मचा हुआ है। भाजपा ने भ्रष्टाचार का आरोप झेल रहे अजित पवार और दूसरे विधायकों को महाराष्ट्र सरकार में शामिल करवा कर पक्षपात करने और केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग करने का आरोप लगाकर विपक्षी दलों को मौका दे दिया।


विपक्षी नेताओं का कहना है कि जिन पर कल तक भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे थे, उन्हें सरकार में मंत्री बना लिया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ दिन पहले ही एनसीपी को नेचुरली करप्ट पार्टी कहा था, अब वही दल महाराष्ट्र की भाजपा सरकार में सत्ता में भागीदारी कर रहा है। महाराष्ट्र में उपमुख्यमंत्री बनाए गये अजित पवार को पीएम मोदी ने कॉआपरेटिव घोटाले का आरोपी बताया था। इसका जिक्र मोदी ने भोपाल में दिए गए भाषण में किया था। इसी तरह महाराष्ट्र में भाजपा के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा था कि हमारी सरकार आने पर अजित दादा चक्की पीसिंग एंड पीसिंग। अब वही पवार उपमुख्यमंत्री का पद पाकर फडणवीस के बराबर आ गए। पाला बदल कर आए छगन भुजबल महाराष्ट्र सदन घोटाले में जेल तक जा चुके हैं। इसी तरह हसन मुशरिफ और उनके तीन बेटों पर मनी लॉन्ड्रिग के आरोप हैं। मंत्री बनी अदिति तटकरे के पिता के खिलाफ एसीबी ने सिंचाई घोटाले में चार्जशीट फाइल कर रखी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के करीबी इकबाल मिर्ची के मुंबई में एक प्लॉट पर बिल्डिंग बनवाई। ऐसे आरोप लगे कि इस बिल्डिंग में प्रफुल्ल पटेल का भी एक फ्लैट है। इस साल फरवरी में बिल्डिंग के चार फ्लोर को अटैच किया गया था। इसके अलावा एविएशन स्कैम में भी प्रफुल्ल पटेल जांच के दायरे में हैं।

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विपक्षी दलों का आरोप है कि जो भाजपा का दामन थाम लेता है, उसका दामन पाक साफ हो जाता है। विगत वर्षों में भाजपा में शामिल होने के बाद शुभेन्दु अधिकारी, हिमंत बिस्वा सरमा, मुकुल रॉय, नारायण राणे जैसे कई भ्रष्टाचार के आरोपी नेताओं के दाग धुल गए हैं। इस कवायद पर एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार ने तंज कसते हुए कहा कि दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री ने एनसीपी को भ्रष्टाचार के लिए टारगेट किया था, प्रधानमंत्री का शुक्रिया कि उनके सरकार में शामिल होने से वे सभी आरोपों से मुक्त हो गए हैं। 2014 के बाद से नरेंद्र मोदी सरकार लगातार विपक्षी नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही है। छापेमारी और समन खासकर तब तेज हो जाते हैं जब चुनाव नजदीक हों। लेकिन यह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई नहीं है क्योंकि अगर यह लड़ाई होती तो यह भ्रष्टाचार के आरोपी भाजपा नेताओं को नहीं बख्शती। इस भ्रष्टाचार-विरोधी एजेंडे की चयनात्मक प्रकृति इसे एक जादू-टोना बना देती है। यह जादू-टोना मोदी सरकार द्वारा विवादास्पद राफेल सौदे की जांच कराने से इंकार करने, या जिस तरीके से उसने पांच साल के लिए लोकपाल नियुक्त करने से अपने पैर खींच लिए थे, उसके बिल्कुल विपरीत है।


बीजेपी आती है, तो भ्रष्टाचार भागता है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस टिप्पणी के बाद भ्रष्टाचार फिर से राजनीति के केंद्र में आ गया है। आजादी के बाद से ही भारत में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा रहा है और सभी पार्टियां इसे खत्म करने का दावा करती रही हैं। बीजेपी भी इससे अछूती नहीं है। पिछले दिनों सीबीआई और ईडी की कार्रवाई के खिलाफ 14 दलों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया तो खुद प्रधानमंत्री मोदी इसके बचाव में उतर आए। हालांकि कोर्ट से विपक्षी दलों को निराशा हाथ लगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार में लिप्त नेता एक साथ एक मंच पर आ रहे हैं। कुछ दलों ने भ्रष्टाचारी बचाओ आंदोलन छेड़ा हुआ है, लेकिन एक्शन नहीं रुकेगा।


प्रधानमंत्री की टिप्पणी के बाद विपक्ष ने भी इस बार जोरदार पलटवार कर दिया। तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष ममता बनर्जी ने मंच पर वाशिंग मशीन लगाकर बीजेपी पर तंज कसा। ममता ने कहा कि बीजेपी वाशिंग मशीन है और दागियों को धुलकर सफेद कर देती है। ममता ने इसका लाइव डेमो भी दिखाया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी ट्वीट कर मोदी सरकार पर निशाना साधा। खरगे ने कहा कि विपक्ष के 95 फीसदी नेताओं पर ईडी और सीबीआई का केस दर्ज हुआ है, लेकिन जो नेता बीजेपी में शामिल हो जाते हैं उसका दाग धुल कर साफ कर दिया जाता है। आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि वे कहते हैं कि बीजेपी में आकर भ्रष्टाचार करो।


गौरतलब है कि ईडी और सीबीआई के दुरुपयोग को लेकर विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा था। पीएम मोदी को लिखे पत्र में विपक्ष ने आरोप लगाया था कि सरकार विपक्ष के खिलाफ ईडी औऱ सीबीआई का इस्तेमाल कर रही है, साथ ही बीजेपी नेताओं के खिलाफ जांच धीमी गति से चलती है। पत्र में ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों के कथित दुरुपयोग की निंदा की गई। विपक्ष ने केंद्रीय एजेंसियों की खराब होती छवि पर गहरी चिंता व्यक्त की। चाल, चरित्र और चेहरे के बदलाव का दावा करने वाली भाजपा ने महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार के आरोपी एनसीपी के विधायकों को सरकार में शामिल करा कर कथनी और करनी के अंतर को मिटा दिया है।


अब सवाल यही उठता है कि भाजपा किस मुंह से विपक्ष पर भ्रष्टाचार में शामिल होने के आरोप लगाते हुए देश के लोगों को आगाह कर पाएगी। भाजपा कैसे कह पाएगी कि विपक्ष के गठबंधन की कवायद सत्ता पाने की आड़ में भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने के लिए है। यदि राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में देखें तो भाजपा की महाराष्ट्र में आरोपी एनसीपी के विधायकों को सरकार में शामिल कराने से कोई बहुत बड़ा राजनीतिक फायदा नहीं मिलने वाला, किन्तु इससे भाजपा का भ्रष्टाचार का अभियान जरूर भौंथरा हो गया। जिसे प्रमुख आधार बना कर भाजपा ने न सिर्फ केंद्र में बल्कि कई प्रदेशों में सत्ता हासिल की है। भाजपा ने राह चलते ही विपक्षी दलों को उल्टे हमले का मुद्दा थमा दिया। प्रधानमंत्री मोदी की तरह ही विपक्ष भी भ्रष्टाचार लेकर अब आक्रामक मुद्रा में आ गया है। निश्चित तौर पर भाजपा ने अजित पवार गुट को सत्ता में शामिल करके जो ऐतिहासिक भूल की है, विपक्ष चुनाव में उसे भुनाए बगैर नहीं रहेगा।


-योगेन्द्र योगी

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