By अभिनय आकाश | Oct 15, 2024
क्या हिंदुओं के मानवाधिकार नहीं हैं? जैसे पश्चिमी देश भारत के अल्पसंख्यक मुसलमानों को हमेशा खतरे में बताते हैं। ठीक उसी तरह उन्हें बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदू आज भी खतरे में आज भी क्यों नहीं दिखाई देते हैं। बांग्लादेश के चटगांव से दुर्गा पंडाल की तस्वीरें सामने आई। जहां मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने इस्लामिक गीत गाकर हिंदू देवी देवताओं का अपमान किया। जब दुर्गा पंडाल में इस्लामिक गीत गाया जा रहा था तब ये सारे मुस्लिम युवा खुश हो रहे थे। लेकिन ये कोई एकलौती घटना नहीं है। बांग्लादेश में नवरात्रि के अवसर पर चल रही दुर्गा पूजा में करीब 35 अप्रिय घटनाएं घट चुकी है। यानी बांग्लादेश में हिंदू समुदाय और उनके पूजा स्थलों को अभी भी निशाना बनाया जा रहा है। पुलिस ने करीब 12 से ज्यादा मामले भी दर्ज किए है। पुलिस महानिरीक्षक मोहम्मद मोइनुल इस्लाम के हवाले से यह जानकारी दी गई है। इससे पहले गुरुवार को करीब छह लोगों ने ढाका से लगभग 250 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में चटगांव के जात्रा मोहन सेन हॉल में एक दुर्गा पूजा मंडप के मंच पर इस्लामी क्रांति का गीत गाया, जिससे काफी आक्रोश फैल गया।
11 अक्टूबर 2024 (ढाका) - टाटी बाजार इलाके में दुर्गा पूजा पंडाल पर दंगाईयों ने पेट्रोल बम से हमला किया। बम विस्फोट से भगदड़ मच गई। झड़प में एक श्रद्धालु गंभीर रूप से घायल हो गया।
9 अक्टूबर 2024 (चटगांव)- चटगांव में दुर्गा पूजा के दौरान इस्लामी कट्टरपंथी देशभक्ति गीत गाने के बहाने पंडाल के मंच पर चढ़ गए और इस्लामी क्रांती के नारे लगाने लगे। प्रशासन ने हमेशा की तरह इस मामले को दबाने की कोशिश की। लेकिन जब वीडियो वायरल हुआ तो 6 युवक गिरफ्तार हुए।
8 अक्टूबर, 2024 (राजबाडी)- सज्जनकांडा मोधापारा सर्बोजन दुर्गा मंदिर में 8 अक्टूबर 2024 को घुसकर दंगाईयों ने दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियों को तोड़ दिया।
4 अक्टूबर, 2024 (बररसाल)- श्यामपुर गांव में स्थित श्यामपुर देउरी बारी श्री दुर्गा मंदिर में 4 अक्टूबर को दंगाइयों ने दुर्गा पंडाल की कई मंदिरों को तोड़ दिया। दुर्गा पंडाल के आयोजत शंकर देउरी ने बताया की दुर्गा मूर्ति समेत तीन प्रतिमाओं के हाथ और सिर टूट गए थे।
3 अक्टूबर, 2024 (किशोरगंज)- ढाका डिवीजन के किशोरगंज के गोपीनाथ जीउर अखाड़ा दुर्गा पूजा मंडप में 3 अक्टूबर, 2024 को हिंदू देवी-देवताओं की 7 मूर्तियों को उपद्रवियों ने तोड़ दिया। उपद्रवियों ने दीवार फांदकर मूर्तियों के सिर तोड़ दिए थे।
3 अक्टूबर, 2024 (कोमिला)- नवरात्रि के बीच 3 अक्टूबर, 2024 को एक नवनिर्मित दुर्गा प्रतिमा को तोड़ दिया गया और मंदिर के दान पात्र को लूट लिया गया। मुस्लिम संगठनों ने दुर्गा पूजा के लिए हिंदुओं को परमिशन देने से इनकार कर दिया है।
3 अक्टूबर, 2024 (शेरपुर)- शेरपुर जिले में 3 अक्टूबर, 2024 की देर रात को उपद्रवियों ने मंदिर का ताला तोड़ा और अंदर दाखिल हो गए। उन्होंने मिट्टी से बनी माता की प्रतिमा को तोड़ दिया। दंगाइयों ने पेट्रोल छिड़क कर मूर्ति को जलाने का प्रयास भी किया, लेकिन आग नहीं लग पाई।
2 अक्टूबर, 2024 (पबना)- सुजानगर में पालपारा दुर्गा मंदिर में 2 अक्टूबर, 2024 को उपद्रवियों ने दुर्गा पूजा के लिए बनाई गई 3 निर्माणाधीन मूर्तियों को तोड़ दिए। मंदिर समिति के अध्यक्ष बिजोन पाल ने बताया कि मूर्तियों के हाथ और सिर क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
1 अक्टूबर, 2024 (ऋषिपारा)- बांग्लादेश के राजशाही डिवीजन में 1 अक्टूबर को ऋषिपारा बरवारी पूजा मंडप में 4 मूर्तियों और मणिकाडी पालपारा बरवारी पूजा मंडप में 5 हिंदू मूर्तियों को दंगाइयों ने क्षतिग्रस्त कर दिया।
27 सितंबर, 2024 (उत्तरा)- बांग्लादेश में उपद्रवियों ने 27 सितंबर, 2024 को उत्तरा के सेक्टर 11, 13 सहित कुछ अन्य सेक्टरों में आयोजित हो रही दुर्गा पूजा के खिलाफ मस्जिद के मौलानाओं और छात्रों ने विरोध कर शक्ति प्रदर्शन किया। उत्तरा फील्ड नंबर 13 में लग रहे दुर्गा पंडाल को मुस्लिमों ने नमाज का बहाना देकर हटवा दिया।
25 सितंबर 2024 (मैमनसिंह)- गौरीपुर में 22 वर्षीय यासीन मिया ने दुर्गा पंडाल के मूर्तियों को को तोड़ दिया। डॉली रानी नाम की स्थानीय हिंदू महिला ने दंगाई को देखा तो शोर मचाया। पुलिस ने विरोध- प्रदर्शन के बाद यासीन मिया को गिरफ्तार किया।
22 सितंबर 2024 (खुलना)- खुलना में 22 सितंबर को दंगाइयों ने दुर्गा पंडालों के आयोजकों को धमकी दी कि अगर वे 5 लाख टका का भुगतान नहीं करते हैं तो उन्हें पूजा आयोजित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।कई समितियों को दिए गए पत्रों में कहा गया कि अगर वे भुगतान नहीं करते हैं, तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
युनुस का पुराना रुख
पिछले अगस्त महीने में छात्र आंदोलन के बेकाबू होने और फिर सत्ता परिवर्तन का कारण बनने के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने की घटनाएं हुईं। तब नई सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद युनुस ने हालांकि इन हमलों को रोके जाने का आह्वान किया, लेकिन यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में इन घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जा रहा है। उनका यही रुख अब तक बना हुआ है। बांग्लादेश में सरकार के मुख्य कर्ता-धर्ता युनुस शुरुआती अस्थिरता से उबर चुके हैं। सत्ता पर उनकी पकड़ काफी हद तक बन चुकी है। इसका अंदाजा इस बात से भी होता है कि जल्द से जल्द चुनाव का वादा करते हुए सत्ता संभालने वाले युनुस कहने लगे हैं कि सुधार का अजेंडा पूरा होने से पहले चुनाव नहीं होंगे।
कब से हो रही बांग्लादेश में दुर्गा पूजा
बांग्लादेश में हिंदुओं की संख्या घटकर अब भले ही 1.3 करोड़ रह गई हो, लेकिन दुर्गापूजा उनके लिए अपनी स्मृति और परंपरा से जुड़ने का अवसर है। दुर्गापूजा की शुरुआत ही आज के बांग्लादेश में हुई थी। ढाकेश्वरी मदिर को बांग्लादेश का राष्ट्रीय मदिर कहते हैं। यहां 800 साल से दुर्गापूजा हो रही है। हालाकि दस्तावेज बताते हैं कि बंगाल में पहली बार दुर्गापूजा का आयोजन 1583 ईस्वी में राजशाही जिले के ताहिरपुर में राजा कंस नारायण ने किया था। कोलकाता में दुर्गा पूजा का आयोजन इसके बाद शुरू किया जा सका था।
बांग्लादेश में सरकार के मुख्य कर्ता-धर्ता युनुस शुरुआती अस्थिरता से उबर चुके हैं। सत्ता पर उनकी पकड़ काफी हद तक बन चुकी है। इसका अंदाजा इस बात से भी होता है कि जल्द से जल्द चुनाव का वादा करते हुए सत्ता संभालने वाले युनुस कहने लगे हैं कि सुधार का अजेंडा पूरा होने से पहले चुनाव नहीं होंगे।