Prabhasakshi Exclusive: Rajnath Singh ने US-Germany के साथ जो रक्षा करार किये हैं उससे China को कितना डरने की जरूरत है?

By नीरज कुमार दुबे | Jun 09, 2023

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से हमने जानना चाहा कि हाल ही में अमेरिका और जर्मनी के रक्षा मंत्री भारत आये। इस दौरान रक्षा संबंधों को क्या मजबूती मिली और भारत किस लिहाज से लाभ में रहा? इसके अलावा जर्मनी के रक्षा मंत्री ने कहा है कि रूसी हथियारों पर भारत की निर्भरता सही नहीं है। इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि चीन की बढ़ती चुनौतियों के बीच भारत और अमेरिका ने रक्षा क्षेत्र में अपनी साझेदारी को और मजबूत करते हुए कई बड़े ऐलान किये हैं। खास बात यह है कि दोनों देश सिर्फ चीन ही नहीं बल्कि आगे आने वाली सभी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए भी अपने रक्षा संबंधों को नई दिशा दे रहे हैं। अमेरिकी रक्षा मंत्री का भारत का यह दौरा इस मायने में भी महत्वपूर्ण रहा क्योंकि 15 दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की पहली राजकीय यात्रा पर जाने वाले हैं। अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने भारत के अपने समकक्ष राजनाथ सिंह के साथ व्यापक चर्चा के बाद कहा कि भारत और अमेरिका ने रक्षा औद्योगिक सहयोग के लिए एक महत्वाकांक्षी रूपरेखा तैयार करने का फैसला किया है। ऑस्टिन ने भारत-अमेरिका वैश्विक सामरिक साझेदारी को मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र की ‘‘आधारशिला’’ भी बताया। अमेरिकी रक्षा मंत्री ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से भी सार्थक चर्चा की। देखा जाये तो भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी तेजी से बढ़ रही है और हम रक्षा औद्योगिक सहयोग का विस्तार करने पर विचार कर रहे हैं।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि वहीं, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता के मुद्दे पर अमेरिका के रक्षा मंत्री के साथ रणनीति बनाने के बाद भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जर्मनी के रक्षा मंत्री के साथ द्विपक्षीय और क्षेत्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर अहम वार्ता की। दोनों देशों के बीच गहराती रक्षा साझेदारी चीन के लिए नींद उड़ाने वाली बात तो है ही साथ ही इससे रूस के भी कान खड़े हो गये हैं। उन्होंने कहा कि भारत और जर्मनी ने अहम रक्षा मंचों को साथ मिलकर विकसित करने के तरीकों पर तो विचार विमर्श किया ही है साथ ही छह स्टील्थ पनडुब्बी खरीदने के लिए भारतीय नौसेना के 43,000 करोड़ रुपये के अनुबंध को ध्यान में रखते हुए जर्मन रक्षा कंपनी थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स (टीकेएमएस) और सरकारी मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) ने इस परियोजना की बोली लगाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर भी किए। इस परियोजना को ‘मेक इन इंडिया’ की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक बताया जा रहा है। जून 2021 में रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना के लिए छह पारंपरिक पनडुब्बियों को देश में ही बनाने की इस बड़ी परियोजना को मंजूरी दी थी। ये पनडुब्बियां रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत बनायी जाएंगी जो घरेलू रक्षा निर्माताओं को आयात पर निर्भरता कम करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले सैन्य मंच बनाने के वास्ते प्रमुख विदेशी रक्षा कंपनियों के साथ मिलकर काम करने की अनुमति देता है।

इसे भी पढ़ें: Shaurya Path: Russia-Ukraine, India-US, India-Germany, Canada-Khalistan, Jaishankar Africa-Namibia Visit और PM Modi US Visit से जुड़े मुद्दों पर Brigadier DS Tripathi (R) से बातचीत

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस का यह कहना है कि भारत का रूसी हथियारों पर निर्भर रहना जर्मनी के हित में नहीं है। यह उनका अपना मत हो सकता है। भारत किससे हथियार खरीदता है और किससे नहीं यह भारत ही अपने सामरिक और आर्थिक हितों को देखते हुए तय करेगा। जहां तक जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस की अपने भारतीय समकक्ष राजनाथ सिंह के साथ मुलाकात की बात है तो इसके बारे में बताया गया है कि यह वार्ता प्रमुख सैन्य मंचों के संयुक्त विकास और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग पर केंद्रित रही। वार्ता से परिचित अधिकारियों ने कहा है कि भारतीय पक्ष ने पिस्टोरियस को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की आक्रामकता के बारे में अवगत कराया और पश्चिमी देशों से पाकिस्तान को महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियां मिलने के संभावित जोखिमों पर नयी दिल्ली की आशंकाओं से भी अवगत कराया। उन्होंने कहा कि वार्ता के बाद, पिस्टोरियस ने संवाददाताओं से कहा कि नयी दिल्ली के साथ बर्लिन के रणनीतिक संबंध हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अप्रत्याशित स्थिति के संदर्भ में अधिक महत्वपूर्ण हो गए हैं। उन्होंने भारत के साथ रक्षा संबंधों को और मजबूत करने के लिए जर्मनी के दृष्टिकोण का भी संकेत दिया। उन्होंने कहा कि भारत को हथियार देने के लिए यूरोप की अनिच्छा के मद्देनजर नयी दिल्ली ने रूस की ओर देखा। उन्होंने कहा कि पिस्टोरियस ने भारत के साथ रक्षा संबंधों पर एक नए दृष्टिकोण की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा, "हम अब महसूस कर रहे हैं कि रूस का सितारा डूब रहा है।" उन्होंने कहा, "निश्चित रूप से हमने रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के बारे में भी बात की थी। युद्ध का प्रभाव यहां तक, दुनिया के हर कोने में है। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है और भारत हथियारों के लिए रूस पर अपनी निर्भरता को महत्वपूर्ण रूप से तथा जल्द कम करने की बहुत कोशिश कर रहा है जो वर्तमान में 60 प्रतिशत पर है।’’

प्रमुख खबरें

Sania Mirza Birthday: ग्रैंड स्लैम जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी हैं सानिया मिर्जा, आज मना रहीं 38वां जन्मदिन

आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की जयंती पर दिल्ली के सराय काले खां चौक का नाम बदलकर उनके नाम पर रखा गया

Jharkhand Foundation Day 2024: 15 नवंबर को मनाया जाता है झारखंड स्थापना दिवस, आदिवासियों की मांग पर हुआ था राज्य का गठन

IND vs SA: जोहानिसबर्ग में साउथ अफ्रीका को हराकर सीरीज जीतना चाहेगा भारत, जानें पिच और मौसम रिपोर्ट