सैन्य-ग्रेड सॉफ्टवेयर, सर्विलांस सिस्टम, स्वार्म ड्रोन टेक्नोलॉजी, AI की मदद से कैसे हाइटेक हो रही भारतीय सेना?

By अभिनय आकाश | Feb 20, 2024

तकनीक के क्षेत्र में दुनिया काफी तरक्की कर रही है। इसी तरक्की के साथ हथियारों की रेस में भी अलग-अलग प्रयोग हो रहे हैं। ड्रोन की ताकत सब समझते हैं लेकिन अगला दौर स्वार्म ड्रोन का है। यानी ड्रोन हमलावरों की ऐसी फौज जिससे बच पाना नामुमकिन है। इस रेस में अब भारत भी शामिल हो रहा है। भारतीय सेना सेना में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग बढ़ा रही है। भारत ने पिछले साल पाकिस्तान और चीन के साथ अपनी सीमाओं पर नजर रखने के लिए एआई का इस्तेमाल किया था। अब, भारतीय सेना और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) संयुक्त रूप से सैन्य-ग्रेड सॉफ्टवेयर विकसित कर रहे हैं जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-सक्षम निर्णय लेने वाले उपकरण के साथ-साथ सैन्य ग्रेड 5G और 6G शामिल हैं। ऐसे में इस रिपोर्ट के जरिए जानते हैं कि भारत एआई को सेना में कैसे शामिल कर रहा है?

पाकिस्तान सीमा पर 140 एआई-आधारित सर्विलांस सिस्टम

साउथ एशियन वॉयस वेबसाइट के अनुसार, भारत ने अक्टूबर 2023 में पाकिस्तान सीमा पर 140 एआई-आधारित निगरानी प्रणालियों जैसे उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले कैमरे, सेंसर, मानव रहित हवाई वाहन फ़ीड और रडार फ़ीड का उपयोग किया। स्वार्म ड्रोन जो परमाणु बम पहुंचाने वाले डिलीवरी सिस्टम को मार गिरा सकते हैं, पिछले वर्ष में एक महत्वपूर्ण तकनीकी प्रगति थी। 2022 में स्थापित भारत की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मिलिट्री काउंसिल, इसकी AI रणनीति के लिए महत्वपूर्ण है। परिषद के पास रक्षा एआई परियोजना एजेंसी (डीएआईपीए) के लिए $12 मिलियन का वार्षिक बजट है। डीएआईपीए ने 2022 में 30 समुद्री AI कार्यक्रम वितरित किए, 2024 तक अन्य 25 AI सैन्य उत्पाद विकसित करने की संभावना है।

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स्वार्म ड्रोन टेक्नोलॉजी क्या है?

ड्रोनों का झुंड या फिर कहे कि एक साथ मिलकर कई सारे ड्रोन जब एक मिशन को अंजाम देते हैं तो इसे ड्रोन स्वॉर्मिंग या स्वार्म ड्रोन टेक्नोलॉजी कहते हैं। इनमें एक मदर ड्रोन होती है। जिसके अंदर से कई सारे छोटे-छोटे ड्रोन निकलते हैं जो अलग-अलग ठिकानों पर हमला करने में सक्षम होते हैं। अधिक संख्या ही वजह से दुश्मन की एंटी एयरक्राफ्ट गन या मिसाइलें भी इनके ऊपर बेअसर साबित होती है। 

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हाई-टेक सैन्य सिमुलेटर पर प्रशिक्षण 

रक्षा विश्लेषक लेफ्टिनेंट जनरल शंकर प्रसाद ने कहा कि सीमा नियंत्रण से लेकर व्यापक निगरानी और एआई-आधारित विमान तकनीक से लैस ड्रोन जो दिन और रात के टोही मिशनों को अंजाम देने में उत्कृष्ट हैं, भारत को दुनिया भर की अन्य सेनाओं की तरह, एआई को युद्ध-लड़ने वाली प्रणालियों में एकीकृत करने के महत्व का एहसास है। भारत आतंकवाद विरोधी अभियानों में जानकारी इकट्ठा करने के लिए एआई-आधारित वास्तविक समय निगरानी सॉफ्टवेयर का उपयोग कर रहा है। भारतीय सेना अपने नए रंगरूटों को हाई-टेक सैन्य सिमुलेटर पर प्रशिक्षण भी दे रही है।

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